सूखे पड़े जलकरों में नहीं हो रही मछली की शिकार माही, मजदूरों के समक्ष रोटी का संकट
नावकोठी में सूखे जलकरों के कारण मछुआरों को मछली पालन में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। 11 जलकरों में से अधिकांश सूख गए हैं, जिससे मछली की शिकार भी नहीं हो पा रही है। सरकारी राजस्व चुकाने का दबाव...

नावकोठी, निज संवाददाता। सूखे पड़े जलकर।इसमें नहीं हो रही मछली की शिकार माही। मछुआरों के समक्ष रोटी का संकट। फिर भी सरकारी राजस्व चुकाना है।इस तुगलकी आदेश से परेशान मछुआरों को रोटी की जुगाड़ के लिए पलायन करना विवशता है।मामला नावकोठी प्रखंड के मत्स्य जीवी सहयोग समिति लिमिटेड के सदस्यों का है।प्रखंड में ग्यारह जलकर हैं। कुछ को छोड़कर अधिकांश जलकर सूखे हैं। कुछ में अपेक्षित पानी नहीं है। फलतः मछली पालन में भी कठिनाई हो रही है। ये हैं जलकरः- 1.समसा मेहां फोड़ी कटिंग,2.विष्णुपुर मोईन,3.लेबड़ा चौर,4.पूरनदाहा चौर,5 ररिऔना पोखर,6.चक्का पोखर,7.रजाकपुर पोखर,8नावकोठी रजाकपुर मोईन,9.शैदपुर पोखर,10.नावकोठी पोखर एवं 11.समसा पोखर। इनमें से समसा मेहां फोड़ी कटिंग,विष्णुपुर मोईन में मत्स्य पालन के लायक पानी है।नावकोठी-रजाकपुर
मोईन, चक्का , नावकोठी व रजाकपुर पोखर में निजी बोरिंग से पानी की व्यवस्था की जा रही है। पिछले साल पर्याप्त वर्षा नहीं होने के कारण शेष जलकर सूखे पड़े हैं। लेबरा चौर व पुरनदाहा चौरा सूखे पड़े हैं ।पोखरों की उड़ाही नहीं होने के कारण या तो सूखने के कागार पर हैं अथवा अपेक्षित पानी नहीं रहने से मछली पालन नहीं हो पा रहा है।इन जलकरों में पानी की अपेक्षित व्यवस्था नहीं रहने के कारण मछुआरों को अलग से पानी की व्यवस्था करनी पड़ रही है। विभाग द्वारा इंसोरेंस की व्यवस्था नहीं है। जिससे राजस्व भी घर से ही देना पड़ता है। ररिऔना स्थित पोखर को भरकर मिडिल स्कूल ररिऔना का भवन बना दिया गया है। पोखर धरातल पर अस्तित्व में नहीं है। विभाग को इसकी लिखित व मौखिक सूचना देने के बावजूद भी राजस्व से इसे मुक्त नहीं किया गया है। एक तो सूखे पड़े जलकर हैं तो दूसरी ओर राजस्व देने का विभाग का दबाव भी है। कितने राजस्व चुकाने पड़ते हैंः समिति को प्रत्येक वित्तीय वर्ष में लगभग चार लाख अठासी हजार रुपये चुकाने पड़ते हैं।मछुआरों को मछली पालन से लेकर शिकार माही तक में भारी खर्च उठाना पड़ता है। मजदूरी तो दूर लागत पूंजी भी नहीं निकल पाती है।इतनी बड़ी राशि चुकाते चुकाते समिति घाटे में रहती है। सदस्यों की संख्याः प्रखंड के 751 मछुआरे इस समिति के सदस्य हैं।अध्यक्ष फुलेना सहनी बताते हैं कि मछुआरों की हकमारी हो रही है।मछुआरों की कल्याणकारी योजनाएं मूर्तरुप नहीं ले रही हैं।अध्यक्ष फुलेना सहनी,सचिव शंभू सहनी ने कहा कि सरकारी राजस्व चुकाने में समिति को परेशानी उठानी पड़ती है।उन्होंने कहा कि मछुआरों को वाजिब रोटी की जुगाड़ में भटकना पड़ता है।सदस्यों में जालिम सहनी,रामोतार सहनी, कपिल देव सहनी,रंजना देवी, रंजीत सहनी, सुनील सहनी, अर्जुन सहनी आदि ने बताया कि मछुआरों को रोटी का संकट झेलना पड़ता है।
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