ASHA Workers Launch House-to-House Kala-azar Patient Search Campaign in Bihar प्रभावित गांवों में घर-घर कालाजार रोगी खोज अभियान शुरू, Ara Hindi News - Hindustan
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प्रभावित गांवों में घर-घर कालाजार रोगी खोज अभियान शुरू

-घर-घर जाकर आशा कार्यकर्ताएं खोज रही हैं कालाजार के लक्षण वाले मरीज अभियान के तहत सोमवार को एक

Newswrap हिन्दुस्तान, आराMon, 2 June 2025 08:52 PM
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प्रभावित गांवों में घर-घर कालाजार रोगी खोज अभियान शुरू

-घर-घर जाकर आशा कार्यकर्ताएं खोज रही हैं कालाजार के लक्षण वाले मरीज -सदर प्रखंड में दो, बिहिया व जगदीशपुर प्रखंड के एक-एक गांव में चल रहा अभियान आरा, हिन्दुस्तान प्रतिनिधि। कालाजार उन्मूलन कार्यक्रम को ले प्रभावित गांवों में घर-घर रोगी खोज अभियान शुरू किया गया है। हाल ही में जिले में प्रभावित इलाकों में इंडोर रेसिडेंशियल स्प्रे (आईआरएस) के तहत दवाओं का छिड़काव किया गया था। वहीं जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यालय की ओर से अब प्रभावित गांवों में घर-घर कालाजार रोगी खोज अभियान शुरू किया गया है। इसके तहत प्रभावित गांव व वार्ड में आशा कार्यकर्ताएं घर घर जाकर परिवार के सदस्यों में कालाजार के लक्षण की जांच करेंगी।

साथ ही उसकी रिपोर्ट संबंधित प्रखंड अंतर्गत प्राथमिक या सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र को देंगी। वहीं खोज अभियान के दौरान यदि किसी में कालाजार के लक्षण दिखाई देते है तो स्वास्थ्य टीम उक्त मरीज के घर जाकर लक्षणों की जांच करेगी। इसमें कालाजार की पुष्टि होने पर उसका इलाज शुरू किया जाएगा। इस संबंध में प्रभारी जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी सह जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ संजय कुमार सिन्हा ने बताया कि जिले के प्रभावित चार गांव व वार्ड में कालाजार रोगी खोज अभियान चलाया जा रहा है। इनमें बिहिया प्रखंड अंतर्गत मोती रामपुर गांव, जगदीशपुर प्रखंड के सियारुंवा गांव, आरा ग्रामीण में जमीरा व आरा शहरी में धरहरा गांव शामिल हैं। इन गांवों में 15 जून तक अभियान चलाया जाएगा। इसका प्रतिदिन अनुश्रवण किया जाएगा। 20 एनटीडी रोगों में कालाजार भी शामिल डीआईओ ने बताया कि कालाजार के संबंध में लोगों को यह बात जाननी जरूरी है कि इस बीमारी से पूरी तरह से ठीक हो चुके मरीज दोबारा से इसकी चपेट में आ सकते हैं। ऐसे में मरीज के शरीर पर त्वचा संबंधी लीश्मेनियेसिस रोग होने की संभावना रहती है। इसे त्वचा का कालाजार (पीकेडीएल) भी कहा जाता है। पीकेडीएल का इलाज पूर्ण रूप से किया जा सकता है। इसके लिए लगातार 12 सप्ताह तक दवा का सेवन करना पड़ता है। साथ ही इलाज के बाद मरीज को चार हजार रुपये का आर्थिक अनुदान भी सरकार की ओर से दिया जाता है। पीकेडीएल से बचने के लिए मरीजों को कालाजार के इलाज के दौरान दवाओं का कोर्स पूरा करने की सलाह दी जाती है।

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