बोले पूर्णिया : साइकिलिस्टों के लिए बने ट्रैक तो निखरेगी प्रतिभा, जीतेंगे रेस
पूर्णिया में साइकिलिंग का इतिहास 1942 से शुरू होता है जब यहाँ साइकिल का उपयोग बढ़ा। आज जिले में 50 से अधिक साइकिलिस्ट हैं, जिनमें से 5 राष्ट्रीय स्तर तक पहुँच चुके हैं। हालांकि, प्रतिभागियों को ट्रैक...
वैसे तो भारतवर्ष में 19वीं सदी में ही साइकिल आ गई थी लेकिन पूर्णिया में इसका इतिहास 1942 के बाद से मिलता है जब मुंबई में साइकिल का निर्माण शुरू हुआ था। ऐसा माना जाता कि उसी दशक में पूर्णिया के राजघराने में साइकिल आई थी। उस समय लोग इसे साइकिल नहीं बल्कि 'पांव-गाड़ी' कहते थे। वर्ष 1950 के बाद गांव के कुछ बड़े-बड़े लोगों ने भी साइकिल खरीदी। उस समय साइकिल को स्टेटस सिंबल माना जाता था। आज की तारीख में साइकिल की जगह मोटरसाइकिल और बाइक ने ले ली है लेकिन राज्य सरकार ने स्कूली बच्चों के लिए साइकिल योजना चलाई है। इससे साइकिल चलाने वाले का एक बड़ा कुनबा जिले में तैयार हुआ है। आज साइकिलिंग स्विमिंग के बाद एक अच्छा व्यायाम साबित हुआ है। इस कारण हर उम्र के लोग साइकिलिंग को पसंद करने लगे हैं। साइकिलिंग गेम भी है। अभी पूर्णिया में 50 से अधिक खिलाड़ी हैं जो साइकिलिंग करते हैं। संवाद के दौरान खिलाड़ियों ने अपनी समस्या बताई।
50 से अधिक है पूर्णिया जिले में साइकिलिस्ट की संख्या
05 साइकिलिस्ट खिलाड़ी राष्ट्रीय स्तर तक पहुंच चुके हैं
08 वर्षों से प्रतिभागियों को आगे बढ़ा रहा साइकिलिंग एसोसिएशन
जिले में साइकिलिंग प्रतियोगिता से जुड़े प्रतिभागियों के सामने कई चुनौतियां हैं। इन चुनौतियों को न केवल प्रतिभागी खिलाड़ियों को झेलना पड़ता है बल्कि इनके प्रोत्साहन और निरंतर सहयोग में लगे साइकिल एसोसिएशन भी झेलता है। हालांकि इन लोगों का सहयोग और सकारात्मक सोच इन्हें कभी डगमगाने नहीं देती है। इनकी परेशानी है कि इस क्षेत्र में विद्यालय का सपोर्ट नहीं मिलता है। साइकिल एसोसिएशन से जुड़े अधिकारियों का मानना है कि यदि इन्हें आगे बढ़ाने में स्कूल का सपोर्ट मिले और अधिक से अधिक बच्चे प्रतियोगिता में भाग लें तो निश्चित रूप से यह क्षेत्र कम समय में बच्चों को राष्ट्रीय क्षितिज तक पहुंचा सकता है।
जिले के 50 खिलाड़ी करते हैं नियमित अभ्यास :
हिन्दुस्तान संवाद के दौरान जिला स्कूल खेल मैदान में साइकिलिस्टों ने अपनी परेशानी बताई। इनके सदस्यों की मानें तो जिले भर में 50 से अधिक खिलाड़ी साइकिलिंग से जुड़कर नियमित रूप से अभ्यास करते हैं। लेकिन इन प्रतिभागियों के लिए ट्रैक नहीं हैं। स्कूल लेबल पर साइकिलिंग की प्रतियोगिता नहीं होती है। इसके लिए स्कूल और प्रखंड लेवल पर साइकिलिंग गेम होना चाहिए। ताकि प्रतिभागी गांव से निकलकर शहरी क्षेत्र में होने वाले प्रतियोगिता में भाग ले सकें। इससे इस क्षेत्र को बढ़ावा मिलेगा। अभी सिर्फ साइकिलिंग एसोसिएशन के माध्यम से प्रतियोगिता का आयोजन होता है। इससे गांव से प्रतिभा सामने नहीं आ पाती है। इसके लिए गांव के स्कूल लेबल तक पहुंचाने की जरूरत है।
2017 से काम कर रहा एसोसिएशन :
अभी साइकिलिंग एसोसिएशन के माध्यम से जिले से प्रत्येक वर्ष पांच से छह बच्चे राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता तक पहुंच रहे हैं। इस अभियान में साइकिलिंग एसोसिएशन 2017 से लगा है। एक प्रकार से देखा जाए तो अभी तक 40 से 50 बच्चों को साइकिलिंग क्षेत्र में राष्ट्रीय स्तक तक पहुंचा चुके हैं। इसलिए प्रतियोगिता का विस्तार हो जाए और बढ़ावा मिलने लगे तो निश्चित रूप से इस क्षेत्र के प्रतिभागी काफी आगे बढ़ेंगे। एसोसिएशन की मानें तो सरकार की ओर से इस क्षेत्र में सहयोग मिले और इस प्रतियोगिता को बढ़ावा दिया जाय तो निश्चित रूप से इनसे कई खिलाड़ी राष्ट्रीय स्तर तक पहुंचकर जिले और नाम रौशन करेंगे। मगर ऐसा नहीं हो पाता है।
सरकारी सहायता की दरकार :
साइकिलिंग एसोसिएशन के सचिव विजय शंकर बताते हैं कि यहां साइकिलिंग के लिए ट्रैक नहीं हैं। इनसे जुड़े प्रतिभागियों के सामने रेसिंग बाईक की परेशानी आती है। चूंकि इसकी काफी कीमत होती है। इस रेसिंग साइकिल की कीमत दो लाख रुपए तक आती है। इनसे जुड़े जूते की कीमत आठ से दस हजार है। प्रतिभागी इतना खर्च एफर्ट नहीं कर पाते। इसलिए इस क्षेत्र की प्रतियोगिता को बढ़ावा के लिए सरकार की मदद हर स्तर पर जरूरी है। जबकि यह एक ऐसा क्षेत्र हैं जिसमें कम समय मे बच्चे दूर तक पहुंच सकते हैं। इन्हें कम समय में बड़ी सफलता मिल सकती है। साइकिलिंग से न केवल खिलाड़ी आगे बढ़ते हैं बल्कि पर्यावरण बेहतर रहता है और उसका स्वास्थ्य भी अच्छा रहता है।
पर्यावरण की होती है रक्षा, बने ट्रैक :
एसोसिएशन से जुड़े शशांक शेखर उर्फ गुडडू सिंह बताते हैं कि साइकिलिंग से पर्यावरण बेहतर रहता है। इसलिए साइकिलिंग को निश्चित रूप से बढ़ावा मिलना चाहिए। जिले में साइकिल वेलोड्रम (ट्रैक) बनाया जाना चाहिए। यह सिर्फ 500 मीटर के दायरे में तैयार हो जाता है। इससे प्रतिभागी नियमित रूप से अभ्यास कर सकेंगे। जब साइकिलिंग में कोई प्रतिभागी राष्ट्रीय स्तर तक पहुंच जाते हैं तो उन्हें अभ्यास की जरूरत होती है। इसके लिए उन्हें रोड, पहाड़ या फिर वेलो ड्रम में अभ्यास की जरूरत होती है। इसलिए जिले में साइकिलिंग वेलोड्रम बनाने की जरूरत है। यह सुविधा होने से यहां के साइकिलिंग प्रतिभागी अपना अभ्यास कर सकेंगे। इनके अलावा सड़कों पर साइकिलिंग ट्रैक बने। इससे उन सड़कों पर साइकिलिंग से जुड़े न केवल प्रतिभागी अपना प्रयास को आगे बढ़ा सकेंगे बल्कि साइकिलिंग से जुड़े प्रतिभागी को अभ्यास करने में सहूलियत होगी और राज्य या फिर राष्ट्रीय स्तर के प्रतियोगिता में प्रदर्शन करने में सहायता मिलेगी।
शिकायत:
1. जिले में साइकिलिंग के विकास की सुविधा नहीं।
2. प्रखंड लेवल पर साइकिलिंग या प्रतियोगिता नहीं होती।
3. साइकिलिंग वेलोड्रम की सुविधा नहीं होने से परेशानी।
4. साइकिलिंग खिलाड़ी को प्रोत्साहन नहीं मिलता।
5. इधर-उधर भटक रहे छोटी उम्र के साइकिलिंग खिलाड़ी।
सुझाव:
1. जिले में साइकिलिंग करने वाले के लिए ट्रैक बने।
2. साइकिलिंग के प्रतिभागियों को प्रोत्साहन मिले।
3. स्कूल व प्रखंड लेवल पर साइकिलिंग की सुविधा हो।
4. साइकिलिंग की समय-समय पर प्रतियोगिता हो।
5. साइकिलिंग प्रतिभागी को सरकारी मदद मिले।
हमारी भी सुनें :
1. जिले में साइकिलिंग के प्रतिभागी के लिए ट्रैक की सुविधा नहीं है। इससे इनसे जुड़े प्रतिभागी को मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। इसलिए इन खिलाड़ियों के लिए सुविधा तय होनी चाहिए।
-विजय शंकर, सचिव, पूर्णिया डिस्ट्रिक साइकिलिंग एसोसिएशन
2. जिले में साइकिलिंग के बढ़ावा के लिए स्कूल और प्रखंड लेबल पर इसकी प्रतियोगिता कराई जानी चाहिए ताकि गांव से खिलाड़ी निकल सकें। इससे इसके अधिक से अधिक प्रतिभागी सामने आयेंगे।
आलोक लोहिया, एसोसिएशन सदस्य
3. जिले में साइकिलिंग क्षेत्र में आगे आने वाले बच्चे राष्ट्रीय स्तर पर पहुंच रहे हैं। अभी जिले से पांच बच्चे राष्ट्रीय स्तक तक पहुंचे हैं। इसलिए इस क्षेत्र में जितना प्रतिभागी भाग लेंगे। उतना आगे बढ़ेंगे।
सुरेन्द्र कुमार सरोज, एसोसिएशन सदस्य
4. साइकिलिंग रेस में भाग लेने वाले बच्चों को आगे बढ़ाने के लिए सरकार की ओर मदद की जानी चाहिए। इससे खिलाड़ी आगे बढ़ सकेंगे। इसकी साइकिल काफी महंगी होती है।
नवीन कुमार
5. साइकिलिंग से कई फायदे होते हैं। इसलिए साइकिल रेस को निश्चित रूप से बढ़ावा मिलना चाहिए। इससे पर्यावरण और स्वास्थ्य दोनों अच्छा रहता है। इसलिए इसपर ध्यान दिया जाना चाहिए।
परिमल सिंह
6. जिले में साइकिलिंग के लिए एक साइकिलिंग वेलोड्रम बनाया जाना चाहिए। इससे साइकिलिंग के खिलाड़ी नियमित रूप से अभ्यास कर सकेंगे और राष्ट्रीय स्तर पर पहुंचने में आगे दिक्कत नहीं होगी।
शशांक शेखर सिंह उर्फ गुडडू सिंह
7. साइकिल रेस के माध्यम से बच्चे कम समय में सफलता पा सकते हैं। जितना अन्य खेलों में अभ्यास करते हैं उतनी यदि साइकिलिंग में अभ्यास करें तो कम समय में राष्ट्रीय स्तर तक पहुंच सकते हैं।
डॉ आलोक कुमार, उपाध्यक्ष, बिहार साइकिल एसोसिएशन
8. साइकिलिंग को बढ़ावा देने के लिए अधिक से अधिक बच्चों को इससे जुड़ना चाहिए। इससे कम समय में बच्चे अपनी प्रतिभा को मुकाम दे सकते हैं। इसके लिए आगे आने की जरूरत है।
मुरारी सिंह
9. जिले में साइकिल ट्रैक नहीं होने के कारण बच्चे जब राष्ट्रीय स्तर तक पहुंचते हैं तो उन्हें अभ्यास कराने के लिए अन्यत्र ले जाना पड़ता है। इसलिए स्थानीय स्तर पर इसके लिए सुविधा होनी चाहिए।
राजू झा
10. साइकिलिंग से शरीर फिट रहता है। स्वास्थ्य अच्छा बना रहता है। इसलिए साइकिलिंग को बढ़ावा देने की जरूरत है ताकि खिलाड़ी का स्वास्थ्य भी अच्छा रहे और कम समय में आगे बढ़ सकें।
राणा प्रताप सिंह
11. साइकिलिंग प्रतियोगिता में आने वाले बच्चे राष्ट्रीय स्तर तक पहुंचे हैं। ऐसे बच्चे जो राष्ट्रीय स्तर तक पहुंचे हैं। इनकी प्रतिभा को आगे बढ़ाने के लिए सरकार से मदद मिलनी चाहिए।
राजीव सिंह
12. साइकिलिंग प्रतियोगिता में अधिक से अधिक बच्चों को भाग लेना चाहिए। इसके प्रति जागरूकता बनाए रखने से अन्य खेलों की अपेक्षा यहां कम समय में सफलता प्राप्त कर सकते हैं।
कृष्ण कुमार
13. साइकिलिंग के जरिए राष्ट्रीय स्तर तक पहुंच बनाई। इस खेल को बरकरार रखने के लिए सरकार के स्तर से खिलाड़ी को मदद मिलनी चाहिए। अभी एसोसिएशन की मदद है तभी खेल को जारी रख पा रहे हैं।
रानी कुमारी, राष्ट्रीय खिलाड़ी, साइकिलिंग
14. पिछले कई वर्षों से साइकिलिंग एसोसिएशन से जुड़कर प्रतियोगिता में भाग ले पा रहे हैं। एसोसिएशन के सहयोग से प्रतियोगिता में भाग लेकर राष्ट्रीय स्तर तक पहुंचे हैं। इसलिए सरकार के सहयोग की जरूरत है।
मानसी कुमारी खैर
15. साइकिलिंग में असीम संभावानाएं हैं। इसलिए इस क्षेत्र को बढ़ावा सरकार की ओर से मिलना चाहिए। इससे खिलाड़ी आगे बढ़ सकेंगे।
करीना कुमारी, साइकिलिंग खिलाड़ी
16. साइकिलिंग मंहगा खेल है। इस खेल के लिए सरकार को प्लान बनाना चाहिए। इससे खिलाड़ी को मदद मिलेगी और कमजोर तबके के खिलाड़ी आगे बढ़ सकेंगे।
लाडली कुमारी, राष्ट्रीय खिलाड़ी
17. जिले में साइकिलिंग को आगे बढ़ाने में एसोसिएशन के सदस्यों की अहम भूमिका है। इसलिए नियमित रूप से चार-पांच खिलाड़ी आगे निकल रहे हैं। इसे बरकरार रखने के लिए सरकार की मदद जरूरी है।
खुशबू कुमारी, राष्ट्रीय खिलाड़ी
18. साइकिलिंग के लिए जिले में ट्रैक की सुविधा नहीं है। जिले में साईकिलिंग ट्रैक बनाया जाना चाहिए। इससे इस क्षेत्र के खिलाड़ी को सहूलियत होगी।
अंशुमन झा, खिलाड़ी
19. जिले में साइकिलिंग को बढ़ावा देने के लिए प्रशासन का भी सहयोग मिलना चाहिए। इससे समय-समय पर खिलाड़ी को मदद मिलेगी। खिलाड़ी आगे बढ़ सकेंगे।
मो. शहजादा, खिलाड़ी
20. जिले में साइकिल को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। इससे इस क्षेत्र से जुड़े खिलाड़ी को निरंतर अभ्यास करने में सहूलियत होगी और वे आगे बढ़ सकेंगे।
अंकित तिर्की, खिलाड़ी
21. जिले में साइकिल एसोसिएशन की ओर से प्रतिभागी को काफी मदद मिलती है। यदि जिला प्रशासन और सरकार की तरफ से इस ओर ध्यान होगा तो निश्चित रूप से यह क्षेत्र आगे बढ़ेगा।
प्रणव प्रवीण, खिलाड़ी
22. साइकिल रेस के प्रतिभागी अपने स्तर से काफी मेहनत करते हैं। लेकिन परेशानी यह है कि यहां साइकिल रेस के लिए ट्रैक की सुविधा नहीं है। इसलिए परेशानी का सामना करना पड़ता है।
यश देव, खिलाड़ी
बोले जिम्मेदार
भागदौड़ भरी जिंदगी में साइकिलिंग काफी जरूरी है। साइकिलिंग से स्वास्थ्य बेहतर रहता है। पर्यावरण भी स्वच्छ रहता है। जितनी साइकिलिंग होगी उतना ही प्रदूषण कम होगा। साइक्लिस्टों की मांग पर ध्यान दिया जायेगा।
-विजय खेमका, सदर विधायक
बोले पूर्णिया असर
बिहार कलाकार पंजीकरण पोर्टल से कलाकारों को मिलेगा मंच
पूर्णिया। कला संस्कृति एवं युवा विभाग बिहार सरकार द्वारा बिहार कलाकार पंजीकरण पोर्टल का विमोचन किया गया। यह जानकारी जिला सांस्कृतिक पदाधिकारी पंकज कुमार पटेल ने दी। उन्होंने बताया कि कला संस्कृति एवं युवा विभाग की ओर से प्रदेश के कलाकारों को उनकी नई पहचान दिलाने के लिए विभाग की ओर से बिहार कलाकार पंजीकरण पोर्टल का विमोचन किया गया। इस पोर्टल के जरिए बिहार के कलाकारों को मंच मिलने के साथ-साथ उनकी प्रतिभा को भी पहचान मिलेगी। कलाकारों को राष्ट्रीय व अंतराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने के लिए पोर्टल मील का पत्थर साबित होगा। पोर्टल के जरिए हर जिले, प्रखंड और गांव में रहने वाले कलाकार अपने बारे में जानकारी देंगे। शास्त्रीय नृत्य, शास्त्रीय गायन, लोकगीत, लोक नृत्य, नाट्य, चित्रकला, मूर्तिकला आदि विधा में कार्य कर रहे कलाकार इस पोर्टल के माध्यम से अपने आप को रजिस्टर्ड कर सकते हैं । पंजीकृत कलाकारों को विशिष्ट पहचान संख्या दी जाएगी, जो भविष्य में सरकारी योजनाओं, पुरस्कारों, प्रशिक्षण कार्यक्रमों और सांस्कृतिक योजनाओं में भागीदारी के लिए अनिवार्य होगा। इस पोर्टल से कलाकारों की ना केवल पहचान सुनिश्चित होगी, बल्कि सरकार को यह जानने में भी सुविधा होगी कि कहां और कौन से क्षेत्र के कलाकार उपलब्ध हैं तथा उन्हें किस प्रकार का सहयोग चाहिए। बता दें कि बोले पूर्णिया के तहत 4 अप्रैल के अंक में चित्रकारों की समस्या एवं इसके पूर्व 23 जनवरी को कलाकारों की समस्या को लेकर भी खबर प्रकाशित हुई थी।
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