मिलावटी दूध व मिठाइयों पर लगे रोक, नियमित जांच की हो व्यवस्था
बेतिया शहर में दुकानदार पाउडर वाले दूध से मिठाई बनाने के लिए मजबूर हैं। ग्राहकों का कहना है कि इस दूध से बने पनीर और दही का स्वाद खराब है। मिलावटी दूध से बनी मिठाइयों से किडनी पर बुरा प्रभाव पड़ता है।...
जिला मुख्यालय बेतिया शहर में पाउडर वाले दूध से मिठाई बनाने के लिए दुकानदार मजबूर हैं। दुकानदारों के साथ ग्राहकों का कहना है कि इस दूध से बनने वाले पनीर और दही में कोई स्वाद नहीं होता है। प्रत्येक दिन आसपास के देहाती क्षेत्रों से हजारों लीटर गाय और भैंस के दूध की आपूर्ति शहर में होती है। शहर में आमलोगों के साथ मिठाई दुकानदार इस दूध के सबसे बड़े ग्राहक हैं। लोगों का कहना है कि बेतिया शहर में दूध की आपूर्ति से पहले ही गांव-देहात में दूध से मलाई निकाल ली जाती है। इस कारण बिना क्रीम वाले दूध से तैयार की जाने वाली तरह-तरह की मिठाई, पनीर व दही के स्वाद और गुणवत्ता पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है। शहर की दुकानों पर मिलनेवाली मिठाइयों की गुणवत्ता अच्छी नहीं होती है। इससे लोगों की सेहत पर भी खराब असर पड़ता है। बेतिया में गाय के दूध से मिठाई तैयार करने वाले अथवा स्पेशल रसगुल्ला तैयार करने वाले संतोष चौधरी, ज्योति प्रकाश,सन्नी कुमार, मुनींद्र कुमार ने बताया कि आजकल लोग मिलावट अधिक करने लगे हैं। दुकानदार केवल शुद्धता पर ध्यान दें तो ग्राहकों की भीड़ उमड़ने लगेगी। गाय के शुद्ध दूध से तैयार रसगुल्ला शाम होते-होते खत्म हो जाता है। वहीं मिलावटी दूध से तैयार मिठाई कई दिनों तक ग्राहकों के इंतजार में पड़ी रहती है। दुकानों में बिकने वाला दही व पनीर भी अब स्वादिष्ट नहीं लगता। तीन लालटेन चौक पर मिठाई की दुकान करने वालों ने बताया कि इन दिनों गोरखपुर,कानपुर तथा नेपाल के कई शहरों से मिलावटी दूध से बने मिल्क केक बाजार में पहुंच रहा है। दुकानदारों द्वारा यहां पर ऐसी मिठाइयों के उपर क्रीम अथवा चेरी से सजावट कर दी जाती है और इसे ऊंचे दामों पर बेचा जाता है। दही का ट्रे बिक तो रहा है लेकिन उसपर मलाई की परत नदारद रहती है। इसी प्रकार पनीर के स्वाद में भी अंतर आ गया है। क्रीम अथवा चेरी से सजावट वाली आकर्षक मिठाई देखकर ग्राहक इसको खरीदते हैं लेकिन इसको खाकर लोग अक्सर बीमार भी हो रहे हैं। दूध में मिलावट होने के कारण लोग अब पारंपरिक मिठाई जैसे जलेबी, बेसन के लड्डू, खाजा अथवा गजक आदि अधिक पसंद कर रहे हैं, क्योंकि इसमें दूध की तुलना में कम मिलावट होती है। बेतिया शहर में बीते पांच से सात साल के अंदर कई ब्रांडेड और प्रसिद्ध मिठाई की दुकान खुल गई है, जहां पर ग्राहकों की भीड़ लगी रहती है। कई ग्राहकों की शिकायत है कि स्थानीय दूध विक्रेताओं से दूध की खरीदारी कर बनाई गई मिठाई में पहले जैसा स्वाद नहीं होता। कई लोगों ने यह भी बताया कि आजकल दूध के पाउडर से भी मिठाई तैयार कर बाजारों में बेची जा रही है जो स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं है। ऐसी मिठाइयों में केमिकल मिलाकर लंबे अंतराल तक इसे दुकानों में बेचा जाता है जो कई बीमारियों को जन्म देता है। मिलावटी दूध से दुकानदारों के साथ ग्राहकों को सबसे अधिक परेशानी हो रही है। इसकी जांच की व्यवस्था नहीं होने से ग्राहकों व दुकानदारों को शुद्ध मिठाई नहीं मिल पा रहा है। अधिकारी जांच के नाम पर केवल खानापूर्ति करते हैं। इससे आमलोगों को परेशानी होती है।
प्रस्तुति- मनोज कुमार राव
मिलावटी दूध से किडनी पर पड़ता है बुरा प्रभाव
इस मामले में डॉ देवेश ने बताया कि मिलावटी दूध से बनी मिठाइयों के खाने से किडनी पर बुरा प्रभाव पड़ता है। हड्डी कमजोर होती है तथा बच्चों में कैल्शियम की कमी हो जाने के कारण उनका शारीरिक विकास बाधित हो जाता है। प्रशासन को समय-समय पर ग्रामीण इलाकों में छापेमारी कर दूध में मिलावट करने वालों अथवा उसकी पेराई कर मलाई निकालने वालों पर शिकंजा कसना चाहिए। कुछ लोगों ने यह भी बताया कि पहले शुद्ध दूध से तैयार होने वाले पनीर में बहुत स्वाद रहता था, लेकिन आजकल बाजार में बिकने वाले पनीर से कोई स्वाद ही नहीं मिलता है। कई बार तो इनमें से अजीब स्मेल भी आता है। इससे खाने का जायका खराब हो जाता है। सबसे अधिक परेशानी दीपावली होली अथवा अन्य पर्व त्योहार के अवसर पर होती है। पर्व त्योहार में ज्यादा मांग होने की वजह से मिठाई में ज्यादा मिलावट की जाती है। जांच की व्यवस्था नहीं होने से इन दुकानदारों का मनोबल बढ़ा रहता है। इससे वे बेफ्रिक होकर मिलावटी सामान को बेचकर लाभ कमाना चाहते हैं। बड़े पैमाने पर देहाती क्षेत्रों से आने वाले दूध की नियमित रूप से जांच की व्यवस्था होनी चाहिए। बिना जांच किये किसी भी तरह के दूध या इससे बने उत्पाद को बाजार में बिकने से प्रशासन को हर हाल में रोक लगाना चाहिए। ताकि लोगों को शुद्ध सामान मिल सके। साथ ही मिलावट करने वाले पर कार्रवाई भी होनी चाहिए।
मांग बढ़ने पर अचानक कैसे बढ़ जाती है आपूर्ति
देहाती क्षेत्र से दूध लाने वाले लोग दूध में पानी मिला देते हैं। मांग बढ़ने पर दूध का उत्पादन बढ़े या नहीं बढ़े, आपूर्ति वे बढ़ा देते हैं। इसके लिए रास्ते में कहीं से भी पानी लेकर दूध में मिला देते हैं। यह खतरनाक साबित हो सकता है। गंदा पानी दूध में मिलाने से उसका सेवन करने वाले लोगों पर बुरा असर पड़ सकता है। खास कर बच्चों, बीमारों और बुजुर्गों को परेशानी होती है। लोग अपने बच्चों से परिवार को दूध समझकर पिलाते हैं या उससे बने उत्पाद का सेवन कराते हैं। लेकिन यह उनके लिए जहर साबित होता है। डॉक्टरों के अनुसार कई मरीज इन चीजोंसे बीमार हो जाते हैं। फिर उन्हें लंबे इलाज का सहारा लेना पड़ता है। प्रशासन को नियमित जांच की व्यवस्था करनी चाहिए। ताकि मिलावट पर रोक लग सके।
खाद्य सामग्री का लिया जाएगा सैंपल, मिलावट होने पर कार्रवाई
फूड इंस्पेक्टर सुदामा चौधरी ने कहा कि जिले के कई ऐसे ग्रामीण इलाके हैं जहां पर दूध से क्रीम निकालकर ग्राहकों को बिना सच्चाई बताए इस प्रकार के दूध को बेचने के बारे में जानकारी मिल रही है। कई लोगों ने इसकी शिकायत की है। लोग अधिक दाम देकर कम गुणवत्ता वाली दूध की खरीदारी कर रहे हैं। यह सही नहीं है। ऐसे फर्जी काम करने वालों पर विभाग की नजर है। खाद्य सामग्रियों का सैंपल लिया जाएगा और जांच को भेजा जाएगा। इसमें जो भी दोषी होंगे उनपर कार्रवाई की जाएगी। इसके अलावे मिलावट वाली मिठाई अथवा अन्य खाद्य सामग्री की बिक्री की सूचना मिलने पर अविलंब कार्रवाई की जाएगी। बाहर से मिलावटी खाद्य सामग्री की आपूर्ति करने वालों पर भी कठोर कार्रवाई का नियम है। विभाग द्वारा समय-समय पर इस मामले में दुकानों, होटलों अथवा अन्य प्रतिष्ठानों की जांच पड़ताल की जाती है। मिलावटी खाद्य सामग्री की बिक्री से जुड़ी किसी प्रकार की सूचना देने पर कार्रवाई की जाएगी।
सुझाव
1. ग्रामीण इलाकों में छापेमारी कर दूध में मिलावट करने वालों अथवा उसकी पेराई करने वालों पर शिकंजा कसना चाहिए।
2. बाहर से आने वाली मिल्क केक जैसी मिठाइयों की पहले जांच हो जानी चाहिए। उसके बाद बेचने की अनुमति मिलनी चाहिए।
3. नगरवासियों को पारंपरिक मिठाई जैसे जलेबी, बेसन के लड्डू,खाजा अथवा गजक आदि का सेवन करना चाहिए।
4. मिठाइयों में केमिकल मिलाकर लंबे अंतराल तक इसे दुकानों में बेची जाती है। इसकी जांच की व्यवस्था होनी चाहिए।
5. शहर में मिठाई बनाने वाले कारखानों की भी नियमित जांच की व्यवस्था होनी चाहिए, ताकि लोगों को शुद्ध सामान मिल सके।
शिकायतें
1. बेतिया शहर में दूध की आपूर्ति करने से पहले ही गांव-देहात में इस दूध से मशीनों द्वारा मलाई निकाल ली जाती है।
2. ऐसे दूध से तैयार की जाने वाली मिठाई के स्वाद और गुणवत्ता पर काफी बुरा प्रभाव पड़ता है।
3. गोरखपुर, कानपुर तथा नेपाल के कई शहरों से मिलावटी दूध से बने मिल्क केक का ट्रे शहर में पहुंच रहा है।
4. दुकानदारों द्वारा मिलावटी दूध से तैयार मिठाइयों के ऊपर क्रीम अथवा चेरी से सजावट कर ऊंचे दामों में बेचा जाता है।
5.दुकानों की नियमित जांच की व्यवस्था नहीं है। जांच के नाम पर केवल खानापूर्ति की जाती है। इससे परेशानी हो रही है।
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