बालू और धूल ने दाउदनगर के लोगों की परेशानी बढ़ाई
दाउदनगर में सड़क किनारे लगा हुआ है बालू का ढेर र इन दिनों बालू डस्ट के संकट से जूझ रहा है। दाउदनगर-गया रोड, दाउदनगर-भखरूआं बाजार रोड और औरंगाबाद-

दाउदनगर शहर इन दिनों बालू डस्ट के संकट से जूझ रहा है। दाउदनगर-गया रोड, दाउदनगर-भखरूआं बाजार रोड और औरंगाबाद-पटना मुख्य मार्ग सहित शहर की कई मुख्य और आंतरिक सड़कों पर बालू का महीन डस्ट जमा है। यह न केवल आमजनों के लिए असुविधा का कारण बना हुआ है, बल्कि लगातार हो रही छोटी-बड़ी दुर्घटनाओं ने लोगों की चिंता और आक्रोश दोनों को बढ़ा दिया है। जगह-जगह जमा धूल ने सड़क की रंगत ही बदल दी है। सड़कों की पक्की सतह अब धूल से ढंकी हुई है। हवा चलने पर यह धूल उड़कर लोगों के मुंह, आंख और कपड़ों पर जम जाती है।
व्यवसायिक इलाकों में दुकानदारों को दिनभर अपनी दुकानें साफ करनी पड़ती हैं पर धूल से राहत नहीं मिलती। इस बालू डस्ट की सबसे खतरनाक स्थिति तब उत्पन्न होती है। जब दोपहिया या तिपहिया वाहन इस पर से गुजरते हैं। सड़क की सतह पर फिसलन इतनी बढ़ गई है कि बाइक व स्कूटी जैसे हल्के वाहन संतुलन खो बैठते हैं। अनुमंडल अस्पताल के डॉ राजेश कुमार सिंह का कहना है कि यह डस्ट अत्यंत सूक्ष्म होता है, जो फेफड़ों में जाकर श्वसन रोगों को जन्म देता है। खासकर बच्चे, वृद्ध, गर्भवती महिलाएं और दमा के मरीज इस प्रदूषण से सबसे अधिक प्रभावित हो रहे हैं। स्थानीय दुकानदार भोला सिंह का कहना है कि यह समस्या मुख्य रूप से रेत और बालू ढोने वाले ट्रैक्टरों और ट्रकों के कारण उत्पन्न हुई है। अधिकतर वाहन खुले में बालू लेकर चलते हैं जिससे चलते समय बालू सड़क पर गिरती रहती है। गिरने के बाद कोई सफाई नहीं होती और महीनों तक यह बालू सड़क पर ही रह जाती है। यही बालू बाद में धूल बनकर लोगों की जान की आफत बन रही है। शहर के आंतरिक इलाके जैसे बाजार रोड, नहर रोड, इन सड़कों से प्रतिदिन हजारों लोग महिलाएं, बच्चे, छात्र, बुजुर्ग आवागमन करते हैं।
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