Vat Purnima 2025: कब है वट पूर्णिमा, 10 या 11 जून में कौन-सी है सही तारीख
Vat Purnima 2025: सावित्री जैसी दृढ़ नारी शक्ति की मिसाल बनकर, हर साल वट पूर्णिमा के दिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए वटवृक्ष की पूजा करती हैं। जानिए इस साल कब और कैसे ये व्रत करें।

Vat Purnima 2025: पति की लंबी उम्र और सुखद वैवाहिक जीवन की कामना से जुड़ा वट पूर्णिमा व्रत हर साल हिन्दू महिलाओं के लिए एक खास पर्व बनकर आता है। सावित्री और सत्यवान की प्राचीन पौराणिक कथा पर आधारित इस पर्व में महिलाएं वट (बरगद) के पेड़ की पूजा करती हैं। कहा जाता है कि सावित्री ने अपने तप, संकल्प और प्रेम के बल पर यमराज से अपने पति सत्यवान के प्राण वापस ले लिए थे। उसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए विवाहित महिलाएं वट वृक्ष की पूजा कर अपने पति की दीर्घायु की कामना करती हैं। ध्यान देने वाली बात यह है कि वट पूर्णिमा मुख्यतः महाराष्ट्र, गुजरात और दक्षिण भारत में श्रद्धा से मनाया जाता है, जबकि उत्तर भारत में महिलाएं वट सावित्री अमावस्या पर व्रत करती हैं, जो इस बार 26 मई को मनाया गया।
कब है वट पूर्णिमा व्रत
इस साल यानी 2025 में वट पूर्णिमा व्रत 10 जून को मनाया जाएगा, जबकि इसकी तिथि 11 जून को दोपहर 1:13 मिनट तक रहेगी। व्रत और पूजा की शुरुआत 10 जून की सुबह 11:30 बजे से मानी जा रही है, जो इस दिन को शुभ बनाती है। हालांकि, जो महिलाएं उदया तिथि मानती हैं, वे 10 जून को ही व्रत करना अधिक उपयुक्त मानेंगी।
पूजा के लिए महिलाएं सुबह स्नान करके पहले देवी-देवताओं की आराधना करें और फिर वटवृक्ष के पास जाकर विधिपूर्वक पूजा करें। व्रत के दौरान वटवृक्ष को जल अर्पित करना, धागा बांधना, धूप, दीप, रोली, फूल, फल और मिठाई चढ़ाना परंपरा का हिस्सा है। महिलाएं इस दिन पारंपरिक वस्त्र पहनकर श्रृंगार करती हैं, लेकिन काले रंग के वस्त्र पहनने से बचना चाहिए।
वट पूर्णिमा की लिए ऐसे सजाएं पूजा की थाली
पूजा सामग्री में धूप, दीप, रोली, अक्षत, सिंदूर, फल, मिठाई, लाल धागा, बांस की टोकरी, और सावित्री सत्यवान की मूर्ति का विशेष महत्व होता है। पूजा के अंत में व्रती महिलाएं कथा सुनती हैं और सावित्री व्रत का संकल्प दोहराती हैं।