Challenges Faced by Athletes in Katihar District A Call for Better Sports Infrastructure बोले कटिहार: बेहतर रनिंग ट्रैक के साथ मिले प्रशिक्षण तो आसान हो तैयारी, Bhagalpur Hindi News - Hindustan
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बोले कटिहार: बेहतर रनिंग ट्रैक के साथ मिले प्रशिक्षण तो आसान हो तैयारी

कटिहार जिले के ग्रामीण युवा अपने सपनों को पूरा करने के लिए मेहनत कर रहे हैं, लेकिन उन्हें बुनियादी सुविधाओं की भारी कमी का सामना करना पड़ रहा है। प्रशिक्षकों की कमी और खराब ट्रैक के कारण कई युवा शहरों...

Newswrap हिन्दुस्तान, भागलपुरSat, 17 May 2025 12:52 AM
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बोले कटिहार: बेहतर रनिंग ट्रैक के साथ मिले प्रशिक्षण तो आसान हो तैयारी

जिले के एथलीटों की परेशानी प्रस्तुति: ओमप्रकाश अम्बुज, मणिकांत रमण कटिहार जिले के गांवों में छिपे कई सपने धूल-मिट्टी के रास्तों पर अपने पंख फैलाने की कोशिश कर रहे हैं। यहां के युवा बड़े लक्ष्य लेकर मैदान में उतरते हैं, लेकिन उन्हें हर कदम पर चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। न अच्छे ट्रैक हैं, न प्रशिक्षकों का मार्गदर्शन, फिर भी इन युवाओं के हौसले कभी कम नहीं होते। सुबह की ठंडी हवाओं के बीच, पसीने से तरबतर ये नौजवान अपने सपनों की ओर दौड़ते रहते हैं, बस एक उम्मीद के साथ – कि एक दिन उनका संघर्ष उन्हें अपने गांव, जिले और राज्य का गौरव दिलाएगा।

कटिहार जिले के कुरसेला, समेली, बरारी, फलका, कोढ़ा, मनसाही, हसनगंज और डंडखोरा समेत अन्य प्रखंडों में युवा अपने सपनों की उड़ान भरने की कोशिश में जुटे हैं। इन इलाकों के कई युवा न केवल सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहे हैं, बल्कि एथलीट बनने का भी सपना संजोए हुए हैं। लेकिन इन ग्रामीण युवाओं को अपने लक्ष्य तक पहुंचने के लिए जिस बुनियादी ढांचे की जरूरत होती है, उसकी भारी कमी है। ग्रामीण क्षेत्रों में ना तो बेहतर ट्रैक है, न ही अच्छे ग्राउंड और न ही प्रैक्टिस के लिए जरूरी नेट, गद्दा या अन्य सुविधाएं उपलब्ध हैं। ऐसे में कई होनहार युवा मजबूरी में शहर का रुख कर लेते हैं, जहां निजी फिजिकल एकेडमी में उन्हें सुविधाएं मिलती हैं, लेकिन इसके लिए अधिक पैसे खर्च करने पड़ते हैं। एथलीट ने बताया अपनी पीड़ा ग्रामीण एथलीट अमित कुमार, अमलेश कुमार एवं गौतम कुमार जैसे कई युवाओं का कहना है कि वे गांव के सच्चे सपूत हैं, जो अपने दम पर आगे बढ़ना चाहते हैं। लेकिन स्थानीय स्तर पर न तो कोई प्रशिक्षक है, न ही ऐसा ग्राउंड जहां वे आराम से ट्रेनिंग कर सकें। उनकी मांग है कि सरकार और स्थानीय प्रशासन सभी प्रखंडों में कम से कम एक बेहतर ग्राउंड और प्रशिक्षण की व्यवस्था करे, ताकि वे अपने सपनों को पूरा कर सकें। गांव में सुविधा का है अभाव समस्याएं केवल सुविधाओं की कमी तक सीमित नहीं हैं। गांव में दौड़ने के दौरान बेहतर ट्रैक न मिलने से युवाओं को पैरों में कांटा चुभने, चोट लगने और कई बार हड्डी टूटने जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। कई बार ट्रैक की खराब स्थिति के कारण वे गंभीर रूप से घायल भी हो जाते हैं। इसके बावजूद, सुबह चार बजे से लेकर सात बजे तक, ये युवा जी-तोड़ मेहनत करते हैं, पसीना बहाते हैं और अपने लक्ष्य को हासिल करने की कोशिश में लगे रहते हैं। युवाओं का कहना है कि अगर उन्हें गांव में ही बुनियादी सुविधाएं मिलें तो वे न केवल अपने परिवार, बल्कि अपने जिले और राज्य का नाम भी रोशन कर सकते हैं। वे चाहते हैं कि स्थानीय प्रशासन और जनप्रतिनिधि उनकी आवाज सुनें और उन्हें आगे बढ़ने का मौका दें। 50 युवा एक ग्राउंड पर प्रतिदिन लगाते हैं दौड़ 2000 रुपए होता है प्रशिक्षण में खर्च 400 मीटर ट्रैक पर 25 राउंड लगाना पड़ता है चक्कर सुझाव: 1. प्रशिक्षण की सुविधा: हर प्रखंड में कम से कम एक अच्छा ग्राउंड और ट्रैक बनाया जाए, जहां युवाओं को दौड़ और अन्य खेलों की बेहतर ट्रेनिंग मिल सके 2. प्रशिक्षक की नियुक्ति: गांव स्तर पर योग्य प्रशिक्षकों की नियुक्ति की जाए, जो युवाओं को सही मार्गदर्शन दे सकें। 3. मैराथन और प्रतियोगिताएं: समय-समय पर स्थानीय स्तर पर मैराथन, स्प्रिंट और अन्य खेल प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाए, ताकि युवाओं का मनोबल बढ़े 4. आर्थिक सहायता: जरूरतमंद युवाओं को खेल उपकरण, जूते और किट के लिए आर्थिक मदद दी जाए 5. सपोर्ट सिस्टम: खेल के क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले युवाओं के लिए करियर गाइडेंस और छात्रवृत्ति की व्यवस्था हो। शिकायतें: 1. बुनियादी सुविधाओं की कमी: गांवों में ट्रैक, नेट, गद्दा और अन्य बुनियादी सुविधाओं का अभाव है, जिससे तैयारी में बाधा आती है। 2. चोट और जोखिम: खराब ट्रैक और सुविधाओं के अभाव में युवा अक्सर चोटिल हो जाते हैं, जिससे उनका करियर प्रभावित होता है। 3. कोच की कमी: प्रशिक्षकों की कमी के कारण युवाओं को सही मार्गदर्शन नहीं मिल पाता। 4. शहरों पर निर्भरता: सुविधाओं की कमी के कारण कई युवा शहरों का रुख करने पर मजबूर हो जाते हैं, जो आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के लिए मुश्किल है 5. सरकारी उपेक्षा: स्थानीय प्रशासन और जनप्रतिनिधि इस ओर पर्याप्त ध्यान नहीं देते, जिससे गांव के युवाओं का हौसला टूटता है। इनकी भी सुनें ग्रामीण युवाओं को बेहतर खेल सुविधाएं न मिलना बड़ी चिंता का विषय है। हमें गांव में ही अच्छा ट्रैक, ग्राउंड और प्रशिक्षक चाहिए ताकि हम अपने सपनों को पूरा कर सकें। शहर जाकर खर्चा करना सही नहीं है। सरकार से उम्मीद है कि वे गांवों में खेल के विकास के लिए तेजी से कदम उठाएंगे। – अमित कुमार हम जैसे ग्रामीण युवा कड़ी मेहनत कर रहे हैं, लेकिन सुविधाओं की कमी से चोट लगने का खतरा रहता है। बेहतर ग्राउंड और प्रशिक्षक की जरूरत है। शहर जाना हर किसी के बस की बात नहीं। स्थानीय प्रशासन को खेल क्षेत्र में सुधार करना चाहिए ताकि युवा बिना बाधा के तैयारी कर सकें। – अमलेश कुमार हमारे गांव में खेल सुविधाओं का अभाव है। अच्छा ट्रैक और नेट उपलब्ध नहीं हैं, जिससे प्रशिक्षण में कठिनाई होती है। हमें उम्मीद है कि सरकार और स्थानीय अधिकारी जल्द ही इस ओर ध्यान देंगे और युवाओं के सपनों को पूरा करने में मदद करेंगे। – गौतम कुमार युवाओं में खेल के प्रति काफी जुनून है, लेकिन सुविधाएं न होने के कारण कई बार हम पीछे रह जाते हैं। हमें गांव में ही बेहतर ग्राउंड और प्रशिक्षक चाहिए ताकि हम देश और राज्य का नाम रोशन कर सकें। – रोशन कुमार गांव में खेल के लिए सही जगह नहीं है, जिससे तैयारी प्रभावित होती है। हमें उम्मीद है कि अधिकारी इस समस्या को समझेंगे और गांव में खेल सुविधाओं का विकास करेंगे, ताकि युवा बिना रुकावट के तैयारी कर सकें। – मिथुन कुमार हमारी मेहनत को सफल बनाने के लिए गांव में बेहतर खेल सुविधाएं जरूरी हैं। ट्रैक खराब होने से चोट लगती है। प्रशासन से आग्रह है कि वे गांव में ग्राउंड और प्रशिक्षकों की व्यवस्था करें। – राणा कुमार खेल में आगे बढ़ने के लिए गांव में ही सुविधाएं होनी चाहिए। शहर जाना सबके लिए संभव नहीं है। हमें अच्छे मैदान और कोच की जरूरत है ताकि हम अपनी तैयारी बेहतर कर सकें अमित कुमार गांव में खेल की सुविधाओं की कमी से हम मजबूर होकर शहरों का रुख करते हैं। अगर गांव में ग्राउंड और प्रशिक्षक मिल जाएं तो हम गांव में रहकर ही अपने सपने पूरे कर सकेंगे। सूरज कुमार खेल के लिए उपयुक्त जगह और उपकरण न मिलना युवाओं का मनोबल तोड़ता है। हमें सरकार से अनुरोध है कि वे गांवों में खेल सुविधाओं को बेहतर बनाएं ताकि हम बिना बाधा के तैयारी कर सकें। मिथिलेश कुमार गांव में खेल का माहौल बेहतर हो तो युवा बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं। हमें बेहतर ट्रैक और प्रशिक्षक की जरूरत है। प्रशासन को इस दिशा में तेजी से काम करना चाहिए। सूरज कुमार हम सभी युवा मेहनत करते हैं, लेकिन सुविधाओं की कमी से चोट लगती है और मनोबल गिरता है। सरकार से उम्मीद है कि वे गांवों में खेल सुविधाएं बेहतर करें। मनोज कुमार खेल के लिए गांव में बेहतर ग्राउंड और प्रशिक्षक की कमी है। हमें शहर नहीं जाना पड़ना चाहिए। सरकार को गांवों के खेल इंफ्रास्ट्रक्चर पर ध्यान देना चाहिए। विकास कुमार हमारे लिए बेहतर ट्रैक और नेट की जरूरत है ताकि हम आराम से प्रैक्टिस कर सकें। प्रशासन को इस दिशा में काम करना चाहिए। सतीश कुमार गांवों में खेल के लिए जरूरी सुविधाओं की कमी से हम पीछे रह जाते हैं। अच्छे कोच और ग्राउंड की व्यवस्था होनी चाहिए। प्रमोद कुमार खेल के लिए सुविधाएं न होने से तैयारी में बाधा आती है। हम चाहते हैं कि गांव में ही सभी जरूरी संसाधन उपलब्ध हों। अनिरुद्ध कुमार ग्रामीण क्षेत्र में खेल के लिए जगह और प्रशिक्षकों की कमी है। अगर सुविधा मिले तो हम बेहतर प्रदर्शन कर सकेंगे। रतन कुमार खेल में आगे बढ़ने के लिए हमें बेहतर ट्रैक और कोच चाहिए। प्रशासन को इस ओर ध्यान देना चाहिए। शंभू कुमार खेल के लिए उचित जगह न मिलना युवाओं के लिए बड़ी समस्या है। हमें उम्मीद है कि स्थानीय प्रशासन इस दिशा में सुधार करेगा। नीतीश कुमार अगर गांव में खेल सुविधाएं बेहतर हों तो युवा अपने सपनों को आसानी से पूरा कर सकेंगे। हमें इसके लिए प्रशासन से समर्थन चाहिए। नीतीश कुमार बोले जिम्मेदार कटिहार जिले के ग्रामीण युवाओं को खेल और प्रशिक्षण के लिए बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी सरकार और स्थानीय प्रशासन की है। सही ट्रैक, प्रशिक्षक और बेहतर ग्राउंड के अभाव में युवा अपने सपनों को पूरा नहीं कर पा रहे हैं। हमें चाहिए कि हर प्रखंड में उचित खेल संरचना बनाई जाए और नियमित रूप से मैराथन व प्रतियोगिताएं आयोजित हों। साथ ही, खिलाड़ियों को आर्थिक मदद और कोचिंग की सुविधा भी मिलनी चाहिए। इससे न केवल युवा खुद आगे बढ़ेंगे, बल्कि जिले का नाम भी रोशन होगा। स्थानीय अधिकारी इस दिशा में तुरंत पहल करें और युवाओं का हौसला बढ़ाएं। अशोक कुमार अग्रवाल, विधान पार्षद, कटिहार

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