Farmers Face Irrigation Crisis in Bihar s Tarapur Sand Mining Woes बोले मुंगेर: बालू उठाव की सतत निगरानी और नहर की हो समुचित सफाई, Bhagalpur Hindi News - Hindustan
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बोले मुंगेर: बालू उठाव की सतत निगरानी और नहर की हो समुचित सफाई

बिहार के तारापुर विधानसभा क्षेत्र में किसानों को सिंचाई की गंभीर समस्या का सामना करना पड़ रहा है। बड़ुआ और बेलहरणी नदियों का गहराना और अवैध बालू उत्खनन ने खेतों तक पानी नहीं पहुँचने दिया है। किसानों...

Newswrap हिन्दुस्तान, भागलपुरMon, 12 May 2025 02:08 AM
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बोले मुंगेर: बालू उठाव की सतत निगरानी और नहर की हो समुचित सफाई

किसानों को सिंचाई की परेशानी प्रस्तुति: रणजीत कुमार ठाकुर/गौरव कुमार मिश्रा एक समय था जब बिहार का तारापुर विधानसभा क्षेत्र अपनी उपजाऊ भूमि और भरपूर धान की पैदावार के कारण 'धान का कटोरा' कहा जाता था। लेकिन, आज यह पहचान धीरे-धीरे धुंधली होती जा रही है। बड़ुआ और बेलहरणी जैसी नदियां जो इस क्षेत्र के सिंचाई के मुख्य साधन थीं और कभी किसानों के लिए वरदान थीं, आज सरकारी उदासीनता, बालू माफियाओं की मनमानी और प्रशासनिक लापरवाही के कारण अभिशाप बन गई हैं। सिंचाई के साधन की दुर्दशा को लेकर यहां के किसानों के साथ हिंदुस्तान द्वारा संवाद किया गया जिसमें उन्होंने अपनी समस्याओं एवं मांगों को हमारे समक्ष रखा।

'धान का कटोरा' कहलाने वाला तारापुर विधानसभा तरसा सिंचाई के पानी को: तारापुर विधानसभा क्षेत्रों में किसानों की दुर्दशा दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है। क्षेत्र में बहने वाली 2 नदियों, बड़ुआ और बेलहरणी नदी के जल से एक समय मुंगेर के तारापुर विधानसभा और बांका जिला के लाखों एकड़ खेतों की सिंचाई होती थी। लेकिन, अब इन नदियों की गहराई बढ़ जाने और डांढ़ (सिंचाई नहर) के मृतप्राय हो जाने के कारण खेतों तक पानी नहीं पहुंच पा रहा है। सोमवार को संग्रामपुर बेलहरणी नदी पर तपती धूप में बांध बांधते दर्जनों किसानों के साथ हुए संवाद में किसानों ने सरकार एवं जिला प्रशासन के खिलाफ नाराजगी जताई। उनका कहना था कि, अनियंत्रित बालू उत्खनन ने नदियों की गहराई बढ़ा दी है, जिससे सिंचाई असंभव हो गई है। किसान राणा यादव, धनंजय सिंह, शिवन सिंह आदि ने कहा कि, उन्होंने बार-बार जनप्रतिनिधियों से गुहार लगाई, लेकिन अभी तक हमें कोई समाधान नहीं मिला है। उन्होंने बताया कि, वर्ष- 1962 में तत्कालीन विधायक बासुकीनाथ राय के प्रयासों से मुख्यमंत्री श्रीकृष्ण सिंह के कार्यकाल में बदुआ जलाशय का निर्माण हुआ था। इससे 2 नहरें निकलीं—एक बांका और दूसरी मुंगेर के तारापुर विधानसभा क्षेत्र के खेतों को जल आपूर्ति करती थी। यह व्यवस्था कई वर्षों तक किसानों के लिए समृद्धि का कारण बनी रही। लेकिन, अब जलाशय के आसपास से भी बालू का अवैध उठाव हो रहा है। जबकि, सरकार ने जलाशय और बांध से 100 फीट तक बालू उठाव को प्रतिबंधित कर रखा है। बालू माफिया धड़ल्ले से बांध काटकर बालू निकाल रहे हैं और प्रशासन सोया हुआ है। किसानों ने बताया कि, मुंगेर के संग्रामपुर प्रखंड में कहुआ, राणाडीह, कुमरसार जैसे गांवों से प्रतिदिन 100 से अधिक ट्रैक्टर और हाईवा के द्वारा बालू का उत्खनन कर ढोया जा रहा है। इसके कारण सिंचाई पर संकट छाया हुआ है। किसान शिवकुमार शर्मा, रामाशीष चौधरी, त्रिलोचन सिंह आदि का कहना था कि, अब सिंचाई के लिए जेसीबी से डांढ़ खुदाई कर पानी लाना पड़ता है, फिर भी खेतों तक पर्याप्त पानी नहीं पहुंच पाता है। गोविन्दपुर के किसान भूपेंद्र शर्मा कहते हैं कि, इस वर्ष धान की पैदावार बेहद कम हुई क्योंकि समय पर सिंचाई नहीं हो सकी। ऐसे में धान की खेती का क्षेत्रफल धीरे-धीरे सिकुड़ते जा रहा है। यह स्थिति तब और गंभीर हो जाती है जब सरकार द्वारा कुछ घाटों से बालू उठाव बंद कर दिए जाने के बावजूद, बड़ुआ नदी में अवैध उत्खनन जारी है। इससे एक ओर सरकारी नियमों की अनदेखी हो रही है, तो दूसरी ओर हजारों किसानों की आजीविका पर संकट मंडरा रहा है। ऐसे में, आज जरूरत इस बात की है कि, सरकार बालू माफिया पर कठोर कार्रवाई करे, नदियों के बांधों और जलाशयों की सुरक्षा सुनिश्चित करे और सिंचाई की पारंपरिक व्यवस्था को पुनर्जीवित करे। नहीं तो ‘धान का कटोरा कहलाने वाला यह क्षेत्र जल्द ही बंजर भूमि में बदल जाएगा। इंफोग्राफिक: 1. तारापुर विधानसभा क्षेत्र में 2 नदियां, बड़ुआ एवं बेलहरणी, हमेशा से कृषि सिंचाई के मुख्य साधन रहे हैं। 2. वर्ष- 1962 में निर्मित बदुआ जलाशय से तारापुर विधानसभा क्षेत्र में निकली 1 नहर भी यहां की सिंचाई के मुख्य साधन रहे हैं। 3. बड़ुआ एवं बेलहरणी नदी तथा बांध से अवैध रूप से बालू का उत्खनन कर प्रतिदिन 100 से अधिक ट्रैक्टर एवं हाईवा के द्वारा बालू ढ़ोया जा रहा है। समस्याएं: 1. अनियंत्रित बालू उत्खनन के कारण बड़ुआ और बेलहरणी नदियां अत्यधिक गहरी हो गई हैं, जिससे सिंचाई हेतु पानी खेतों तक नहीं पहुंच पाता है। 2. डांढ़ (नहर) की खुदाई और मरम्मत न होने के कारण यह सिंचाई के लिए उपयोगी नहीं रह गया है। 3. सरकार द्वारा प्रतिबंध के बावजूद बालू माफिया बांधों को काटकर एवं नदियों से अवैध रूप से बालू निकाल रहे हैं। 4. किसानों की बार-बार शिकायतों और गुहारों के बावजूद जनप्रतिनिधियों एवं प्रशासन की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है। 5. सिंचाई के अभाव में धान की पैदावार पर बुरा असर पड़ा है, जिससे किसानों की आजीविका संकट में है। सुझाव: 1. सरकार को बालू माफिया के खिलाफ कठोर कानूनों के तहत कार्रवाई करनी चाहिए और घाटों की सख्त निगरानी करनी चाहिए। 2. सिंचाई नहरों की समय-समय पर सफाई, मरम्मत और गहरीकरण कर उन्हें फिर से उपयोगी बनाया जाए। 3. अस्थायी मिट्टी के बांध की बजाय सरकार को पक्के बांध बनाने की व्यवस्था करनी चाहिए, जो बार-बार टूटे नहीं। 4. किसानों की शिकायतों पर त्वरित कार्यवाही सुनिश्चित करने के लिए स्थानीय नेताओं की जवाबदेही तय की जाए। 5. सरकार को क्षेत्र विशेष में कृषि और सिंचाई से जुड़ी योजनाएं लागू करनी चाहिए ताकि किसान आत्मनिर्भर हो सकें। लोगों ने कहा: बार-बार नदी में पानी आने से बांध टूट जाता है, जिससे किसानों को वर्ष में कई बार स्वयं बांध बनाकर खेतों तक पानी पहुंचाना पड़ता है। -अजय कुमार शर्मा बदुआ जलाशय का निर्माण किसानों की जरूरत को देखते हुए 1962 में हुआ था, लेकिन अब अवैध बालू खनन के कारण यह बेअसर हो गया है और जनप्रतिनिधि ध्यान नहीं दे रहे हैं। -श्याम सुंदर शर्मा बालू उठाव के कारण सिंचाई व्यवस्था बाधित हो गई है, जिससे किसानों को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। -जीवानंद शर्मा नदियों से अवैध बालू उत्खनन के चलते सिंचाई व्यवस्था ध्वस्त हो चुकी है, जिससे किसानों पर आर्थिक बोझ बढ़ गया है। -लक्ष्मण कुमार शर्मा अवैध बालू खनन से सिंचाई बाधित होने के कारण फसलें सूख जाती हैं और किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ता है। -अभय कुमार शर्मा अत्यधिक बालू खनन के कारण नदियाँ गहरी हो गई हैं, जिससे खेतों तक पानी नहीं पहुंच रहा है और सिंचाई कठिन हो गई है। -रामानंद शर्मा बालू खनन ने सिंचाई संरचना को नुकसान पहुंचाया है, जिससे फसल उत्पादन पर विपरीत प्रभाव पड़ा है। -शिव कुमार शर्मा नहर (डांढ़) ऊंची और नदी गहरी हो गई है, जिससे खेतों में पानी नहीं पहुंच पा रहा है और किसान परेशान हैं। -कृत्यानंद शर्मा अवैध बालू उठाव से नदियां गहरी और डांढ़ ऊंची हो गई हैं, जिससे खेतों तक सिंचाई का पानी नहीं पहुंच पा रहा है। -पंकज शर्मा यदि नदियों से बालू खनन पर प्रतिबंध लगाया जाए, तो सिंचाई में सुधार हो सकता है और किसान राहत पा सकते हैं। -मुकेश शर्मा नदियों के संरक्षण के लिए बालू खनन पर रोक जरूरी है ताकि सिंचाई के स्रोत सुरक्षित रह सकें। -रामकिशोर शर्मा बालू खनन पर नियंत्रण से नदियां संरक्षित रहेंगी और किसानों को सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी मिल सकेगा। -विकास कुमार शर्मा समय पर नहर में पानी नहीं आने का मुख्य कारण नदियों का गहरा होना है, जो बालू खनन के चलते हो रहा है। -उमाशंकर शर्मा अत्यधिक बालू उठाव के कारण नदियां गहरी और डांढ़ ऊंची हो गई हैं, जिससे सिंचाई व्यवस्था प्रभावित हो रही है। -डॉ. राजेश कुमार नदियों की गहराई और डांढ़ की ऊंचाई के बीच असंतुलन, जो बालू खनन से उत्पन्न हुआ है, खेतों तक पानी की आपूर्ति में सबसे बड़ी बाधा बन गया है। -विपिन कुमार चौधरी किसानों को सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी नहीं मिल रहा है। सिंचाई के अभाव में फसलें बर्बाद हो रही हैं। अब तो धरती का जलस्तर भी नीचे जा रहा है। हमारी परेशानी बढ़ती जा रही है। -परशुराम शर्मा बोले जिम्मेदार: जिले में अवैध बालू उत्खनन की सूचना मुझे है। मैंने कुछ दिनों पूर्व भी यहां का प्रभार लिया है। अवैध बालू उत्खनन के विरुद्ध विभाग द्वारा लगातार छापामारी अभियान चलाया जा रहा है और दंडात्मक कार्रवाई की जा रही है। इसमें और गति लाई जा रही है। कोई भी हो, अवैध बालू उत्खनन करने वाले को छोड़ा नहीं जाएगा। उनके विरुद्ध सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी। -मो सत्तार, प्रभारी खनन पदाधिकारी, मुंगेर

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