सुबह से शाम तक इन मुहूर्त में करें पापमोचिनी एकादशी पूजा, जानें उपाय, मंत्र व भोग
- Papmochini Ekadashi 2025: आज सुबह 05:05 बजे से एकादशी तिथि शुरू हो चुकी है, जो मार्च 26 को 03:45 ए एम तक रहेगी। हर साल चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि के दिन पापमोचिनी एकादशी व्रत रखा जाता है।

Papmochini Ekadashi 2025: आज मंगलवार के दिन पापमोचिनी एकादशी का व्रत रखा जाएगा। आज सुबह 05:05 बजे से एकादशी तिथि शुरू हो चुकी है, जो मार्च 26 को 03:45 ए एम तक रहेगी। हर साल चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि के दिन पापमोचिनी एकादशी व्रत रखा जाता है। इस दिन पूरे विधि-विधान के साथ भगवान विष्णु की आराधना की जाती है। मान्यताओं के अनुसार, पापमोचिनी एकादशी व्रत रखने से जीवन के कष्ट दूर हो जाते हैं और विष्णु जी की कृपा दृष्टि बनी रहती है। जानें, पापमोचिनी एकादशी पूजन मुहूर्त, विधि, उपाय, भोग, मंत्र व आरती-
सुबह से शाम तक इन मुहूर्त में करें पापमोचिनी एकादशी पूजा
- ब्रह्म मुहूर्त 04:45 ए एम से 05:32 ए एम
- प्रातः सन्ध्या 05:09 ए एम से 06:19 ए एम
- अभिजित मुहूर्त 12:03 पी एम से 12:52 पी एम
- विजय मुहूर्त 02:30 पी एम से 03:19 पी एम
- गोधूलि मुहूर्त 06:34 पी एम से 06:57 पी एम
- सायाह्न सन्ध्या 06:35 पी एम से 07:45 पी एम
- अमृत काल 05:41 पी एम से 07:15 पी एम
- निशिता मुहूर्त 00:03 ए एम, मार्च 26 से 00:50 ए एम, मार्च 26
- द्विपुष्कर योग 03:49 ए एम, मार्च 26 से 06:18 ए एम, मार्च 26
चौघड़िया मुहूर्त
- चर - सामान्य 09:23 ए एम से 10:55 ए एम
- लाभ - उन्नति 10:55 ए एम से 12:27 ए एम
- अमृत - सर्वोत्तम 12:27 पी एम से 01:59 पी एम
- शुभ - उत्तम 03:31 पी एम से 05:03 पी एम
- लाभ - उन्नति 08:03 पी एम से 09:31 पी एम
- शुभ - उत्तम 10:59 पी एम से 12:27 ए एम, मार्च 26
- अमृत - सर्वोत्तम 00:27 ए एम से 01:54 ए एम, मार्च 26
- चर - सामान्य 01:54 ए एम से 03:22 ए एम, मार्च 26
उपाय- भगवान विष्णु का आशीर्वाद पाने के लिए विष्णु चालीसा का पाठ करें।
भोग- आज किशमिश, गुड़ और चने की दाल, केला या पंचामृत का भोग लगा सकते हैं। भोग में तुलसी दल डालना न भूलें।
मंत्र- ॐ नमो भगवते वासुदेवाय, ॐ नारायणाय लक्ष्म्यै नमः
विष्णु जी की आरती
ओम जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे।
भक्त जनों के संकट, क्षण में दूर करे॥ ओम जय जगदीश हरे।
जो ध्यावे फल पावे, दुःख विनसे मन का। स्वामी दुःख विनसे मन का।
सुख संपत्ति घर आवे, कष्ट मिटे तन का॥ ओम जय जगदीश हरे।
मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं मैं किसकी। स्वामी शरण गहूं मैं किसकी।
तुम बिन और न दूजा, आस करूं जिसकी॥ ओम जय जगदीश हरे।
तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी।
स्वामी तुम अन्तर्यामी। पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सबके स्वामी॥ ओम जय जगदीश हरे।
तुम करुणा के सागर, तुम पालनकर्ता। स्वामी तुम पालनकर्ता।
मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥ ओम जय जगदीश हरे।
तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति। स्वामी सबके प्राणपति।
किस विधि मिलूं दयामय, तुमको मैं कुमति॥ ओम जय जगदीश हरे।
दीनबंधु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे। स्वामी तुम ठाकुर मेरे।
अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे॥ ओम जय जगदीश हरे।
विषय-विकार मिटाओ, पाप हरो देवा। स्वामी पाप हरो देवा।
श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा॥ ओम जय जगदीश हरे।
श्री जगदीश जी की आरती, जो कोई नर गावे। स्वामी जो कोई नर गावे।
कहत शिवानंद स्वामी, सुख संपत्ति पावे॥ ओम जय जगदीश हरे।
डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। विस्तृत और अधिक जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।