संग्रहालय को नहीं मिल रहा संरक्षण, बेशकीमती विरासत झेल रही उपेक्षा की मार
संग्रहालय में हजारों की संख्या में ऐतिहासिक पुरातात्विक महत्व की वस्तुएं हैं मौजूददर्शकों को अपनी ओर आकर्षित करने में है असफल फोटो नं.04,लोहियानगर स्थित संग्रहालय में रखी पुरातात्विक आकृतियां। ...

बेगूसराय,हिन्दुस्तान प्रतिनिधि। जिले की ऐतिहासिक व सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने के उद्देश्य से वर्ष 1981 में स्थापित बेगूसराय संग्रहालय आज विभागीय उपेक्षा का शिकार है। लोहियानगर स्थित यह संग्रहालय जिले और आसपास के क्षेत्रों से प्राप्त हजारों की संख्या में ऐतिहासिक और पुरातात्विक महत्व की वस्तुओं को समेटे हुए है, जिसमें नवग्रह पैनल, प्रस्तर मूर्तियां, मृण मूर्तियां, मोहरें, मनके, लिंग-अरधा, स्तूप, तालपत्र, हस्तलिखित ग्रंथ और पंचमार्क सिक्कों से लेकर तुगलककालीन और पालकालीन सिक्कों तक का विशाल संग्रह शामिल है। बावजूद इसके, जिले की बड़ी आबादी को इसकी जानकारी तक नहीं है क्योंकि इसका न तो समुचित प्रचार-प्रसार हुआ है और न ही इसका सौंदर्यीकरण हो सका है, जिससे यह दर्शकों को अपनी ओर आकर्षित करने में असफल रहा है।
संग्रहालय में स्थायी रूप से मात्र तीन चतुर्थवर्गीय कर्मचारी कार्यरत हैं। वही लखीसराय के संग्रहालय अध्यक्ष बेगूसराय और जमुई के अतिरिक्त प्रभार मिला हुआ है। संग्रहालय में गाइड की नियुक्ति तक नहीं हुई है, जिससे आगंतुकों को संग्रहित वस्तुओं की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि की जानकारी नहीं मिल पाती। संग्रहालय में चार दीर्घाएं हैं जिनमें विभिन्न कालों की मौर्य, शुंग, कुषाण, गुप्त काल की मूर्तियों, सिक्कों और अन्य अवशेषों का प्रदर्शन किया गया है। दीर्घा संख्या पांच में विशेष रूप से प्राचीन, मध्य और आधुनिक काल की मुद्राओं को प्रदर्शित किया गया है, जिनमें नूरुल्लाहपुर से प्राप्त पंचमार्क सिक्कों का बड़ा संग्रह भी शामिल है। इन सिक्कों पर सूर्य, मछली, हाथी, चक्र, पर्वत, कुत्ता, ब्राह्मी अक्षर आदि अंकित हैं। इसके अतिरिक्त संग्रहालय में एक पुस्तकालय भी है जिसमें इतिहास, पुरातत्व और कला से संबंधित पुस्तकें व शोध पत्रिकाएं मौजूद हैं और शोधार्थियों के लिए अध्ययन की सुविधा भी है। एक सभा कक्ष भी है जहां सेमिनार और गोष्ठियों का आयोजन किया जा सकता है। ऐसे में यह संग्रहालय न केवल क्षेत्रीय इतिहास और संस्कृति का प्रतिनिधित्व करता है बल्कि शिक्षा और पर्यटन की दृष्टि से भी अत्यंत संभावनाशील केंद्र बन सकता है, यदि इसे आवश्यक संसाधन, कर्मी और विभागीय ध्यान प्राप्त हो सके। सिमरिया में बनेगा नया बहुमंजलीय संग्रहालय वर्तमान संग्रहालय का भवन छोटा और कमजोर है, जिस कारण इसे तकनीकी रूप से उन्नत नहीं किया जा सकता, न ही इसमें ऊपर निर्माण संभव है। इस समस्या को देखते हुए जिला प्रशासन से भूमि की मांग की गई थी, जिसके तहत सिमरिया में 3 एकड़ जमीन उपलब्ध कराई गई है। इस भूमि पर एक भव्य बहुमंजलीय संग्रहालय बनाया जाएगा, जिसमें कलाकृतियों को आधुनिक और व्यवस्थित तरीके से संजोया जाएगा। -सुधीर यादव,प्रभारी अध्यक्ष,संग्रहालय
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