अश्विनी चौबे ने कर दी मन की बात, नीतीश कुमार डिप्टी पीएम हों तो…
- बिहार विधानसभा चुनाव से पहले हर तरफ चल रही उठापटक के बीच भाजपा के बुजुर्ग नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे को जेडीयू अध्यक्ष और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार में देश का डिप्टी पीएम नजर आने लगा है।

बिहार में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने विधानसभा चुनाव से पहले जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के अध्यक्ष और राज्य के सीएम नीतीश कुमार को लेकर उप-प्रधानमंत्री वाला एक बयान देकर पटना से दिल्ली तक खलबली मचा दी है। नीतीश की पार्टी जेडीयू ने फौरन भाजपा नेता को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के बयान की याद दिलाई और कहा कि राज्य की जनता नीतीश कुमार को उम्मीद भरी निगाहों से देखती हैं और भाजपा, लोजपा, रालोमो समेत सभी सहयोगी दलों को इस बात का अहसास है। अश्विनी चौबे ने कुछ समय पहले नीतीश कुमार के बेटे निशांत कुमार को सीएम मैटेरियल बताया था।
बक्सर में बुधवार को कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर के कार्यक्रम की शुरुआत के मौके पर पहुंचे अश्विनी चौबे ने एक सवाल के जवाब में नीतीश को डिप्टी पीएम बनाने जैसी बात कही। कांग्रेस के करीब चल रहे पूर्णिया के निर्दलीय सांसद पप्पू यादव के एक बयान को लेकर चौबे से पत्रकारों ने सवाल किया था। पप्पू यादव ने कहा था कि क्षेत्रीय दल बीजेपी से कम और कांग्रेस से ज्यादा लड़ाई लड़ते हैं। अश्विनी चौबे ने सीधे तौर पर पप्पू यादव के बयान का जवाब देने के बजाए नीतीश कुमार को लेकर बयान दे दिया. चौबे ने कहा कि नीतीश कुमार ने लंबे समय तक एनडीए के संयोजक की भूमिका निभाई है और यदि उन्हें उप-प्रधानमंत्री का दर्जा दिया जाता है तो यह बिहार के लिए गर्व की बात होगी।
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चौबे का कहना था कि अगर ऐसा होता है तो यह बिहार के लिए बहुत फायदेमंद होगा, क्योंकि यह सम्मान जगजीवन राम के बाद बिहार को दूसरी बार मिलेगा। चौबे के बयान से बिहार की राजनीति में हलचल मचने की संभावना है। पप्पू यादव पर तंज कसते हुए चौबे ने कहा कि ऐसे बहुत लोग हैं, जिस पर वो टिप्पणी नहीं करना चाहते। ऐसे लोग धरती पर आते हैं और चले जाते हैं।
नीतीश कुमार के भविष्य पर क्या है भाजपा का स्टैंड?
अश्विनी चौबे का यह बयान बीजेपी नेताओं के भीतर नीतीश के भविष्य को लेकर चल रहे मंथन का एक इशारा है। लेकिन पार्टी का आधिकारिक रुख बड़े नेताओं द्वारा कई मौके पर साफ किया जा चुका है कि 2025 का विधानसभा चुनाव नीतीश कुमार के नेतृत्व में लड़ा जाएगा। अमित शाह ने 30 मार्च को पटना में एक सार्वजनिक समारोह में कहा था- “2025 में मोदी और नीतीश के नेतृत्व में बिहार में एक बार फिर एनडीए की सरकार बनाइए और भारत सरकार को बिहार के विकास का मौका दीजिए।”
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जेडीयू के प्रवक्ता नीरज कुमार ने अश्विनी चौबे के बयान पर सीधा जवाब देने से यह कहकर मना कर दिया कि कौन क्या बोलता है, ये उनका विषय नहीं है। उन्होंने गृहमंत्री के पटना में दिए भाषण का जिक्र करते हुए कहा- “अमित शाह ने सार्वजनिक रूप से कहा है कि 2025 का चुनाव नीतीश कुमार के नेतृत्व में लड़ा जाएगा। नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार की राजनीतिक जोड़ी ने विपक्ष को राजनीतिक रूप से लकवाग्रस्त घोषित करा दिया। 30 सीटों पर हम लोकसभा चुनाव में शानदार विजय पताका फहराए। 174 से ज्यादा सीटों (विधानसभा) पर हमारी बढ़त है। नीतीश जनता की उम्मीद हैं। उम्मीद भरी निगाहों से जनता देखती है। जिसका भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व हो, लोजपा का केंद्रीय नेतृत्व हो, राष्ट्रीय लोक मोर्चा का केंद्रीय नेतृत्व हो, तमाम सहयोगी पार्टियों को इस बात का अहसास है।”
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इस बीच, गुरुवार की सुबह नीतीश कुमार सीएम आवास से निकले और अपने भरोसेमंद मंत्रियों विजय चौधरी और अशोक चौधरी से मिलने उनके आवास गए। नीतीश अपने प्रधान सचिव दीपक कुमार से भी मिलने गए। राज्य की राजनीति में इस समय वक्फ कानून को जेडीयू के समर्थन को लेकर राजनीति तेज है। विपक्षी नीतीश और जेडीयू की सेकुलर राजनीति पर सवाल उठा रहा है। राज्य के कई मुस्लिम नेता भी जेडीयू की आलोचना कर रहे हैं। इसको लेकर मंत्री अशोक चौधरी ने बुधवार को कहा था कि जेडीयू को मौलाना की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा था कि नीतीश ने भाजपा के साथ रहते हुए भी 20 साल में अल्पसंख्यकों के हितों की जो रक्षा की है, वो औकात देश में किसी नेता की नहीं है।