Bihar ASHA Workers Demand Fair Payment and Recognition Amidst Unfulfilled Promises बोले भागलपुर: आशा कार्यकर्ताओं के साथ हुए समझौते को लागू करे सरकार, Bhagalpur Hindi News - Hindustan
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बोले भागलपुर: आशा कार्यकर्ताओं के साथ हुए समझौते को लागू करे सरकार

बिहार राज्य आशा कार्यकर्ता संघ भागलपुर की आशा कार्यकर्ताओं ने सरकार से उचित मानदेय और सम्मान की मांग की है। आशा कार्यकर्ताओं का कहना है कि दो साल से पहले हुए समझौते को लागू नहीं किया गया है, जिससे...

Newswrap हिन्दुस्तान, भागलपुरSat, 17 May 2025 07:48 PM
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बोले भागलपुर: आशा कार्यकर्ताओं के साथ हुए समझौते को लागू करे सरकार

स्वास्थ्य के क्षेत्र में आशा कार्यकर्ताओं की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। गर्भवती महिलाओं की देखभाल, प्रसव, टीकाकरण के अलावा नवजात की देखभाल की जिम्मेदारी इनके ऊपर ही होती है। मातृ और शिशु मृत्यु दर को कम करने के अलावा बंध्याकरण आदि में आशा कार्यकर्ता काम करती हैं। इस काम में आशा कार्यकर्ता फैसिलेटरों की भी भूमिका होती है। स्वास्थ्य विभाग के अभियानों में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभाने के बावजूद सरकार द्वारा काम के एवज में उचित मानदेय और सम्मान नहीं मिलने से आशा कार्यकर्ताओं में नाराजगी है। उनका कहना है कि पूर्व में बिहार सरकार के साथ जो समझौता हुआ था उसे दो साल से लागू नहीं किया जा रहा है। पारितोषिक राशि का भुगतान भी नहीं हो रहा है। काम के एवज में जो पारितोषिक राशि मिल रही है उससे परिवार का भरण-पोषण करना मुश्किल हो गया है।

जिले में प्राय: हर वार्ड में आशा कार्यकर्ताओं की नियुक्ति की गयी है। आशा कार्यकर्ता महिला के गर्भवती होने की जानकारी मिलने के बाद से नियमित देखभाल करती हैं। आंगनबाड़ी केन्द्रों पर नियमित जांच कराने, टीकाकरण और प्रसव पूर्व अस्पतालों में जरूरी जांच की जिम्मेदारी भी आशा कार्यकर्ताओं की होती है। इसके अलावा महिला बंध्याकरण, पुरुष नसबंदी, फाइलेरिया उन्मूलन अभियान, पल्स पोलियो कार्यक्रम, कुष्ठ उन्मूलन अभियान सहित स्वास्थ्य विभाग के अन्य अभियानों को सफल बनाने में आशा कार्यकर्ताओं को लगाया जाता है। इसके एवज में आशा कार्यकर्ताओं को अलग-अलग कामों के लिए पारितोषिक राशि का प्रावधान किया गया है। आशा कार्यकर्ताओं को प्रोत्साहित करने के लिए आशा फैसिलेटरों की भी बहाली की गयी है। भागलपुर जिले में करीब 3500 आशा कार्यकर्ता और 115 आशा फैसिलेटर कार्यरत हैं। अभी और बहाली की प्रक्रिया चल रही है।

बिहार राज्य आशा कार्यकर्ता संघ भागलपुर (संबद्ध महासंघ,गोप गुट) के पदाधिकारियों का कहना है कि सरकार आशा कार्यकर्ताओं का सम्मान नहीं कर रही है। 2023 में बिहार सरकार और संघ के बीच जो समझौता हुआ। उसे आज तक लागू नहीं किया गया है। स्वास्थ्य विभाग के हर काम में आशा कार्यकर्ताओं को लगाया जाता है, लेकिन उसके हिसाब से मानदेय नहीं मिलता है। आर्थिक तंगी के चलते आशा कार्यकर्ता बच्चों को अच्छी शिक्षा नहीं दे पा रही हैं। पदाधिकारियों का कहना है कि सरकार आशा कार्यकर्ताओं का काम के हिसाब से उचित मानदेय निर्धारित करे।

बिहार राज्य आशा कार्यकर्ता संघ भागलपुर की अध्यक्ष आशा वर्मा ने बताया कि 2005 में आशा कार्यकर्ताओं की बहाली हुई। बाद में केन्द्र सरकार ने दो हजार और राज्य सरकार ने एक हजार पारितोषिक राशि तय की। उसमें भी कई शर्तों को जोड़ दिया गया है। जिसके चलते आशा कार्यकर्ताओं को उचित राशि नहीं मिल पाती है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकांश अभियानों को सफल बनाने में आशा कार्यकर्ताओं की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। काम के हिसाब से पारितोषिक राशि का भुगतान नहीं किया जाता है। आशा कार्यकर्ता दिन-रात काम में लगी रहती हैं। कभी भी गर्भवती महिलाओं के साथ प्रसव कराने के लिए अस्पताल जाना पड़ता है। घर-घर जाकर नवजात शिशुओं की देखभाल और टीकाकरण कराने की जिम्मेदारी भी आशा कार्यकर्ताओं की है। कम राशि मिलने के चलते परिवार का भरण-पोषण करना मुश्किल हो रहा है। अपनी मांग को लेकर आशा कार्यकर्ताओं और आशा फैसिलेटरों ने 2023 में 32 दिनों तक हड़ताल की थी। उसके बाद बिहार सरकार के साथ हुए समझौते में एक हजार रुपये को बढ़ाकर ढाई हजार रुपये मानदेय करने का निर्णय लिया गया था। लेकिन दो साल बाद भी सरकार द्वारा इसे लागू नहीं किया गया है। यह आशा कार्यकर्ता और आशा फैसिलेटरों के साथ अन्याय है। पर्व-त्योहार में भी पारितोषिक राशि का भुगतान नहीं किया जाता है। आशा फैसिलेटर 30 दिन काम करती हैं और उसे 21 दिन का मानदेय दिया जाता है। कम से कम 30 दिन का मानदेय मिलना चाहिए। बिहार सरकार कम से कम 21 हजार रुपये मासिक मानदेय आशा और आशा फैसिलेटरों का मानदेय निर्धारित करे। मांग को पूरा कराने के लिए संघ द्वारा 20 से 24 मई तक हड़ताल करने का निर्णय लिया गया है।

बिहार राज्य आशा कार्यकर्ता संघ भागलपुर की उपाध्यक्ष रीना कुमारी ने बताया कि आशा कार्यकर्ता नियमित रूप से घर-घर जाकर सर्वे करती हैं। सर्वे के दौरान गर्भवती महिलाओं की पहचान होती है। उसके बाद गर्भवती महिलाओं को आंगनबाड़ी केन्द्रों पर बुलाकर निर्धारित समय पर जांच की जाती है। आयरन की गोली सहित अन्य सुविधाएं भी गर्भवती महिलाओं को उपलब्ध करायी जाती है। आंगनबाड़ी के अलावा अस्पताल ले जाकर महिलाओं की विभिन्न प्रकार की जांच करायी जाती है। प्रसव के समय गर्भवती महिलाओं के साथ आशा कार्यकर्ता अस्पताल जाती हैं। प्रसव के बाद नवजात शिशु की घर जाकर देखभाल भी की जाती है। बावजूद आशा कार्यकर्ताओं को उचित मानदेय नहीं मिल रहा है। दिसम्बर से अभी तक मात्र जनवरी माह का पारितोषिक राशि सभी आशा कार्यकर्ताओं को मिल पाया है। बिहार सरकार पिछले छह महीने से लंबित मानदेय का भुगतान अविलंब करे तथा इसके लिए दोषी अधिकारियों की जिम्मेदारी तय की जाए। आशा कार्यकर्ताओं को 60 साल के बाद रिटायर्ड कर दिया जाता है। रिटायर्ड की उम्र सरकार 65 साल करे। रिटायरमेंट के समय सभी आशा कार्यकर्ताओं को 10 लाख रुपये पैकेज देने का प्रावधान हो। इसके अलावा सरकार मासिक पेंशन देने का भी प्रावधान करे।

संघ की कोषाध्यक्ष रिंकु देवी ने बताया कि मातृ और शिशु मृत्यु दर में कमी लाने के लिए आशा कार्यकर्ता दिन-रात मेहनत करती हैं। समय की कोई पाबंदी नहीं है। गर्भवती महिलाओं के साथ रात में आने पर अस्पतालों में रहने की व्यवस्था नहीं है। आशा कार्यकर्ताओं को विभिन्न कामों के लिए जो प्रोत्साहन राशि मिलनी है। उसका पुनरीक्षण होना चाहिए। 10 साल से इसमें वृद्धि नहीं की गयी है। पिछले सारे बकाये राशि का भुगतान करते हुए पोर्टल व्यवस्था में सुधार किया जाए। हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर से जुड़ी आशा कार्यकर्ताओं को देय राशि का भुगतान पोर्टल के माध्यम से किया जाए। इसमें आशा फैसिलेटरों को भी जोड़ा जाए। पीरपैंती प्रखंड की अध्यक्ष लक्ष्मी देवी ने बताया कि सरकार आशा कार्यकर्ताओं को सरकारी सेवक घोषित करे। गांव से आने-जाने के समय सुरक्षा की व्यवस्था की जाए। काम से हिसाब से सरकार मानदेय निर्धारित करे।

आशा कार्यकर्ताओं के रिटायरमेंट की उम्र सीमा 65 वर्ष हो

बिहार राज्य आशा कार्यकर्ता संघ गोपगुट भागलपुर शाखा की जिलाध्यक्ष आशा वर्मा ने बताया कि भागलपुर में करीब 35 सौ आशा कार्यकर्ता और 115 आशा फेसिलेटर कार्यरत हैं। परेशानी होने के बावजूद आशा कार्यकर्ताओं द्वारा जिम्मेदारी पूरी की जाती है। आशा कर्मी के रिटायर होने की उम्र सीमा 60 से बढ़ाकर 65 वर्ष तक करना चाहिए। वर्ष 2005 में केन्द्र सरकार ने उन लोगों की बहाली की थी, लेकिन उन लोगों के लिए अब तक सरकार द्वारा मानदेय तक की व्यवस्था नहीं की गई है। जिससे उन लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। आशा कार्यकर्ता को अलग अलग कार्यों के लिए प्रोत्साहन राशि दी जाती है। जबकि वर्ष 2020 से उन लोगों को राज्य सरकार ने एक हजार और केन्द्र सरकार द्वारा दो हजार की पारितोषिक राशि देने की शुरुआत हुई। इसमें भी सरकार द्वारा कुछ शर्तें लगाई गई हैं जिसको पूरा नहीं कर पाने की स्थिति में तीन हजार रुपये पारितोषिक राशि का भुगतान नहीं हो पाता है।

आशा कार्यकर्ताओं के मानदेय में वृद्धि करे सरकार

बिहार राज्य आशा कार्यकर्ता संघ गोपगुट भागलपुर शाखा की उपाध्यक्ष रीना कुमारी ने बताया कि आठवीं पास के आधार पर सरकार ने आशा कार्यकर्ताओं और फैसिलेटर की बहाली की थी, जिनका मुख्य कार्य गर्भवती महिलाओं और उसके शिशु की देखभाल करना और समय पर जरूरी सुविधा उपलब्ध कराना है। विभाग द्वारा मोबाइल पर हर काम का रिपोर्ट देने को कहा जाता है। सर्वे का काम भी मोबाइल से ही करने की बात कही जाती है। बहुत सी महिलाओं को मोबाइल की तकनीकी जानकारी नहीं है। इसके चलते काफी परेशानी होती है। आयुष्मान कार्ड और आभा कार्ड बनाने की जिम्मेदारी भी आशा कार्यकर्ता को ही दे दी गई है। वर्ष 2005 में बहाली के वक्त आशा कार्यकर्ता को कार्य के अनुसार पारितोषिक राशि दी जाती थी, आज भी उन सभी को उतनी ही राशि का भुगतान किया जाता है। पिछले बीस वर्षों में महंगाई काफी बढ़ गई है, लेकिन सरकार द्वारा पारितोषिक राशि में कोई वृद्धि नहीं की गई है।

21 हजार रुपये मासिक मानदेय निर्धारित हो

बिहार राज्य आशा कार्यकर्ता संघ गोपगुट भागलपुर शाखा की सदस्य नीलिमा कुमारी ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा आशा फैसिलेटरों से 30 दिन काम लिया जाता है, लेकिन 21 दिन की राशि का ही भुगतान किया जाता है। काम के लिए तीस दिन का मानदेय मिलना चाहिए। वर्तमान में आशा फैसिलेटर को प्रतिदिन पांच सौ रुपए की दर से 21 दिन का अधिकतम 10 हजार पांच सौ रुपये भुगतान किया जाता है। बढ़ती महंगाई के दौर में परिवार का भरण-पोषण करना मुश्किल होता है। सभी आशा फैसिलेटर और आशा कार्यकर्ताओं को 21 हजार रुपए मासिक मानदेय सुनिश्चित किया जाना चाहिए। आशा कार्यकर्ताओं का मुख्य कार्य गर्भवती महिलाओं और बच्चों को स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराकर उसके टीकाकरण और जन्म मृत्यु दर की रिपोर्ट प्रस्तुत करना होता है। साथ ही स्वास्थ्य सुविधा का लाभ लाभुकों तक पहुंचाना उनका कार्य होता है।

छह माह के बकाया प्रोत्साहन और पारितोषिक राशि का भुगतान हो

बिहार राज्य आशा कार्यकर्ता संघ गोपगुट भागलपुर शाखा की पीरपैंती प्रखंड अध्यक्ष लक्ष्मी देवी ने बताया कि पिछले 6 माह से उन लोगों को बकाया प्रोत्साहन राशि और पारितोषिक राशि नहीं मिली है। जिसके कारण परिवार के भरण-पोषण में काफी परेशानी होती है। कई आशा कार्यकर्ता को मार्च 2024 का पारितोषिक राशि भी नहीं मिली है। सरकार को सभी तरह का बकाया राशि का अविलंब भुगतान करना चाहिए। आशा कार्यकर्ता को सरकारी कर्मी का दर्जा दिया जाय, जिससे उन्हें सभी तरह की सरकारी सुविधाओं का लाभ मिल सके। आशा कार्यकर्ता स्वास्थ्य संबंधी सेवाओं के लिए अपनी सेवा प्रदान करती हैं। दूसरी तरफ उनलोगों को चुनाव से संबंधित कार्यों में लगाने के बावजूद किसी प्रकार की प्रोत्साहन राशि नहीं दी जाती है। आयुष्मान भारत स्वास्थ्य खाता (आभा कार्ड) बनाने की जिम्मेदारी भी उनलोगों को सौंप दी गई है।

इनकी भी सुनिए

वर्ष 2023 में आशा कार्यकर्ता द्वारा 32 दिनों तक हड़ताल की गयी थी। इस दौरान बिहार सरकार से एक हजार की जगह ढाई हजार रुपये मानदेय देने का समझौता हुआ था। समझौता हुए दो साल बीत गये लेकिन अभी तक मानदेय का लाभ नहीं मिल रहा है।

-ब्यूटी सिन्हा

आशा कार्यकर्ताओं की हड़ताल के बाद राज्य सरकार से हुए समझौते के अनुसार अब तक ढाई हजार मानदेय राशि नहीं मिल सकी है। सरकार आशा कार्यकर्ता और आशा फैसिलेटर को 10 हजार की मानदेय राशि सुनिश्चित करें, जिससे उन्हें आर्थिक राहत मिल सके।

-संगीता कुमारी

केंद्र सरकार द्वारा आशा कार्यकर्ताओं के लिए अलग-अलग कार्य को लेकर जो पारितोषिक राशि तय की गई थी, उसमें कोई वृद्धि नहीं की गई है। सरकार द्वारा अलग-अलग कार्यों के लिए पारितोषिक राशि में वृद्धि की जानी चाहिए। जिससे आशा कार्यकर्ता को बढ़ती महंगाई के अनुरूप आय सुनिश्चित हो सके।

-वंदना कुमारी

छह माह से लंबित प्रोत्साहन राशि और पारितोषिक राशि का जल्द से जल्द भुगतान किया जाए, जिससे सभी आशा कार्यकर्ताओं और आशा फैसिलेटर को परिवार के भरण-पोषण में मदद मिल सके। विभाग की ओर से उन लोगों को केवल आश्वासन मिलता है। काम के अनुरूप पारितोषिक राशि बढ़ाई जानी चाहिए।

-कविता कुमारी

आशा कार्यकर्ता और आशा फैसिलेटर की सेवा की उम्र सीमा 60 वर्ष तय की गई है। रिटायर होने के बाद किसी तरह की सहायता राशि नहीं देने का प्रावधान है। सरकार आशा कार्यकर्ता के सेवा की अधिकतम उम्र सीमा 65 वर्ष सुनिश्चित करें।

-रूबी कुमारी

आशा कार्यकर्ताओं को एक गर्भवती महिला का प्रसव कराने के बाद 42 दिन तक उसकी निगरानी करती पड़ती है। इसके बाद बच्चे को टीका लगाया जाता है। लेकिन इस बीच बच्चे को किसी परिजन के यहां जाने के कारण समय पर टीका नहीं लग पाता है, तो इसका नुकसान आशा कार्यकर्ता को होता है।

-अंजली कुमारी

आशा कार्यकर्ता को पहले एक प्रसूता के लिए 6 सौ रुपए मिलते थे। लेकिन इस नियम में बदलाव कर गर्भवती को सूई देने, बच्चे का टीकाकरण, नौ माह की सूई, समेत अन्य कार्यों के हिसाब से पारितोषिक राशि का भुगतान किया जाता है। यदि किसी कारण प्रसूता या बच्चा कही दूसरी जगह चला जाय, तो इसका खामियाजा आशा कार्यकर्ता को आर्थिक क्षति के रूप में भुगतना पड़ता है।

-रिंकू देवी

हेल्थ एण्ड वेलनेस सेंटर से जुड़ी सभी आशा कार्यकर्ता और आशा फैसिलेटर को दी जाने वाली राशि का भुगतान पोर्टल के माध्यम से होना चाहिए। इससे उन लोगों को समय पर राशि भुगतान होने से राहत मिलेगी और वह अपने काम को बेहतर तरीके से पूरा कर सकेंगी।

-सुमन कुमारी

केंद्र सरकार और राज्य सरकार आपसी विमर्श के आधार पर आशा कार्यकर्ता एवं आशा फैसिलेटर के लिए 21 हजार न्यूनतम मानदेय राशि सुनिश्चित करे, जिससे इस महंगाई के दौर में उन सभी के लिए अपना और परिवार का भरण-पोषण करना संभव हो सके। इस उम्र में उनके द्वारा दूसरा कोई काम करना संभव नहीं है।

-बीना देवी

60 साल में आशा कार्यकर्ता रिटायर हो जाती हैं, इसके बाद वह क्या करेंगी यह चिंता सताती है। रिटायर होने के बाद 10 लाख रुपये का पैकेज मिलना चाहिए। इसके अलावा सरकार अनिवार्य मासिक पेंशन की सुविधा सुनिश्चित करे।

-नूतन कुमारी

पोर्टल की तकनीकि गड़बड़ी के कारण समय पर पारितोषिक राशि का भुगतान नहीं हो पाता है। किसी को तीन माह से तो किसी को छह माह से पारितोषिक राशि नहीं मिल सकी है। एक तो काफी कम पैसे मिलते हैं और वह भी समय पर नहीं मिल पाता है। सरकार को इसपर ध्यान देना चाहिए।

-ममता सिन्हा

2023 में हुए संघ और सरकार के लिखित समझौते के बाद भी उन लोगों को सरकार से कोई लाभ नही मिल सका है। पारितोषिक बढ़ाकर मानदेय के रूप में 25 सौ रुपये देने पर समझौता हुआ था। लेकिन आज तक समझौते के अनुसार मानदेय का भुगतान नहीं हो रहा है।

-सोनी कुमारी

शिकायतें

1. आशा फैसिलेटर को 30 दिनों तक काम करने के बाद 21 दिनों का ही भुगतान होता है। इससे उन्हें आर्थिक नुकसान होता है।

2. आशा कर्मियों को पिछले 6 माह से बकाया प्रोत्साहन और पारितोषिक राशि नहीं मिली है, जिससे परिवार का भरण-पोषण करना मुश्किल हो गया है।

3. पोर्टल की तकनीकि गड़बड़ी के कारण आशा कार्यकर्ताओं को समय पर प्रोत्साहन राशि का भुगतान नहीं हो पाता है। इससे उनकी परेशानी बढ़ जाती है।

4. आशा कार्यकर्ता को पारितोषिक राशि दी जाती है, लेकिन यदि किसी कारण से गर्भवती या बच्चा तय समय सीमा में कहीं चला जाय तो इसका नुकसान आशा कार्यकर्ता को नहीं होता है।

5. स्वास्थ्य विभाग से जुड़ी योजनाओं के साथ हर विशेष दिवस और चुनाव कार्यों में भी आशा कार्यकर्ताओं से काम लिया जाता है, लेकिन इसके लिए प्रोत्साहन राशि नहीं मिलती है।

सुझाव

1. आशा फैसिलेटर को 30 दिन के काम के लिए तीस दिनों की राशि का भुगतान किया जाना चाहिए, जिससे हर माह होने वाले आर्थिक नुकसान से राहत मिले।

2. हेल्थ एण्ड वेलनेस सेंटर से जुड़ी सभी आशा कार्यकर्ता और आशा फैसिलेटर को दी जाने वाली राशि का भुगतान पोर्टल के माध्यम से होना चाहिए।

3. छह माह से लंबित प्रोत्साहन राशि और पारितोषिक राशि का जल्द से जल्द भुगतान किया जाए, इससे सभी आशा कार्यकर्ताओं की परेशानी तत्काल दूर होगी।

4. सरकार ने आशा कार्यकर्ता और आशा फैसिलेटर की सेवा की उम्र सीमा 60 वर्ष तय की है। आशा कार्यकर्ता के सेवा की अधिकतम उम्र सीमा 65 वर्ष करनी चाहिए।

5. आशा कार्यकर्ता और आशा फैसिलेटर के लिए सरकार द्वारा 21 हजार रुपए मासिक मानदेय सुनिश्चित किया जाना चाहिए, जिससे उनलोगों को आर्थिक मजबूती मिल सके।

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