UPSC Success Story how shalini agnihotri became ips bus conductor daughter बस कंडक्टरी करते थे पिता, बिना बताए बेटी ने की UPSC की तैयारी, पहले ही अटेम्प्ट में बनी IPS, Career Hindi News - Hindustan
Hindi Newsकरियर न्यूज़UPSC Success Story how shalini agnihotri became ips bus conductor daughter

बस कंडक्टरी करते थे पिता, बिना बताए बेटी ने की UPSC की तैयारी, पहले ही अटेम्प्ट में बनी IPS

UPSC Success Story: हिमाचल की बेटी शालिनी अग्निहोत्री ने पैसों की तंगी के बीच बिना कोचिंग और घर में बिना बताए UPSC की तैयारी की, और पहली बार में ही IPS बन गई।

Himanshu Tiwari लाइव हिन्दुस्तानFri, 13 June 2025 11:05 PM
share Share
Follow Us on
बस कंडक्टरी करते थे पिता, बिना बताए बेटी ने की UPSC की तैयारी, पहले ही अटेम्प्ट में बनी IPS

UPSC Success Story: हिमाचल प्रदेश के ऊना जिले की रहने वाली शालिनी अग्निहोत्री की कहानी सिर्फ एक सफल परीक्षा की नहीं, बल्कि एक गहरी निजी जंग की है। उनके पिता हिमाचल रोडवेज में बस कंडक्टर थे और सीमित साधनों में परिवार चलाते थे। ऐसे में शालिनी ने बिना किसी को बताए, बिना किसी बड़े शहर की कोचिंग का सहारा लिए, खुद से यूपीएससी की तैयारी शुरू की। पहली बार में ही उन्होंने ऑल इंडिया रैंक 285 हासिल कर आईपीएस बनने का सपना पूरा कर लिया।

शालिनी अग्नीहोत्री ने क्यों चुनी यूपीएससी

एक इंटरव्यू में शालिनी बताती हैं कि उनका ये सपना एक दर्दनाक अनुभव के बाद पैदा हुआ। एक बार वो अपनी मां के साथ सफर कर रही थीं, जब किसी ने उनकी मां से बदतमीजी की। शालिनी उस वक्त खुद को बेबस महसूस कर रही थीं। उसी दिन उन्होंने तय किया कि उन्हें ऐसा मुकाम पाना है जहां से वो इस व्यवस्था में बदलाव ला सकें। वही लम्हा उनके जीवन की दिशा तय कर गया।

धर्मशाला से स्कूली पढ़ाई करने वाली शालिनी शुरू से पढ़ाई में तेज थीं। दसवीं में 92% और बारहवीं में 77% नंबर लाने के बाद उन्होंने हिमाचल प्रदेश यूनिवर्सिटी से एग्रीकल्चर में ग्रेजुएशन और फिर पोस्ट-ग्रेजुएशन किया। लेकिन उनके दिल में हमेशा सिविल सेवा में जाने का लक्ष्य था।

बिना कोचिंग के ही गाड़े झंडे

उन्होंने खुद से पढ़ाई की, ऑनलाइन मटेरियल का सहारा लिया और अपने फोकस को कभी डगमगाने नहीं दिया। 2011 में उन्होंने पहली बार यूपीएससी पास किया और IPS चुनी गईं। दिलचस्प बात ये है कि उन्होंने अगली बार फिर से परीक्षा दी और दोबारा सफल हुईं।

आज शालिनी सिर्फ एक अफसर नहीं, बल्कि उन हजारों युवाओं के लिए प्रेरणा हैं जो सीमित संसाधनों के बावजूद बड़ा सपना देखने की हिम्मत रखते हैं। शालिनी ने अपनी महेनत से ये बता दिया है कि कोचिंग जरूरी नहीं, लेकिन इरादा साफ हो तो हर मंजिल आसान हो जाती है।

लेटेस्ट एजुकेशन न्यूज़ अपडेट हिंदी में हिंदुस्तान पर, Hindi News, क्रिकेट न्यूज पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।