New India EV Policy Reduces Import Duty From 110 To 15 Percent नई EV पॉलिसी को मिली हर झंडी, कारों पर इम्पोर्ट ड्यूटी 110% से घटाकर 15% हुई; ऐसे मिलेगा फायदा, Auto Hindi News - Hindustan
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नई EV पॉलिसी को मिली हर झंडी, कारों पर इम्पोर्ट ड्यूटी 110% से घटाकर 15% हुई; ऐसे मिलेगा फायदा

भारी उद्योग मंत्रालय ने भारत में इलेक्ट्रिक यात्री कारों की मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए पिछले साल अपना प्रस्ताव जारी किया था। अब उस पहल को अंतिम रूप दिया गया है। भारत में इलेक्ट्रिक यात्री कारों के विनिर्माण को बढ़ावा देने की योजना (SPMEPCI) के रूप में पेश किया गया है।

Narendra Jijhontiya लाइव हिन्दुस्तानWed, 4 June 2025 09:58 AM
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नई EV पॉलिसी को मिली हर झंडी, कारों पर इम्पोर्ट ड्यूटी 110% से घटाकर 15% हुई; ऐसे मिलेगा फायदा

भारी उद्योग मंत्रालय ने भारत में इलेक्ट्रिक यात्री कारों की मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए पिछले साल अपना प्रस्ताव जारी किया था। अब उस पहल को अंतिम रूप दिया गया है। भारत में इलेक्ट्रिक यात्री कारों के विनिर्माण को बढ़ावा देने की योजना (SPMEPCI) के रूप में पेश किया गया है। इस योजना के अनुसार, पात्र कार निर्माता को 110% से 15% तक कम इम्पोर्ट ड्यूटी का लाभ मिलेगा। 15% की कम आयात शुल्क का लाभ उठाने के लिए, कार निर्माताओं को भारत में EV का निर्माण करने के लिए प्रतिबद्ध होना होगा। यह प्रतिबद्धता 500 मिलियन अमरीकी डॉलर (लगभग 4,150 करोड़ रुपए) के अनिवार्य निवेश के माध्यम से आएगी, जिसे तीन साल के भीतर किया जाना है।

हालांकि, पहले किए गए किसी भी निवेश को 4,150 करोड़ रुपए के अनिवार्य नए निवेश में शामिल नहीं किया जा सकता है। अगर ये शर्तें पूरी होती हैं, तो कार निर्माता 5 साल के लिए कम आयात शुल्क का लाभ उठा सकता है। भारत की नई ईवी योजना में भाग लेने वालों को सालाना टर्नओवर माइलस्टोन भी हासिल करने होंगे। उदाहरण के लिए, दूसरे साल तक टर्नओवर 2,500 करोड़ रुपए होना चाहिए।

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इसी तरह, चौथे और पांचवें साल के टर्नओवर माइलस्टोन क्रमशः 5,000 करोड़ रुपए और 7,500 करोड़ रुपए हैं। निर्माताओं को स्थानीयकरण को भी प्रगतिशील तरीके से बढ़ाने की जरूरत है। तीसरे साल तक, लोकल मैन्युफैक्चरिंग के माध्यम से स्थानीय मूल्य संवर्धन 25% होना चाहिए। पांचवें साल के अंत तक, स्थानीयकरण मूल्य 50% तक बढ़ जाना चाहिए।

भारत में मौजूदा ईवी निर्माताओं के हितों की रक्षा के लिए, 15% की कम आयात शुल्क केवल 35,000 अमेरिकी डॉलर या लगभग 30 लाख रुपए से अधिक कीमत वाले ईवी पर लागू होगी। यह सीमा यह सुनिश्चित करने में मदद करेगी कि मुख्यधारा के बाजार में उपलब्ध ईवी का वर्तमान सेट डंपिंग जैसे अनुचित व्यापार प्रथाओं से सुरक्षित रहे। इस समूह में स्थानीय रूप से निर्मित इलेक्ट्रिक कारें जैसे कि महिंद्रा XEV 9e, BE 6, टाटा हैरियर EV, पंच EV, नेक्सन EV, कर्व EV, MG विंडसर, हुंडई क्रेटा इलेक्ट्रिक आदि शामिल हैं। इसमें मारुति ई-विटारा, सिएरा EV जैसे अपकमिंग विकल्प भी शामिल हैं।

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कम आयात शुल्क का लाभ उठाने के लिए हर साल 8,000 यूनिट की सीमा भी है। इस संख्या से परे 110% का स्टैंडर्ड इम्पोर्ट ड्यूटी लागू होगी। SPMPCI ने यह भी उल्लेख किया है कि कुल बचत 6,484 करोड़ रुपए या किए गए वास्तविक निवेश से अधिक नहीं हो सकती है। यदि कोई अप्रयुक्त वार्षिक कोटा है, तो उसे अगले साल के लिए आगे बढ़ाया जा सकता है। SPMPCI दस्तावेज में प्रारंभिक निवेश के तहत गिने जा सकने वाले खर्चों का विवरण भी दिया गया है। इसमें अनुसंधान और विकास सुविधाओं, मशीनरी और विनिर्माण उपकरणों से संबंधित खर्च शामिल हैं। चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़े खर्चों के लिए कुल निवेश का 5% तक माना जाएगा।

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