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बोले आरा : शिक्षकेतर कर्मियों को पद प्रोन्नति और समय पर वेतन मिले

आरा स्थित वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय और इसके अंगीभूत कॉलेजों में कर्मचारियों की कमी से कार्यों में विलंब हो रहा है। 1119 स्वीकृत पदों में से केवल 366 कर्मी कार्यरत हैं। शिक्षकेतर कर्मचारियों पर...

Newswrap हिन्दुस्तान, आराSun, 8 June 2025 12:42 AM
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बोले आरा : शिक्षकेतर कर्मियों को पद प्रोन्नति और समय पर वेतन मिले

आरा स्थित वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय और इसके अंगीभूत कॉलेजों में कर्मचारियों की काफी कमी है। कर्मचारियों की कमी से इसका असर विश्वविद्यालय और इसके कॉलेजों पर पड़ रहा है। कर्मचारियों की कमी के कारण वर्तमान में कार्यरत कर्मचारियों पर कार्यभार बढ़ गया है। अत्यधिक कार्यभार से समय पर काम नहीं हो पा रहा है। एक-दो कॉलेजों को छोड़कर अन्य जगह कर्मियों की कमी है। इस कारण विश्वविद्यालय एवं कॉलेजों की प्रशासनिक और कार्यालय की गतिविधियों पर प्रतिकूल असर पड़ा है और कार्यों को निपटाने में विलंब हो रहा है। कर्मियों को प्रोन्नति का भी इंतजार है। प्रोन्नति नहीं मिलने से एक ही जगह कार्य करने की विवशता है।

वहीं काउंटर पर पर्याप्त संख्या में कर्मी नहीं रहने से कार्यालय का कार्य बाधित हो रहा है। कुछ कॉलेज तो ऐसे हैं, जहां इक्का-दुक्का ही नियमित कर्मचारी हैं। आपके अपने प्रिय अखबार के बोले आरा संवाद में आरा स्थित एचडी जैन कॉलेज में शिक्षकेतर कर्मचारियों ने अपनी समस्याओं को साझा किया। काम के दबाव के बीच शिक्षकेतर कर्मचारियों को काम करने की विवशता है। विश्वविद्यालय प्रशासन का दबाव अलग रहता है। पत्र निर्गत करने के 24 घंटे के अंदर प्रतिवेदन उपलब्ध कराने का निर्देश प्राप्त होता है। विद्यार्थियों के कॉलेज परित्याग प्रमाण पत्र देने, अंक पत्र वितरित करने, आवेदन और फॉर्म जमा करने में परेशानी होती है। बता दें कि विश्वविद्यालय में कर्मियों की कमी से संचिका के निष्पादन में समय लग रहा है। यही स्थिति कॉलेजों की भी है। कॉलेजों में भी कर्मचारियों की कमी से विभाग और काउंटर के कार्यों पर असर पड़ रहा है। कुछ कॉलेज तो ऐसे हैं, जहां शिक्षकों को कर्मचारियों का कार्य करना पड़ रहा है। अधिकतर कॉलेजों में आदेशपाल भी नहीं हैं। बता दें कि परीक्षा और कई महत्वपूर्ण मौकों के समय तो दस घंटे से अधिक कर्मियों को कॉलेजों और शाखाओं में काम करना पड़ता है। शिक्षकेतर कर्मचारी संघ के संरक्षक शशि रंजन ने बताया कि कर्मियों की पीड़ा इस रूप में समझी जा सकती है कि शाहाबाद के 17 अंगीभूत महाविद्यालयों में एक-दो कॉलेज को छोड़कर हर जगह सृजित पद से काफी कम कर्मचारी हैं। अनुमंडलीय डिग्री कॉलेजों को अंगीभूत कॉलेज का दर्जा तो मिल गया, लेकिन नौहट्टा और शाहपुर कॉलेज में कर्मचारी तक नहीं हैं। ऐसे में उम्मीद लगाई जा रही होगी कि किस तरह कार्य होता होगा। 17 कॉलेजों में 1119 पद स्वीकृत, कार्यरत 366 वीर कुंवर सिंह विवि अंतर्गत 17 अंगीभूत कॉलेजों में कर्मचारियों के 1119 पद स्वीकृत हैं, जबकि 753 कर्मचारियों के पद रिक्त हैं। कार्यरत कर्मियों की संख्या 366 है। वहीं, तीन अनुमंडलीय डिग्री कॉलेजों में भी सरकार की ओर से कर्मचारियों का पद सृजित किया गया है। इसमें नौहट्टा और शाहपुर कॉलेज मूर्त रूप में आ चुका है। बावजूद यहां स्थायी नियुक्ति नहीं की गयी है। तीनों डिग्री कॉलेजों में 39 पद स्वीकृत हैं, जबकि दो कॉलेज जो मूर्त रूप में आ गये हैं, वहां कार्यरत कोई भी नहीं है। एसबी कॉलेज के रमेश कुमार राय और जगजीवन कॉलेज के मनोज श्रीवास्तव कॉलेज बताते हैं कि कॉलेजों में शिक्षण कार्य को छोड़कर अन्य सभी कार्यों के निष्पादन की जिम्मेदारी शिक्षकेतर कर्मचारियों पर ही होती है। कॉलेज के अभिलेख व प्रतिवेदन उपल्ध कराने की जिम्मेदारी इन्हीं पर होती है। इसी प्रकार छात्रों से जुड़े मुख्य कार्य जैसे नामांकन पंजीयन, परीक्षा फॉर्म भरने, परीक्षा संचालन, अंकपत्र व मूल प्रमाण पत्र वितरण कार्य, कॉलेज परित्याग प्रमाण पत्र, स्थानांतरण प्रमाण पत्र, छात्रवृत्ति, प्रोत्साहन योजना की राशि का वितरण आदि कार्य इनके जिम्मे ही होता है। वहीं विभिन्न तरह के उपकरणों का संग्रहण, वितरण, भंडारण, कैशबुक आदि का संधारण भी इनके द्वारा ही किया जाता है। कॉलेज कर्मी बताते हैं कि वर्कलोड का दबाव इस कदर रहता है कि इसका साफ असर परिवार पर पड़ता है। इसके अलावा कॉलेज कर्मी ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, मानसिक बीमारी आदि का शिकार हो रहे हैं। विश्वविद्यालय प्रशासन व कॉलेज प्रशासन को ऐसा वातावरण उपलब्ध कराना चाहिए ताकि कॉलेजकर्मी भयमुक्त माहौल में काम कर सकें। आये दिन कुछ लोग भी अनावश्यक कार्य का दबाव बनाते हैं। विवि मुख्यालय में 148 पद स्वीकृत वीर कुंवर सिंह विवि मुख्यालय में 148 पद स्वीकृत हैं, जबकि 31 कर्मचारी ही कार्यरत है। यहां कुल 117 पद रिक्त हैं। विवि मुख्यालय के प्रशासनिक और पीजी विभागों में कर्मियों के नहीं रहने के कारण संचिकाओं का निपटारा भी समय पर नहीं हो पाता है। वित्त शाखा, स्थापना शाखा, संबंधन शाखा, पेंशन शाखा में कर्मियों की भारी कमी है। स्वीकृत पदों के विरुद्ध 15 फीसदी कर्मी भी नहीं वीर कुंवर सिंह विवि के पीजी और विभिन्न अंगीभूत कॉलेजों में कुल स्वीकृत पद के करीब 15 फीसदी भी कर्मचारी नहीं हैं। राज्य सरकार के स्तर से शिक्षकेतर कर्मचारियों की बहाली नहीं हो रही है। कई बार बहाली किये जाने को लेकर विवि से रिक्त पदों का डाटा मांगा गया, लेकिन बहाली की कोई सुगबुगाहट नहीं है। इधर, कर्मियों की कमी से पीजी विभाग और कॉलेजों में कार्य प्रभावित हो रहा है। कॉलेजों की स्थिति यह है कि कई विभाग बिना कर्मी के सहारे संचालित हो रहे है। कर्मचारियों की ओर से किये जाने वाले कुछ कार्यों को शिक्षक कर रहे हैं। इधर, कुछ जगह स्थिति यह है कि एक कर्मी के जिम्मे दो से तीन विभाग संचालित हैं। कई कॉलेज ऐसे हैं, जहां स्वीकृत पद की तुलना में आधे भी कर्मी नहीं है। जबकि, कुछ जगह इकाई के आंकड़े में कर्मचारी कार्यरत हैं। इनमें एमएम महिला कॉलेज आरा, एसएन कॉलेज शाहमल खैरा देव और रोहतास महिला कॉलेज सासाराम शामिल हैं। कर्मियों की कमी से कॉलेज का कार्य कैसे और किस प्रकार संचालित होता होगा, यह समझा जा सकता है। स्थापना के बाद नहीं हुई है नियुक्ति वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय के तीन दशक से अधिक समय बीत गये हैं। कर्मियों की नियुक्ति की बात करें तो वर्ष 1981 के बाद सरकार स्तर से कर्मियों की बहाली नहीं हुई है। वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय मगध विश्वविद्यालय से हटकर 1992 में बना, लेकिन स्थापना के बाद से यहां कोई बहाली नहीं हुई। अनुकंपा पर नियुक्त कर्मियों की संख्या ही अधिक है। पूर्व में बहाल कर्मी धीरे-धीरे रिटायर हो रहे हैं। स्थापना के समय से ही कर्मचारियों की कमी का सामना विश्वविद्यालय कर रहा है। अभी तक विश्वविद्यालय में कॉलेजों से प्रतिनियुक्त कर्मचारियों और आउटसोर्सिंग कर्मियों की ओर से काम चलाया जा रहा है। कई कॉलेज ऐसे हैं, जहां कर्मचारी नगण्य रह गये हैं। आवश्यक कदम उठाए जाने की मांग विश्वविद्यालय कर्मचारी संघ के पूर्व प्रक्षेत्रीय अध्यक्ष चितरंजन प्रसाद सिंह ने बताया कि विश्वविद्यालय और कॉलेजों में कर्मचारियों की संख्या बढ़ाने की दिशा में सरकार को जल्द से जल्द कदम उठाए जाने चाहिए, ताकि कार्यालयी कामकाज में सुधार हो सके और छात्रों की आवश्यकताएं भी समय पर पूरी की जा सकें। बताया कि स्वीकृत पदों को भी बढ़ाने की आवश्यकता है, क्योंकि हाल के दिनों में विद्यार्थियों की संख्या बढ़ी है। सुझाव और शिकायतें सुझाव 1. कॉलेजों में महिला कर्मियों के लिए अलग से शौचालय की व्यवस्था नहीं रहने से परेशानी होती है। 2. शिक्षकेतर कर्मचारियों के लिए बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर की व्यवस्था विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से हो। 3. सृजित पदों के अनुरूप कर्मियों के नहीं रहने से शिक्षकेतर कर्मचारियों पर वर्कलोड बहुत अधिक रहता है। 4. शिक्षकेतर कर्मियों से निर्देश के विपरीत काम नहीं कराया जाये 5. शिक्षकेतर कर्मियों को पद प्रोन्नति देने का कार्य जल्द से जल्द पूरा किया जाए शिकायत 1. कॉलेजों में सृजित पद के अनुरूप शिक्षकेतर कर्मचारियों की नियुक्ति नहीं हो रही है 2. शिक्षकेतर कर्मचारियों के वेतन का भुगतान समय पर नहीं हो पा रहा है, इसे किया जाना चाहिए। 3. शिक्षकेतर कर्मचारियों की मांगों के आलोक में न्यायालय की ओर से जारी न्यायादेश का अनुपालन सुनिश्चित हो। 4. महाविद्यालय परिसर में अनुशासन का माहौल बने। असामाजिक तत्वों पर अंकुश लगे। 5. सेवानिवृत्ति के बाद शिक्षकेतर कर्मचारियों के सेवांत लाभ के भुगतान में पेच को खत्म किया जाये। हमारी भी सुनिए शिक्षकेतर कर्मचारियों को राज्य सरकार के कर्मियों के अनुरूप वेतन मिलना चाहिए। लेकिन, व्यवहार में ऐसा नहीं होता है। सेवांत लाभ प्राप्त करने में भी पसीने छूट जाते हैं। वीरेंद्र कुमार सिंह सरकार को चाहिए कि कर्मियों का वेतन समय पर जारी करे। एक तो वेतन कम मिलता है, वहीं समय पर वेतन की राशि जारी नहीं होती है। इससे कर्मियों को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ता है। सुरेन्द्र प्रसाद वर्कलोड के दबाव के बीच शिक्षकेतर कर्मचारियों को काम करने की विवशता है। विश्वविद्यालय प्रशासन का दबाव अलग रहता है। पत्र निर्गत होने के 24 घंटे के अंदर प्रतिवेदन उपलब्ध कराने का निर्देश प्राप्त होता है। ऐसे में शिक्षकेतर कर्मचारी काफी परेशानी महसूस करते हैं। राजेश ठाकुर कॉलेज का अभिलेख व प्रतिवेदन उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी शिक्षकेतर कर्मचारियों पर होती है। नामांकन पंजीयन, परीक्षा फॉर्म भरने, परीक्षा संचालन, अंकपत्र व मूल प्रमाण पत्र वितरण कार्य, कॉलेज परित्याग प्रमाण पत्र, स्थानांतरण प्रमाण पत्र, छात्रवृत्ति, प्रोत्साहन योजना की राशि का वितरण आदि कार्य इनके जिम्मे ही होता है। अभिषेक पंकज वर्कलोड का दबाव इस कदर रहता है कि इसका साफ असर परिवार पर पड़ता है। पारिवारिक कलह बढ़ जाती है। इसके अलावा कॉलेज कर्मी ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, मानसिक बीमारी आदि का शिकार हो रहे हैं। विश्वविद्यालय प्रशासन को इस पर विचार करने की जरूरत है। पिंटू कुमार अंकेक्षण के समय भी शिक्षकेतर कर्मचारियों को ही अंकेक्षण दल का जवाब देना पड़ता है। भयमुक्त माहौल की जरूरत है। बहुत सारे कर्मी एक ही जगह सेवा देते रहते हैं। समय अंतराल पर टेबल ट्रांसफर आवश्यक है। राजीव रंजन प्रताप वेतन समय पर नहीं मिलने और वेतन विसंगति की भी शिकायत है। शिक्षकेतर कर्मचारियों को राज्य सरकार के कर्मियों के अनुरूप वेतन मिलना चाहिए। लेकिन, व्यवहार में ऐसा नहीं होता है। सेवांत लाभ प्राप्त करने में भी पसीने छूट जाते हैं। परवेज आलम - विश्वविद्यालय प्रशासन व कॉलेज प्रशासन को ऐसा वातावरण उपलब्ध कराना चाहिए ताकि कॉलेजकर्मी भयमुक्त माहौल में काम कर सकें। एक तो कर्मियों की काफी कमी कॉलेजों में है। दूसरी ओर काफी कम समय में रिपोर्ट उपलब्ध कराने का निर्देश दिया जाता है। अमरेंद्र उपाध्याय कॉलेजों में कर्मियों के लिए अलग से शौचालय की व्यवस्था नहीं रहने से परेशानी होती है। एक तो पहले से ही शौचालयों की कमी रहती है। दूसरी ओर कर्मियों के लिए अलग से शौचालय की सुविधा नहीं रहती है। इससे कर्मियों को फजीहत होती है। विजय कुमार मंडल शिक्षकेतर कर्मचारियों की मांगों के आलोक में न्यायालय की ओर से जारी न्यायादेश का अनुपालन सुनिश्चित हो। सेवांत लाभ के मामले में कोर्ट का स्पष्ट निर्देश है कि इसमें कोई आधार नहीं बनाया जा सकता है। बावजूद इसके कर्मियों को भटकने की नौबत होती है। सुनील कुमार सेवानिवृत्ति के बाद शिक्षकेतर कर्मचारियों के सेवांत लाभ के भुगतान में पेच को खत्म किया जाये। विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से इस मामले में उचित पहल करने की जरूरत है। कृष्ण कुमार भास्कर महाविद्यालय परिसर में अनुशासन का माहौल बने। असामाजिक तत्वों पर अंकुश लगना चाहिए। कुछ लड़के अराजकता का माहौल बनाते हैं। छात्रों के मूल प्रमाण पत्र, अंक प्रमाण पत्र आदि को गलत तरीके से उपलब्ध कराने के लिए दबाव डालते हैं। सुमीर कुमार कॉलेजों में सृजित पद के अनुरूप शिक्षकेतर कर्मचारियों की नियुक्ति की पहल होनी चाहिए। शिक्षकेतर कर्मचारियों को परीक्षा के समय दस से 12 घंटे तक काम करना पड़ता है। इससे वे दबाव में कई तरह की बीमारियों का शिकार हो रहे हैं। आदेश कुमार शिक्षकेतर कर्मचारियों के लिए बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर की व्यवस्था विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से हो। अब ऑनलाइन व्यवस्था बहाल हो रही है। इसलिए सभी तरह की सुविधा मुहैया कराई जाये। अनिल कुमार पूर्व में जो समझौता हुआ है, उसे लागू नहीं किया जाता है। नियमित और पूर्ण वेतन भुगतान सुनिश्चित करने की पहल होनी चाहिए। कर्मियों की समस्याओं के निदान सहित अन्य मांगों को पूरा करने की आवश्यकता है। प्रेम कुमार प्रोन्नति को लेकर लगातार प्रदर्शन हुआ, जिसके बाद परीक्षा ली गई है। विश्वविद्यालय को चाहिए कि अब प्रोन्नति को लेकर आगे की प्रक्रिया पूरी कर अधिसूचना जारी करे। कर्मियों की सभी मांगों का निपटारा समय पर होना चाहिए। शशिरंजन कुमार विवि में कर्मियों को प्रोन्नति नहीं मिलने के कारण प्रशाखा पदाधिकारी तक कार्यालयों में नहीं है। कॉलेजों में भी प्रधान सहायक नहीं है। अगर प्रोन्नति मिलती है, तो प्रशाखा पदाधिकारी और सहायक की संख्या बढ़ जायेगी। रमेश राय नई नियुक्ति नहीं होने से कर्मचारियों पर कार्य का दबाव रहता है। कॉलेज से लेकर वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय का भी दबाव बना रहता है। सरकार को चाहिए कि नई नियुक्ति की जाए, जिससे वर्क लोड समाप्त हो। रमैया कुमार सिंह कॉलेज में कर्मियों की संख्या बढ़ाए जाने की अधिक आवश्यकता है। एक कर्मचारी को कई कार्य करने पड़ते हैं। अनुमंडलीय डिग्री कॉलेजों में भी कर्मचारी की नियुक्ति होनी चाहिए। शैलेश कुमार सृजित पदों के अनुरूप कर्मियों के नहीं रहने से शिक्षकेतर कर्मचारियों पर वर्कलोड बहुत अधिक रहता है। सृजित पद विद्यार्थियों की वर्तमान संख्या के अनुरूप बढ़ना चाहिए। वर्तमान में कर्मियों की संख्या बहुत ही कम है। मनोज श्रीवास्तव

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