Economic Crisis Threatens Weavers in Puraini Urgent Government Support Needed बोले भागलपुर: पुरैनी के बुनकरों को कपड़ा बेचने के लिए बाजार मिले, Bhagalpur Hindi News - Hindustan
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बोले भागलपुर: पुरैनी के बुनकरों को कपड़ा बेचने के लिए बाजार मिले

जगदीशपुर के पुरैनी पंचायत में बुनकरों की बड़ी आबादी है, जो आर्थिक संकट से जूझ रही है। तैयार कपड़े की बिक्री में कमी और सरकार से मदद के अभाव के कारण युवा रोजगार की तलाश में अन्य शहरों में जा रहे हैं।...

Newswrap हिन्दुस्तान, भागलपुरFri, 6 June 2025 06:52 PM
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बोले भागलपुर: पुरैनी के बुनकरों को कपड़ा बेचने के लिए बाजार मिले

जगदीशपुर प्रखड के पुरैनी दक्षिणी और पुरैनी उत्तरी पंचायत में बुनकरों की बड़ी आबादी है। दोनों पंचायत के अधिकांश परिवार इस पेशा से जुड़े हुए हैं। लेकिन तैयार कपड़ा को बाजार नहीं मिलने से यहां के बुनकर आर्थिक रूप से कमजोर हो रहे हैं। इसका असर उनके पुश्तैनी कारोबार पर पड़ रहा है। कारोबार में आर्थिक संकट के चलते युवा काम की खोज में दूसरे शहरों में जाने लगे हैं। तैयार कपड़े को बेचने की कोई व्यवस्था नहीं होने से बुनकरों में नाराजगी है। बुनकरों का कहना है कि सरकार के स्तर से कपड़े की खरीद करने के लिए केन्द्र खोलना चाहिए। बाजार में कपड़ा लेकर जाने पर व्यापारी उचित कीमत नहीं देना चाहते हैं। दिन-रात मेहनत करने के बाद भी इतनी कमाई नहीं हो रही है कि बुनकर परिवार का भरण-पोषण कर सकें।

भागलपुर-जगदीशपुर मुख्य सड़क किनारे स्थित है पुरैनी दक्षिणी और पुरैनी उत्तरी पंचायत। पहले पुरैनी और उसके आसपास के गांव के तैयार सिल्क कपड़ों की अपनी पहचान थी। यहां के कपड़े का निर्यात अमेरिका सहित अन्य देशों में होता था। अधिकांश परिवार इस पेशा से जुड़े हुए थे। लेकिन बाजार की उपलब्धता कम होने से बुनकरों की आर्थिक स्थिति कमजोर होने लगी। कपड़े की मांग कम होने के चलते बुनकरों को परिवार का भरण-पोषण करना मुश्किल हो गया। इसके चलते बहुत से परिवार इस कारोबार से अलग हो गये। रोजगार की खोज में युवा दूसरे शहरों में जाने लगे। पुरैनी के बुनकरों का कहना है कि अभी जो कपड़ा तैयार हो रहा है। उसे खरीदने वाला नहीं मिल रहा है। देश के विभिन्न शहरों में लगने वाले प्रदर्शनी मेला में भी दुकान की जगह खरीदनी पड़ती है। इसके चलते बुनकरों की आर्थिक स्थिति खराब होते जा रही है। बुनकरों का कहना है कि सरकार प्रोत्साहित नहीं कर रही है। बुनकरों के तैयार कपड़े को खरीदने की व्यवस्था सरकार करे। ताकि बुनकर अधिक से अधिक कपड़ा तैयार कर सकें।

पुरैनी दक्षिणी पंचायत के बुनकर मो.शमीम अंसारी ने बताया कि धागा बाजार से खरीदकर कपड़ा तैयार किया जाता है। सस्ते दर पर धागा बुनकरों को देने की कोई व्यवस्था नहीं है। इसके चलते बुनकरों को बाजार से अधिक कीमत पर धागा की खरीद करनी पड़ती है। भागलपुर के व्यापारी आर्डर देते हैं तो यहां के बुनकर कपड़ा तैयार करते हैं। इसके अलावा बुनकर जो कपड़ा तैयार करता है। उसकी मांग बाजार में कम होती है। मजबूरी में घाटा सहकर तैयार कपड़ा बेचना पड़ता है। तैयार कपड़ा अगर नहीं बिकेगा तो बुनकर आगे काम नहीं कर पायेंगे। सरकार की तरफ से कोई सहयोग नहीं मिल रहा है। सरकार को यहां के बुनकरों के लिए बाजार उपलब्ध कराना चाहिए। ताकि बुनकर उचित कीमत पर तैयार कपड़ा बेच सकें। इसी पंचायत के बुनकर मो.शहनवाज अंसारी ने बताया कि झारखंड,उड़ीसा, बंगाल, मुम्बई, दिल्ली और बिहार के कई शहरों में समय-समय पर कपड़ों का प्रदर्शनी सह मेला लगता है। उसमें कपड़ा लेकर यहां के बुनकर भी जाते हैं। लेकिन प्रदर्शनी मेला में दुकान खरीदनी पड़ती है। इसके चलते बुनकरों को आर्थिक नुकसान होता है। सरकार को प्रदर्शनी सह मेला में नि:शुल्क दुकान उपलब्ध कराना चाहिए। ताकि अधिक से अधिक बुनकरों को बाजार का लाभ मिल सके। पुरैनी उत्तरी पंचायत के मो.रिजाउल्लाह ने बताया कि पहले धागा कम कीमत पर मिलता था। बिजली बिल में छुट मिलती थी। लेकिन अब सरकार कोई सुविधा नहीं दे रही है। 2022 में पिता के निधन के बाद कुछ दिनों तक कपड़ा तैयार करने का काम किया। लेकिन आर्थिक तंगी के चलते पुस्तैनी काम को छोड़ना पड़ा। इसी पंचायत के सज्जाद ने बताया कि बाजार नहीं मिलने से बुनकरों को काम नहीं मिल रहा है। अब कपड़ा निर्यात नहीं होता है। दूसरे शहरों से कपड़े की मांग नहीं है। प्रदर्शनी सह मेला भी कम लग रहा है। सरकार बाजार के साथ बुनकरों को सस्ते दर पर धागा उपलब्ध कराये। पुरैनी दक्षिणी पंचायत के सरपंच प्रतिनिधि मो.नूर आलम उर्फ बबलू ने बताया कि सरकार को बुनकरों को प्रोत्साहित करने के लिए कदम उठाना चाहिए। तैयार कपड़ा नहीं बिकने से बुनकर निराश हैं। बाजार में औने-पौने भाव में तैयार कपड़ा बेचना पड़ता है। कभी -कभी बुनकरों को कपड़े की लागत भी नहीं मिल पाती है। संसाधनों की कमी के चलते भी बुनकर पलायन कर रहे हैं। बुनकर बहुल क्षेत्र होने के बावजूद सुविधाएं लोगों को ना के बराबर मिल रही है। सभी घरों में नियमित जलापूर्ति नहीं होती है। कई घरों में पानी नहीं पहुंच पाता है। अस्पताल की अच्छी व्यवस्था नहीं है। प्रसव कराने के लिए महिलाओं को भागलपुर जाना पड़ता है। जगदीशपुर अस्पताल में भी बेहतर व्यवस्था होनी चाहिए।

बुनकर समिति पुरैनी के अध्यक्ष अफजल आलम ने बताया कि इस क्षेत्र के बुनकरों को नियमित काम नहीं मिल रहा है। सप्ताह में दो-तीन दिन ही काम मिल पाता है। इसके बुरा असर बुनकरों पर पड़ रहा है। परिवार का भरण-पोषण और बच्चों को पढ़ाने में परेशानी हो रही है। इसका मुख्य कारण बुनकरों के तैयार माल की बिक्री न होना है। बुनकर के कपड़ों की बिक्री के लिए सरकार को बाजार उपलब्ध कराना चाहिए। सरकार को इस तरह की संस्था खोलनी चाहिए। जहां बुनकर अपना कपड़ा बेच सकें। खादी का मॉल खुल सकता है तो बुनकर के कपड़ों के लिए कोई संस्था क्यों नहीं खुल सकती है। बुनकरों के पलायन को रोकने के लिए सरकार को सस्ते दर पर धागा उपलब्ध कराना चाहिए। पहले पुरैनी दक्षिणी और पुरैनी उत्तरी पंचायत के अधिकांश घरों में सिल्क का कपड़ा तैयार होता था। लेकिन अब कुछ घरों में ही लोग इस काम से जुड़े हुए हैं। भागलपुर डैण्डलूम बुनकर विकास संघ पुरैनी के अध्यक्ष मो.शमीमउद्दीन अंसारी ने बताया कि बुनकरों के कल्याण के लिए कलस्टर बना था। 2012 से वह अध्यक्ष हैं। लेकिन अब कलस्टर बंद हो गया है। कोई बुनकर नहीं आते हैं। बुनकरों को प्रशिक्षित और जागरूक करने के लिए सरकार को कलस्टर को सक्रिय करना चाहिए। बुनकरों के तैयार कपड़े के मार्केटिंग की व्यवस्था सरकार को करना चाहिए। पुरैनी दक्षिणी के मेहताब आलम ने बताया कि उनका परिवार बुनकरों के तैयार कपड़े में फूल बनाने का काम करता है। अब बुनकर कपड़ा कम तैयार कर रहे हैं। इसके चलते मजदूरी नहीं मिल पा रही है। खर्च के हिसाब से आमदनी नहीं हो रहा है। महीना में 15 दिन काम नहीं मिलता है। बुनकरों के कल्याण के लिए सरकार को आगे आना चाहिए।

आर्थिक संकट के चलते कारोबार से दूर हो रहे बुनकर

पुरैनी दक्षिणी पंचायत के सरपंच प्रतिनिधि नूर आलम उर्फ बबलू ने बताया कि पुरैनी में बुनकरों के समक्ष कई तरह की समस्या है। जिसके कारण उनका कारोबार काफी कम हो गया है। काफी ऐसे बुनकर परिवार है जो आर्थिक सहयोग नहीं मिलने के कारण पेशे से दूर हो रहे हैं। सरकार एवं जिला प्रशासन से सहयोग नहीं मिला तो इस इलाके में बुनकर नाम के ही रह जाएंगे। कम मजदूरी के कारण बुनकर परिवार का भरण पोषण नहीं हो पाता है। जिससे काफी कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है। बुनकरों को आमदनी धीरे-धीरे कम होते जा रही है। कपड़ा खरीदने वाला कोई नहीं मिलता है। पुरैनी में बुनकरों की बड़ी आबादी है। लेकिन इस इलाके में व्यवस्थित स्वास्थ्य केंद्र का इंतजाम नहीं है। सरकार को यहां बेहतर अस्पताल की व्यवस्था करनी चाहिए। ताकि बीमार पड़ने पर ग्रामीणों को इलाज की सुविधा मिल सके।

बुनकरों को कम कीमत पर मिले कच्चा धागा

पुरैनी के बुनकर मो इरफान ने बताया कि उनका परिवार कई पीढ़ियों से सिल्क के कारोबार जुड़ा हुआ है। लेकिन सरकार द्वारा कोई सहयोग नहीं मिल रहा है। जबकि बुनकरों के नेता के नाम पर कुछ लोग चयनित बुनकरों को लाभ पहुंचाने का प्रयास कर रहे हैं। इसके कारण अधिकांश बुनकर सरकार की योजनाओं के लाभ से वंचित है। समय के साथ बुनकर परिवार की आबादी बढ़ी है। लेकिन व्यवसाय को बेहतर करने के लिए सुविधा में वृद्धि नहीं हुई है। सरकार उनलोगों को कम कीमत पर धागा उपलब्ध कराए। ताकि कपड़ा तैयार कर बाजार में बेचकर अपने परिवार का अच्छे से भरण पोषण कर सकें। इसके अलावा पंचायत क्षेत्र में नाला के पानी की निकासी के लिए कोई व्यवस्था नहीं होने के कारण बारिश होने पर उनलोगों को घुटने भर पानी में आना-जाना पड़ता है।

हैंडलूम कारीगरों को सरकारी मदद की जरूरत

पुरैनी दक्षिणी पंचायत के बुनकर मो शमीम अंसारी ने बताया कि बुनकर जो कपड़ा तैयार करते हैं, उसे बेचने के लिए बाजार की व्यवस्था नहीं है। इसके कारण तैयार किया हुआ कपड़ा बेचने में काफी परेशानी होती है। बाजार नहीं होने से उनलोगों को कम कीमत पर माल को बेचना पड़ता है। पुरैनी में बुनकरों द्वारा तैयार किए गए सिल्क वस्त्र की बिक्री के लिए सरकार और जिला प्रशासन को दुकान मुहैया कराना चाहिए। जहां कम किराया पर बुनकर अपने सिल्क उत्पादों की प्रदर्शनी लगा सके। पुरैनी के हैण्डलूम कारीगरों को सरकारी मदद की जरूरत है। ताकि अपने व्यवसाय को बढ़ा सके। सरकार से किसी प्रकार की सुविधा नहीं मिल पाती है। जिसके कारण दिन पर दिन उनलोगों की आर्थिक हालत खराब होती जा रही है। बुनकरों के कल्याण के लिए सरकार को पहल करनी चाहिए।

सरकार बुनकरों को प्रशिक्षण देने की व्यवस्था करे

पुरैनी उत्तरी पंचायत के बुनकर सज्जाद ने बताया कि उनलोगों को किसी भी सरकारी सुविधा का लाभ नहीं मिलता है। सरकार को कपड़ा तैयार करने, व्यवसाय को बढ़ाने और आधुनिक तकनीक के प्रशिक्षण की व्यवस्था करनी चाहिए। ताकि आधुनिक तकनीक की मदद से कम लागत में बुनकर बेहतर और अधिक मात्रा में उत्पादन कर सकें। धागा खरीदने में काफी महंगा पड़ता है। कच्चा धागा के लिए सरकार को अनुदान की व्यवस्था करनी चाहिए। फिलहाल राधानगर और दौना से उनलोगों को कच्चा माल मिलता है। जिससे बुनकर अपने हाथों से कपड़ा तैयार करते हैं। इसके अलावा रोजगार के साधन को विकसित करने के लिए सरकार बुनकरों को आर्थिक सहयोग उपलब्ध कराए, जिससे उनका व्यापार आगे बढ़े और कारीगरों के साथ मजदूरों को भी रोजगार मिल सके।

इनकी भी सुनिए

पुरैनी में काफी संख्या में बुनकर हैं। जो वर्षों से इस पेशे से जुडकर अपने हाथों से कपड़ा तैयार करते है। सरकार द्वारा उनलोगों को व्यवसाय बढ़ाने के लिए धागा और जरूरी उपकरण पर सब्सिडी मिलनी चाहिए। स्वास्थ्य सु़विधा भी बेहतर होनी चाहिए। ताकि बुनकरों के साथ अन्य लोगों को इलाज में परेशानी नहीं हो।

-मो. शाहनवाज अंसारी

2007 से बुनकर का काम कर रहे हैं। खुद से माल तैयार कर हैंडलूम से जुड़े विभिन्न आयोजनों पर जगह जगह सिल्क वस्त्रों की प्रदशर्नी लगाते है। सरकार द्वारा उनलोगों को कम किराया पर दुकान उपलब्ध कराया जाना चाहिए। ताकि अपना स्टॉल लगाकर तैयार कपड़ा बेच सकें। बुनकरों के बच्चो की पढ़ाई के लिए सराकार से मदद मिलनी चाहिए।

-मो. एजाज

सिल्क वस्त्रों पर अपने हाथों से फूल बनाने का काम करते हैं। सरकार द्वारा बुनकरों के लिए चलायी जा रही योजनाओं का लाभ उनलोगों तक नहीं पहुंच पा रहा है। इसके लिए संबंधित विभाग को नियम बनाकर उसकी निगरानी करनी चाहिए। ताकि सरकार की सभी योजनाओं का लाभ सही व्यक्ति को मिल सके।

-तनवीर आलम

बुनकरों को अगर बिना किसी बिचौलिए के काम मिलेगा तो मजदूरी भी ठीक मिलेगी। बुनकरों को अलग -अलग माध्यमों से काम मिलता है। जिससे मजदूरी काफी कम मिलती है। बीस वर्ष पूर्व जो मजदूरी मिलती थी वही आज भी मिल रही है। जिससे परिवार का भरण पोषण करना मुश्किल होता है।

-महताब आलम

पुरैनी में काफी तादाद में बुनकर रहते हैं। जिनका मुख्य पेशा कपड़ा तैयार कर बाजार में या महाजन को बेचना है। काम कम होने या खाली समय में बुनकर किसानों के खेतों में काम करते है। पुरैनी में नदी गहरी हो गई जिसके कारण खेती प्रभावित हुई है, इसका प्रभाव बुनकर के काम मिलने पर भी पड़ रहा है।

मो. मुरसलीम

पुरैनी में अधिकतर बुनकर हाथों से धागा करते रहे हैं। लेकिन धागा की उपलब्धता कम और महंगा होने के कारण उनलोगों के समक्ष आर्थिक संकट उत्पन्न हो गया है। सरकार अगर यार्न बैंक की व्यवस्था कर सस्ता धागा उपलब्ध कराए तो फिर से बुनकर अपना काम शुरू कर सकते हैं। इससे रोजगार भी बढ़ेगा।

-मो. रिजाउल्ला

पुरैनी में पानी की समस्या भी बड़ी परेशानी का कारण बन गई है। वाटर लेवल काफी नीचे चला गया है। जिसके कारण घरेलू काम के साथ बुनकरो को अपने काम में भी दिक्कत होती है। हैंडपंप के साथ बोरिंग और कई बार समर सेबल भी फेल हो जाता है। सरकार इस समस्या के निदान के लिए जरूरी पहल करे, जिससे सभी को ठीक से पानी मिल सके।

-जियारत

पुरैनी में हैंडलूम का अधिक चलन रहा है। लेकिन समय के साथ पावरलूम की जरूरत और उपयोगिता भी काफी बढ़ गई है। पूंजी के अभाव में कई बुनकर पावरलूम की सुविधा का इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं। सरकार द्वारा गरीब बुनकरों को पावरलूम की सुविधा मुहैया करानी चाहिए।

-ओसामा

पुरैनी में बुनकर और किसान एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। बुनकर कपड़ा तैयार करने के साथ खेती भी करते हैं। पूंजी के अभाव में बुनकरों का रोजगार प्रभावित हो रहा है। जबकि पानी और सिंचाई की व्यवस्था नहीं होने से खेती भी प्रभावित हो गई। सरकार सिंचाई की व्यवस्था सुनिश्चित करे। गर्मी में पानी की परेशानी बढ़ जाती है।

-आमिर

स्मार्ट मीटर लगने के बाद से बिजली बिल अधिक देना पड़ रहा है। पहले जितना बिजली बिल लगता था, अब उससे काफी अधिक पैसा खर्च हो रहा है। मीटर प्रीपेड होने के बाद से समस्या बढ़ गयी है। सरकार स्मार्ट मीटर की व्यवस्था में सुधार करे, जिससे बुनकरों को अधिक बिजली बिल की समस्या से राहत मिले।

-मो. गुलाम

पुरैनी में बुनकरों की आबादी अधिक है। लेकिन उनकी सुविधा के लिए सरकार की ओर से कोई मदद नहीं मिल पाता है। पीने और घरेलू उपयोग के लिए पानी की व्यवस्था नहीं है। कम समय तक बोरिंग का पानी आने से लोगों को दिक्कत होती है। वार्ड स्तर पर बोरिंग और जलमीनार की व्यवस्था होनी चाहिए।

-मो. रिजाउल्ला

हैंडलूम के साथ सरकार को पावरलूम के लिए भी बुनकरों को जरूरी संसाधन और आर्थिक सहयोग मुहैया कराया जाना चाहिए। इससे उनका व्यवसाय बढ़ेगा और कम समय में अधिक कपड़ो का उत्पादन हो सकेगा। इससे बुनकरो के साथ उनसे जुड़े सभी लोगों को राहत मिलेगीो बुनकर अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दिला सकेंगे।

-युसूफ

शिकायतें

1. बुनकरों को प्रशासन, महाजन और बड़े व्यवसायियों से सीधे काम नहीं मिल पाता है, जिसके कारण मजदूरी काफी कम मिलती है। अभी भी बीस साल पहले वाली मजदूरी मिलती है।

2. कई पीढ़ी से बुनकर कपड़ा बनाने के पेशे से जुड़े हैं। लेकिन सरकार से बुनकरों को किसी तरह की आर्थिक मदद नहीं मिल रही है। इसके चलते परिवार का भरण-पोषण करने में परेशानी हो रही है।

3. पुरैनी में स्वास्थ्य सुविधा बेहतर नहीं है। बीमार पड़ने पर लोगों को इलाज के लिए भागलपुर सदर अस्पताल या मायागंज जाना पड़ता है, जिसके कारण कई बार मरीज की मौत भी हो जाती है।

4. पुरैनी में जनसुविधाओं का काफी अभाव है। घरेलू काम और पीने के पानी की पर्याप्त सुविधा नहीं मिल है। बिजली खराब होने पर प्राइवेट बिजली मिस्त्री को पैसा देकर काम कराना पड़ता है।

5. बारिश होने पर जलजमाव की समस्या बढ़ जाती है। नाला के पानी निकासी की व्यवस्था नहीं होने के कारण गंदा पानी तालाब में जाता है, जिससे बीमारी फैलने की आशंका बनी रहती है।

सुझाव

1.ञबुनकरों को सस्ते दर पर कच्चा धागा उपलब्ध कराया जाना चाहिए। ताकि कपड़ा तैयार बाजार में बेचने से पर्याप्त मुनाफा हो सके। इससे बुनकर की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी।

2. पुरैनी में सुविधाओं से युक्त अस्पताल और एंबूलेंस की सुविधा होनी चाहिए, जिससे बीमार पड़ने पर आसपास के लोगों को सही समय पर चिकित्सकीय सुविधा का लाभ मिल सके।

3. बुनकरों को सस्ते दर पर बिजली आपूर्ति की व्यवस्था होनी चाहिए। ताकि कम लागत में बुनकर कपड़ा तैयार कर सकें। स्मार्ट मीटर से अधिक बिल आने के शिकायत की जांच होनी चाहिए।

4. सिल्क कपड़े के उत्पादन को बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा धागा पर अनुदान की व्यवस्था करनी चाहिए। ताकि बुनकरों की स्थिति बेहतर हो सके। आर्थिक स्थिति बेहतर होने पर बच्चों को अच्छी शिक्षा दे सकते हैं।

5. सरकार हैंडलूम के साथ पावरलूम के लिए भी बुनकरों को जरूरी संसाधन और आर्थिक सहयोग मुहैया कराए, जिससे व्यवसाय और कपड़ो का उत्पादन बढ़ेगा। इससे बुनकरो को राहत मिलेगी।

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