Struggles of Metal Utensil Makers in Bihar Demands for Support and Recognition बर्तन कारीगरों को मिले पीएम आवास व व्यवसाय के लिए ऋण, Bagaha Hindi News - Hindustan
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बर्तन कारीगरों को मिले पीएम आवास व व्यवसाय के लिए ऋण

बेतिया के धातु बर्तन कारीगरों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। उन्हें अवैध तरीके से बर्तन लाने का आरोप लगाया जाता है और लेवी की मांग की जाती है। सरकार से उन्हें चिकित्सा, आवास और शिक्षा की...

Newswrap हिन्दुस्तान, बगहाTue, 17 June 2025 11:01 PM
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बर्तन कारीगरों को मिले पीएम आवास व व्यवसाय के लिए ऋण

 

धातु के बर्तन बेतिया के अलग-अलग दुकानों सहित मुजफ्फरपुर, चकिया, सीवान, गोपालगंज, मोतिहारी व गोरखपुर आदि जगहों पर बेचने के लिए ले जाते हैं। पर कई जगहों पर इन धातु के बर्तनों की बिक्री के एवज में कमीशन मांगी जाती है। हमलोगों पर सरेआम यह आरोप लगाया जाता है कि हमलोग नेपाल से अवैध तरीके से बर्तन मंगा कर बेतिया शहर की दुकानों में बिक्री करते हैं। जबकि हमलोग कई पीढ़ियों से इस प्रकार के बर्तन बनाने का काम कर रहे हैं। हमलोगों के पास अभी भी पीएम आवास, व्यवसाय के लिए ऋण व मेडिकल जांच की सुविधा नहीं मिलती है।

हमारे समाज के लोगों का यही एकमात्र जीविकोपार्जन का सहारा है। इसके आमदनी से शादी-ब्याह सहित अन्य सामाजिक कार्य भी करते हैं। अनिल कुमार, राजन कुमार, शंभू प्रसाद, कंचन साह, सुनील साह, मनोहर प्रसाद, रौशन कुमार आदि ने बताया कि विगत कुछ दिन पहले पीतल और कांसे का बर्तन तैयार कर जब माल की आपूर्ति करने मुजफ्फरपुर जा रहे थे, तब रास्ते में हम लोगों से मोटी रकम की मांग की गई। इसकी शिकायत हम लोगों ने बेतिया के सांसद से की थी। उन्होंने इस मामले में अविलंब एक्शन लिया और वसूली करने वाले व्यक्ति की पहचान करने का आदेश भी दिया। ऐसा हमलोगों के साथ अक्सर होते रहता है। लेवी वसूलने के लिए हमें हमेशा टारगेट किया जाता है। धातु के बर्तन कारीगरों को जान जोखिम में डालकर काम करना पड़ता है। हमें हमेशा बीमारियों की चपेट में आने का खतरा बना रहता है। बर्तन गलाने व बनाने के लिए भट्टी लगाते समय तेज रोशनी के कारण हम लोगों की आंख खराब होने का खतरा रहता है। पुराने बर्तनों की कटाई छंटाई करते समय कई बार तेज व खतरनाक मशीन के इस्तेमाल से हमारे हाथ पैर कट जाते हैं। काम के दौरान हमें धातु के बुरादे से सांस की बीमारी होने का खतरा बना रहता है। घर की महिलाएं भी हमें सहयोग करती हैं। ऐसे में हम सभी को नियमित मेडिकल नि:शुल्क जांच मिलनी चाहिए। जो हमें नहीं मिलती है। बीमार होने पर हमें निजी अस्पतालों में जाना पड़ता है जहां पर अधिक खर्च होने से हमारी कमर टूट जाती है। प्रशासन को नि:शुल्क इलाज की सुविधा उपलब्ध करानी चाहिए। कबाड़ बेचने वालों से अथवा बर्तन की दुकानों से हमलोग कई बार पुराने बर्तनों को खरीद कर उन्हें आग में गलाकर उसकी चादर तैयार करते हैं और उससे नए बर्तन का निर्माण कर पुनः दुकानों में पहुंचाते हैं। यह अपने आप में एक जटिल प्रक्रिया है। इसमें हमें काफी कम आमदनी होती है। परिवार के भरण पोषण व बच्चों को पढ़ाने में भी परेशानी होती है। अगर राज्य अथवा केंद्र सरकार हमलोगों को भी अलग-अलग योजनाओं के तहत ऋण की सुविधा उपलब्ध करा दे तो हमें काम करने में अथवा अपना व्यवसाय खड़ा करने में आसानी होगी। प्रतिदिन माल लेकर हम शहर में बेचने के लिए आते हैं। कई बार माल की बिक्री नहीं होने पर हमें भुखमरी के दौर से भी गुजरना पड़ता है। हमलोगों को प्रशासन की ओर से बर्तन बनाने की भट्टी से लेकर मशीनों से सुरक्षा के लिए उपकरण व प्रशिक्षण मिलना चाहिए। 

प्रस्तुति: मनोज कुमार राव 

सुविधा नहीं मिलने से कुंद पड़ रही हुनर की धार

 कारीगरों का कहना है कि बेतिया के पास कसेरा टोला के कारीगरों द्वारा तैयार किए गए माल की बिक्री पूरे राज्य में है लेकिन हमें सुविधा नहीं मिलने से हुनर प्रभावित हो रहा है। पीढ़ी दर पीढ़ी हम इसी काम को कर रहे हैं। हमारे समाज के बच्चे पढ़ने में होशियार हैं लेकिन मजबूरी में हमें शहर में किराए के मकान पर भी कई बार रहना पड़ता है, ऐसे में बच्चों की शिक्षा बुरी तरह से प्रभावित होती है। समझ में नहीं आता कि हम बच्चों को गांव में पढ़ाए अथवा शहर के निजी विद्यालयों में ऊंची फीस देकर पढ़ाया जाए। ऊंची फीस देना हमारे लिए संभव नहीं है इसलिए सरकार को हमारे समाज के बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा की सुविधा और पुस्तकों की उपलब्धता करनी चाहिए। हमारे समाज के अधिकांश लोग जो बेतिया शहर में किराए के मकान पर रहते हैं उनके पैतृक स्थान पर अभी तक इंदिरा आवास की सुविधा भी नहीं मिली है। हम अभी भी झोपड़ियों में रहने को मजबूर है। बारिश के दिनों अथवा तेज धूप के समय में हमें काम करने में काफी परेशानी होती है। इंदिरा आवास के निर्माण के लिए हमें कई साल से मशक्कत करना पड़ रहा है। इसके लिए कई बार उप मुखिया को आवेदन भी दिया गया है लेकिन इसकी सुविधा अभी तक नहीं मिली है। प्रशासन को हमारी चिंता करनी चाहिए। हमलोगों को आवास की सुविधा दी जानी चाहिए।

धातु के तरह-तरह के बर्तनों का निर्माण करने वाले कई आवेदक विभाग से संपर्क कर संचालित की जा रही योजनाओं का लाभ ले चुके हैं। जिनके अंदर काबिलियत है उनके लिए कई अन्य तरह की योजनाओं का भी संचालन किया जा रहा है। उद्योग विभाग के पोर्टल पर सभी जानकारी उपलब्ध है। आवेदक उद्योग विभाग में आकर भी अधिकारियों से संपर्क कर पूरी जानकारी ले सकते हैं। 

-रोहित राज, महाप्रबंधक उद्योग विभाग 

सुझाव 

1. हमलोगों से लेवी की मांग करने वालों की पहचान कर उनपर कार्रवाई की जानी चाहिए। प्रशासन हमारी सहायता करें। 

2. हम पीढ़ी दर पीढ़ी बर्तन का काम करने वालों पर बेबुनियाद आरोप नहीं लगना चाहिए। हमारी समस्या सुनी जानी चाहिए। 

3. हमारे समाज के स्कूली बच्चों को नि: शुल्क शिक्षा निजी विद्यालयों में भी मिलनी चाहिए।

 4. सरकार द्वारा हमारे समाज के लोगों की नि:शुल्क मेडिकल जांच की सुविधा प्रदान करनी चाहिए। 

5. हमारी पहचान कर हमें इंदिरा आवास की सुविधा प्रदान करनी चाहिए, ताकि हम सुविधापूर्वक जीवन जी सकें। 

शिकायतें 

1. धातु के बर्तन जब हमलोग बेचने के लिए बेतिया के आसपास ले जाते हैं तो लेवी की मांग की जाती है। इससे परेशानी होती है। 

2. स्थानीय लोग हम पर नेपाल से अवैध तरीके से माल लाकर बेचने का आरोप लगाते रहते हैं। 

3. हमारे समाज के स्कूली बच्चों को शिक्षा के बेहतर और नि:शुल्क अवसर नहीं मिल रहा है। 

4. जोखिम भरा काम करने से कई बीमारियों की चपेट में आने का खतरा हमेशा बना रहता है।

 5. लगातर मांग करने के बाद भी हमारे समाज के लोगों को इंदिरा आवास की सुविधा नहीं मिली है।

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