Bihar s Bhim Seva Campaign Fails to Address Issues of Dalit Families in Dhoraiya सैनचक गांव झेल रहा अतिक्रमण, गंदा पानी और उपेक्षा की मार, Banka Hindi News - Hindustan
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सैनचक गांव झेल रहा अतिक्रमण, गंदा पानी और उपेक्षा की मार

बोले बांकाबोले बांका प्रस्तुति- सुमन कुमार झा धोरैया (बांका) संवाद सूत्र बिहार सरकार द्वारा दलित और महादलित समुदायों के विकास के लि

Newswrap हिन्दुस्तान, बांकाWed, 23 April 2025 04:29 AM
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सैनचक गांव झेल रहा अतिक्रमण, गंदा पानी और उपेक्षा की मार

धोरैया(बांका), संवाद सूत्र। बिहार सरकार द्वारा दलित और महादलित समुदायों के विकास के लिए शुरू किए गए 'भीम सेवा समग्र अभियान' के तहत उन्हें सरकारी योजनाओं का पूरा लाभ दिलाने की बात की जा रही है। अभियान का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कोई भी दलित या महादलित परिवार गली-नाली, नल-जल, प्रधानमंत्री आवास योजना, शौचालय योजना जैसी महत्वपूर्ण जनकल्याणकारी योजनाओं से वंचित न रहे। लेकिन जब हम ज़मीनी हकीकत की बात करते हैं, तो तस्वीर बेहद निराशाजनक नज़र आती है, विशेषकर बांका ज़िले के धोरैया प्रखंड के सैनचक पंचायत के सैनचक गांव के वार्ड 8 की। यहां के महादलित परिवार पिछले करीब छह महीनों से लगातार प्रखंड कार्यालय और अंचल कार्यालय का चक्कर काटते हुए अपनी समस्याओं को लेकर गुहार लगा रहे हैं, लेकिन अफसोसजनक बात यह है कि उनकी आवाज़ न तो सुनी जा रही है और न ही किसी स्तर पर कोई कारगर कार्रवाई की जा रही है। ये परिवार अब थक-हार चुके हैं। एक सौ घरों की यह बस्ती, जिसमें करीब 500 से अधिक की आबादी निवास करती है, अत्यंत दयनीय और नारकीय हालात में जीवन यापन को मजबूर है।

इस टोले की सबसे गंभीर समस्या नाले की है। गांव में नाला तो बना है, लेकिन पानी की निकासी नहीं हो पा रही है। वजह यह है कि गांव के कुछ दबंग लोगों ने न केवल सरकारी जमीन पर कब्जा कर लिया है, बल्कि उस पुराने नाले को भी अतिक्रमित कर लिया है, जो पहले बबुरा शाखा नहर से होते हुए कदरसा बांध तक जाता था। इस नाले से महादलित टोले से होते हुए सिंचाई के लिए पानी की आपूर्ति होती थी, जिससे आसपास के किसान लाभान्वित होते थे। लगभग चार वर्ष पूर्व गांव में ग्रामीण सड़क निर्माण के दौरान जेसीबी मशीन द्वारा मिट्टी काट कर सड़क में भर दी गई। इसके परिणामस्वरूप नाले का मार्ग बाधित हो गया। इसी का फायदा उठाते हुए कुछ प्रभावशाली लोगों ने उस रास्ते पर पूरी तरह से कब्जा जमा लिया। परिणामस्वरूप, आज स्थिति यह है कि बारिश या किसी भी प्रकार के जल संचयन के दौरान गंदा पानी सड़कों पर रुक जाता है। यह गंदा पानी धीरे-धीरे घरों के अंदर प्रवेश कर जाता है। इससे जहां एक ओर मकानों की दीवारें गिरने की नौबत आ गई है, वहीं दूसरी ओर स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरे पैदा हो गए हैं। स्थानीय लोगों ने बताया कि गंदे पानी में कीड़े-मकोड़े पनपने लगे हैं, और बदबू से जीना दुश्वार हो गया है। लगातार इस पानी के संपर्क में रहने के कारण बच्चों और बुजुर्गों में चर्म रोग, डायरिया, बुखार, सर्दी-खांसी जैसे बीमारियों का प्रकोप बढ़ता जा रहा है। लेकिन स्वास्थ्य विभाग या पंचायत की ओर से अब तक कोई कदम नहीं उठाया गया है। महादलित परिवारों ने इस समस्या को लेकर पंचायत की मुखिया रेखा देवी के नेतृत्व में एक सामूहिक हस्ताक्षरयुक्त आवेदन तत्कालीन बीडीओ और सीओ को सौंपा था। इसमें उन्होंने मांग की थी कि दबंगों द्वारा किए गए अतिक्रमण को हटाया जाए, ताकि नाले का पुनर्निर्माण कराया जा सके और इस जलजमाव की समस्या से उन्हें निजात मिल सके। आवेदन पर संज्ञान लेते हुए सीओ ने राजस्व कर्मचारी को जमीन की नापी करने का निर्देश दिया था, और कर्मचारी ने रिपोर्ट भी सौंप दी थी। लेकिन हैरत की बात यह है कि रिपोर्ट तैयार हो जाने के बाद भी अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। इस निष्क्रियता और प्रशासनिक उदासीनता से ग्रामीणों का आक्रोश फूट पड़ा है। उनका कहना है कि सरकार द्वारा चलाई जा रही कल्याणकारी योजनाओं का कोई मतलब नहीं रह जाता, जब ज़मीनी स्तर पर उनका लाभ लोगों तक नहीं पहुंचता। स्थानीय ग्रामीणों की सबसे प्रमुख मांग यह है कि जिस सरकारी जमीन और नाले पर अतिक्रमण किया गया है, उसे अविलंब खाली कराया जाए। यदि अतिक्रमण हटता है तो नाले का मार्ग साफ हो सकता है, जिससे पानी की निकासी बहाल हो सकेगी। इसके बाद ही टोले में दुर्गंध, जलजमाव और बीमारियों से मुक्ति मिल सकती है। इस पूरे प्रकरण में सबसे बड़ी चिंता की बात यह है कि जब राजस्व कर्मचारी द्वारा जमीन की नापी कर रिपोर्ट दे दी गई है, तब भी कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही? क्या प्रशासन किसी दबाव में काम कर रहा है या फिर यह सिर्फ एक और उदाहरण है प्रशासनिक सुस्ती का? ऐसे में यह जरूरी हो गया है कि जिले के वरीय अधिकारियों, जैसे जिलाधिकारी और डीडीसी को इस मामले में तत्काल हस्तक्षेप करना चाहिए। साथ ही, स्थानीय विधायक और सांसद को भी इस मुद्दे पर संज्ञान लेकर दलित और महादलित समाज के हित में कार्य करना चाहिए। धोरैया बीडीओ रश्मि भारती ने कहा कि सैनचक वार्ड संख्या 8 के समस्याओं की जांच करायी जाएगी। महादलित परिवार को हो रहे समस्या से निजात दिलाने को लेकर हर संभव प्रयास किया जाएगा। इसके लिए वरीय अधिकारियेां को भी सूचना दी जाएगी।

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