लकड़ी के घोंसलों से पक्षियों की चहचहाहट लौटाने की कवायद
पर्यावरण संरक्षण की मिसाल पिता-पुत्र की जोड़ी, पक्षियों के लिए की दाना-पानी की व्यवस्थाक्षण के प्रयास में लगे रहते हैं। सुमन शेखर को पक्षियों, खासकर गौरैया जैसे विलुप्त हो रही प्रजातियों के प्रति गहरा...

कुटुंबा प्रखंड के चिरैयाटांड़ गांव के एक पिता-पुत्र की जोड़ी पर्यावरण संरक्षण की अनूठी मिसाल पेश कर रही है। सुमन शेखर और उनके पिता राजकुमार सिंह को पक्षियों और पेड़ों से लगाव है। वे हर पल इसके संरक्षण के प्रयास में लगे रहते हैं। सुमन शेखर को पक्षियों, खासकर गौरैया जैसे विलुप्त हो रही प्रजातियों के प्रति गहरा लगाव है। उन्होंने पक्षियों के लिए लकड़ी के घोंसले बनाए और इन्हें पेड़ों व बिजली के खंभों पर लगाया। वे इन घोंसलों को दूसरों को भी बांटते हैं, ताकि अधिक से अधिक लोग पक्षी संरक्षण में योगदान दें। विश्व पर्यावरण दिवस पर उन्होंने सैकड़ों घोंसले बांटे।
इसके अलावा, सुमन ने घर की छत पर पक्षियों के लिए दाना-पानी की व्यवस्था की है, जिससे आसपास पक्षियों की चहचहाहट गूंजने लगी है। सुमन को यह प्रेरणा अपने पिता राजकुमार सिंह से मिली, जो पर्यावरण संरक्षण के प्रति समर्पित हैं। राजकुमार ने अपने गांव और आसपास के क्षेत्रों में पीपल जैसे सैकड़ों पेड़ लगाए हैं।
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