मारुति की पहली इलेक्ट्रिक कार लॉन्च से पहले ही हुई फेल? जानिए चौंकाने वाला सच
मारुति सुजुकी की पहली इलेक्ट्रिक कार पर बड़ा ब्रेक लग गया है। ये ईवी लॉन्च से पहले ही फेल हो गई है। इसके उत्पादन में भारी कटौती की गई है। आइए इसके पीछे की वजह जानते हैं।

भारत की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी मारुति सुजुकी अपनी पहली फुल इलेक्ट्रिक कार ई-विटारा को लेकर बड़े जोर-शोर से तैयारी कर रही थी। लेकिन, अब लॉन्च से पहले ही इस प्रोजेक्ट पर संकट के बादल छा गए हैं। एक बड़ी अंतरराष्ट्रीय समस्या के चलते कंपनी को शुरुआती दौर में अपनी इस इलेक्ट्रिक गाड़ी का उत्पादन लगभग दो-तिहाई तक कम करना पड़ रहा है। यह खबर उन लाखों लोगों के लिए एक झटका है, जो मारुति की भरोसेमंद और किफायती इलेक्ट्रिक कार का इंतजार कर रहे थे। चलिए इस पूरे मामले को आसान भाषा में समझते हैं।
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कितनी बड़ी है यह कटौती?
मारुति सुजुकी की योजना थी कि वह फाइनेंशियल इयर 2025-26 की पहली छमाही (अप्रैल से सितंबर 2025) में लगभग 26,500 ई-विटारा गाड़ियां बनाएगी। लेकिन, अब एक अंदरूनी दस्तावेज से पता चला है कि कंपनी इस दौरान सिर्फ 8,200 गाड़ियां ही बना पाएगी। यह सीधे-सीधे उत्पादन में 66% से ज्यादा की कटौती है।
आखिर क्यों लेना पड़ा यह फैसला?
इस भारी कटौती की मुख्य वजह 'रेयर अर्थ' (Rare Earth) मैटेरियल्स की भारी कमी है।
यह 'रेयर अर्थ' क्या है?
आसान शब्दों में कहें तो ये कुछ खास तरह के खनिज पदार्थ हैं, जो एडवांस तकनीक के लिए बेहद जरूरी हैं। इलेक्ट्रिक गाड़ियों (EVs) के मामले में इनका इस्तेमाल मोटर में लगने वाले पावरफुल और हल्के चुंबक बनाने के लिए होता है। ये चुंबक मोटर को दमदार बनाते हैं और गाड़ी की परफॉरमेंस तय करते हैं।
संकट का चीन से कनेक्शन
दुनिया में 'रेयर अर्थ' का सबसे बड़ा उत्पादक और निर्यातक चीन है। हाल ही में चीन ने अपने देश से इन खनिजों के निर्यात पर कड़े प्रतिबंध लगा दिए हैं। इस फैसले ने दुनिया भर के ऑटोमोबाइल उद्योग में हड़कंप मचा दिया है, क्योंकि लगभग सभी बड़ी कंपनियां इन खनिजों के लिए चीन पर निर्भर हैं। भारत भी इस संकट से जूझ रहा है और इसी वजह से मारुति को अपनी ई-विटारा (e-Vitara) के उत्पादन में कटौती का फैसला लेना पड़ा है।
मारुति के लिए यह कितना बड़ा झटका है?
यह कटौती मारुति के लिए कई मायनों में एक बड़ी चुनौती है।
EV की दौड़ में पिछड़ने का खतरा
भारत सरकार का लक्ष्य है कि 2030 तक देश में बिकने वाली कुल कारों में 30% इलेक्ट्रिक हों। टाटा मोटर्स और महिंद्रा जैसी कंपनियां इस दौड़ में पहले ही मारुति से काफी आगे निकल चुकी हैं। ई-विटारा (e-Vitara) मारुति का इस बाजार में पहला बड़ा दांव था और इस देरी से कंपनी और पिछड़ सकती है।
बढ़ती प्रतिस्पर्धा
एक तरफ मारुति की गाड़ी में देरी हो रही है, तो दूसरी तरफ टेस्ला (Tesla) जैसी दुनिया की सबसे बड़ी EV कंपनी भी जल्द ही भारत में अपनी गाड़ियां बेचना शुरू कर सकती है। इससे मुकाबला और भी कड़ा हो जाएगा।
वैश्विक योजनाओं पर असर
मारुति की पेरेंट कंपनी सुजुकी मोटर, भारत में बनी e-Vitara को सिर्फ यहीं नहीं, बल्कि यूरोप और जापान जैसे बड़े विदेशी बाजारों में भी बेचने की योजना बना रही थी। उत्पादन में कमी का सीधा असर इन निर्यात योजनाओं पर भी पड़ेगा।
आगे की क्या है योजना?
हालांकि, मारुति ने अभी उम्मीद नहीं छोड़ी है। कंपनी का कहना है कि वह शुरुआती 6 महीनों में हुई उत्पादन की कमी को अगले 6 महीनों (अक्टूबर 2025 से मार्च 2026) में पूरा करने की कोशिश करेगी। इसके लिए बाद में उत्पादन की रफ्तार को बहुत तेजी से बढ़ाया जाएगा, ताकि साल के अंत तक 67,000 गाड़ियां बनाने का कुल लक्ष्य हासिल किया जा सके।
कुल मिलाकर यह घटना दिखाती है कि आज के दौर में दुनिया कितनी जुड़ी हुई है और कैसे एक देश का फैसला दूसरे देश के बाजार और ग्राहकों पर सीधा असर डाल सकता है। अब देखना यह होगा कि मारुति इस 'रेयर अर्थ' संकट से कैसे निपटती है और अपनी इलेक्ट्रिक कार को भारतीय सड़कों पर कब और कैसे सफल बना पाती है।
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