Navratri Day 3 Chaitra Navratri 2025 3rd day Muhurat Time Pooja vidhi mantra bhog Navratri colour flower Navratri Day 3: आज चैत्र नवरात्रि के तीसरे दिन कब करें पूजा? जानें मां चंद्रघंटा का मंत्र, कथा भोग, व रंग, एस्ट्रोलॉजी न्यूज़ - Hindustan
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Navratri Day 3: आज चैत्र नवरात्रि के तीसरे दिन कब करें पूजा? जानें मां चंद्रघंटा का मंत्र, कथा भोग, व रंग

Navratri Day 3 Chaitra Navratri 2025: चैत्र नवरात्रि का तीसरा दिन माता चंद्रघंटा का दिन माना जाता है। इस दिन पूरे विधि-विधान से माता चंद्रघंटा की पूजा-उपासना करने से जीवन के सभी कष्ट दूर हो सकते हैं।

Shrishti Chaubey लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीTue, 1 April 2025 10:40 AM
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Navratri Day 3: आज चैत्र नवरात्रि के तीसरे दिन कब करें पूजा? जानें मां चंद्रघंटा का मंत्र, कथा भोग, व रंग

Navratri Day 3 Chaitra Navratri 2025: 2025 में चैत्र नवरात्रि का तीसरा दिन 1 अप्रैल को है। चैत्र नवरात्रि के तीसरे दिन माता चंद्रघंटा देवी की पूरे विधि-विधान से पूजा अर्चना की जाती है। माता के मस्तक पर अर्ध चंद्रमा विराजमान है, जिस कारण ही इन्हें चंद्रघंटा के नाम से पुकारा जाता है। दुर्गा मैया के 9 स्वरूपों की अपनी गाथाएं हैं। माथे पर अर्धचंद्र लिए माता दैत्यों का नाश करती हैं। आइए जानते हैं चंद्रघंटा माता के अवतरित होने के अनोखी कहानी, स्वरूप, मंत्र के बारे में-

चैत्र नवरात्रि के तीसरे दिन कब करें पूजा

  • ब्रह्म मुहूर्त 04:39 से 05:25
  • प्रातः सन्ध्या 05:02 से 06:11
  • अभिजित मुहूर्त 12:00 से 12:50
  • विजय मुहूर्त 14:30 से 15:20
  • गोधूलि मुहूर्त 18:38 से 19:01
  • सायाह्न सन्ध्या 18:39 से 19:48
  • अमृत काल 06:50 से 08:16
  • निशिता मुहूर्त 00:01, अप्रैल 02 से 00:48, अप्रैल 02
  • सर्वार्थ सिद्धि योग 11:06 से 06:10, अप्रैल 02
  • रवि योग 11:06 से 06:10, अप्रैल 02

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जानें मां चंद्रघंटा का मंत्र, कथा भोग, व रंग

चंद्रघंटा माता का स्वरूप: माता चंद्रघंटा का रूप अलौकिक है। माता के मस्तक पर अर्ध चंद्रमा विराजमान है। स्वर्ण की भांति चमकीला माता का शरीर, 10 भुजाओं वाला है। अस्त्र शस्त्र से सुशोभित मैया सिंह पर सवार हैं। पूरी विधि-विधान से चंद्रघंटा माता की पूजा करने और कथा का पाठ करने से शरीर के सभी रोग दुख कष्ट आदि दूर हो सकते हैं।

चंद्रघंटा मां का मंत्र

  1. ॐ देवी चन्द्रघण्टायै नमः॥
  2. ह्रीं श्री अम्बिकायै नम:

चंद्रघंटा मां का पसंदीदा रंग- लाल

चंद्रघंटा मां का पसंदीदा फूल- गुलाब और कमल

चंद्रघंटा मां का पसंदीदा भोग- दूध की खीर, दूध से बनी मिठाई

कथा: पौराणिक कथाओं के अनुसार, स्वर्ग पर राक्षसों का उपद्रव बढ़ने पर दुर्गा मैया ने चंद्रघंटा माता का रूप धारण किया था। महिषासुर नमक दैत्य ने सभी देवताओं को परेशान कर रखा था। महिषासुर स्वर्ग लोक पर अपना अधिकार जमाना चाहता था और सभी देवताओं से युद्ध कर रहा था। महिषासुर के आतंक से परेशान सभी देवता भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश के पास जा पहुंचे। सभी देवताओं ने खुद पर आई विपदा का वर्णन त्रिदेवों से किया और मदद मांगी। देवताओं की विनती और असुरों का आतंक देख त्रिदेव को बहुत गुस्सा आया। त्रिदेवों के क्रोध से एक ऊर्जा निकली। इसी ऊर्जा से माता चंद्रघंटा देवी अवतरित हुई। माता के अवतरित होने पर सभी देवताओं ने माता को उपहार दिया। माता चंद्रघंटा को भगवान शिव ने अपना त्रिशूल, श्री हरि विष्णु जी ने अपना चक्र, सूर्य ने अपना तेज, तलवार, सिंह और इंद्र ने अपना घंटा माता को भेंट के रूप में दिया। अस्त्र शास्त्र शिशु शोभित मां चंद्रघंटा ने महिषासुर का मर्दन कर स्वर्ग लोक और सभी देवताओं को रक्षा प्रदान की।

डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। विस्तृत और अधिक जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।

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