राशि आवंटन के अभाव में नहीं हो रही सोन नहर की सफाई
भगवानपुर प्रखंड में सोन उच्च स्तरीय मुख्य नहर की सफाई न कराए जाने के कारण किसानों को खरीफ फसल की सिंचाई में परेशानी हो रही है। नहर में गाद, झाड़ी और जलकुंभी हैं, जिससे पानी का बहाव धीमा हो गया है। इससे...

मातर, पहाड़ियां, डिहांकला, खोराडीह, गांगोडीह सहित कई गांवों के किसानों को खरीफ फसल की सिंचाई करने में हो सकती है परेशानी गाद, झाड़ी, जलकुंभी के कारण धीमा हो जाता है नहर से पानी का बहाव चौड़ाई व गहराई कम होते जाने से अंतिम छोर तक नहीं पहुंच पाता पानी 36 हजार हेक्टेयर भूमि सिंचित होती है सोन नहर से जिले में 03 पंचायतों के बधार में बमुश्किल पहुंच पाता है पानी नहर व वितरणियों की लंबाई एवं सिंचाई क्षमता वितरणी/नहर लंबाई सिंचाई हेक्टेयर में कसेर वितरणी 24.00 किमी. 2933 सुअरा बायीं नहर 16.40 किमी. 2317 सुअरा दायीं नहर 14.60 किमी. 2083 (पड़ताल/पेज चार की लीड खबर) भगवानपुर, एक संवाददाता।
प्रखंड क्षेत्र से गुजरी सोन उच्च स्तरीय मुख्य नहर की सफाई कराने के लिए विभाग ने राशि का आवंटन नहीं किया है। जबकि कैमूर से प्राक्कलन तैयार कर राज्य मुख्यालय को भेजा गया है। सफाई नहीं कराए जाने से नहर में गाद, झाड़ी, जलकुंभी पड़ी है। खुदाई नहीं कराने से इसकी चौड़ाई और गहराई भी पहले की अपेक्षा कम हो गई है। इस कारण अंतिम छोर तक पानी नहीं पहुंच पाता है। किसानों ने रबी फसल की कटनी कर ली है। अब खरीफ फसल का बिचड़ा डालने की तैयारी करेंगे। ऐसे में जाम नहर किसानों को चिंतित बनाने लगी है। पहाड़ियां के किसान नरेंद्र प्रताप सिंह, मातर के अशोक सिंह, डिहांकला के रामलाल राम, गांगोडीह प्रहलाद प्रसाद बताते हैं कि उनके गांवों के अलावा कई ऐसे गांव के बधार हैं, जहां सोन उच्च स्तरीय नहर का पानी नहीं पहुंच पाता है। ऐसे में उन्हें बरसात के दिनों में भी डीजल पंप चलाना पड़ता है या फिर बारिश के पानी से फसल की सिंचाई करनी पड़ती है। डीजल पंप चलाकर सिंचाई करने पर करीब 150 रुपया प्रति बीघा या प्रति घंटा अतिरिक्त राशि खर्च करनी पड़ती है। भगवानपुर प्रखंड की पहाड़िया, सरैयां, रामगढ़ पंचायत के गांवों तक बड़ी मुश्किल से सोन उच्च स्तरीय मुख्य नहर का पानी पहुंच पाता है। इस नहर से जिले की करीब 36 हजार हेक्टेयर भूमि सिंचित होती है। कसेर वितरणी से 2933 हेक्टेयर, सुअरा बायीं नहर से 2317 हेक्टेयर व सुअरा दायीं नहर से 2083 हेक्टेयर भूमि सिंचित होती है। हालांकि सोन उच्च स्तरीय नहर से पूरे में 36112 हेक्टेयर भूमि की सिंचाई किसान करते हैं। लेकिन, भगवानपुर इलाके की नहर व वितरणी की सफाई नहीं किए जाने से प्रखंड के किसान चिंतित हैं। समय पर नहीं हुई सफाई तो बढ़ेगी परेशानी सोन उच्च स्तरीय मुख्य नहर की सफाई नहीं कराए जाने से अंतिम छोर के किसानों को धान का बिचड़ा डालने व रोपनी करने में परेशानी आ सकती है। प्रखंड के किसान खेती पर ही निर्भर रहते हैं। ऐसे में सोन नहर से पर्याप्त पानी नहीं मिलने पर किसानों को फसल की सिंचाई करने में दिक्कत होगी। पहाड़ियां पंचायत के पूर्व मुखिया टुनटुन सिंह का कहना है कि नहर की सफाई की औपचारिकता पूरी की जाती है। नहर की एकसिरे से सफाई या खुदाई नहीं की जा रही है। आज भी नहर में सूखी जलकुंभी, गाद, खर-पतवार, झाड़ी दिख रही है। नहर को बांधकर पकड़ते हैं मछली किसानों ने बताया कि मछली पकड़ने के लिए कुछ जगहों पर नहर के पानी को बांध दिया जाता है। इस कारण भी नहर में पानी का बहाव कम हो जाता है। इससे नहर के अंतिम छोर तक पानी नहीं पहुंच पाता है। हालांकि विभागीय अधिकारी नहरों की मॉनिटरिंग करते हैं। पिछले वर्ष तो खुद डीएम सावन कुमार इंद्रपुरी बराज तक गए और कैमूर की नहरों की स्थिति का जायजा लिए थे। साथ में अधिकारी भी थे। कैमूर जिले में सोन उच्चस्तरीय मुख्य नहर की लंबाई 27.80 किमी. है। कोट नहर की सफाई कराने की योजना विभाग ने बनाई है। इसके लिए प्राक्कलन तैयार कर राज्य मुख्यालय को भेजा गया है। अभी तक स्वीकृत होकर नहीं आया है। स्वीकृति मिलने पर इसकी सफाई कराई जाएगी। सिद्धार्थ, सहायक अभियंता, सोन उच्च स्तरीय नहर फोटो- 08 मई भभुआ- 5 कैप्शन- भभुआ-अधौरा पथ में भगवानपुर के पास सोन उच्च स्तरीय नहर में सूखी पड़ी गाद, जलकुंभी व खर-पतवार।
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