Jhajha Railway Station Historical Importance and Current Issues in Passenger Facilities बोले जमुई : प्लेटफॉर्म पर हो कोच इंडिकेटर, ठंडे पेयजल की भी करें व्यवस्था, Bhagalpur Hindi News - Hindustan
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बोले जमुई : प्लेटफॉर्म पर हो कोच इंडिकेटर, ठंडे पेयजल की भी करें व्यवस्था

झाझा रेलवे स्टेशन ब्रिटिश काल से लेकर स्वतंत्र भारत तक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। यहां की रेल सुविधाएं अब भी कई समस्याओं से जूझ रही हैं, जैसे टिकट काउंटर की कमी और आधुनिक संसाधनों का अभाव। स्थानीय लोग...

Newswrap हिन्दुस्तान, भागलपुरMon, 19 May 2025 10:53 PM
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बोले जमुई : प्लेटफॉर्म पर हो कोच इंडिकेटर, ठंडे पेयजल की भी करें व्यवस्था

ब्रिटिश काल से ले स्वाधीन भारत तक झाझा रेलवे स्टेशन ने महत्वपूर्ण स्थान रखा है। बुजुर्ग मुसाफिरों के अनुसार ब्रिटिश काल में यह रेलनगरी के रूप में अपनी पहचान रखता था। पूर्व रेलवे जोन के बंटवारे के बाद भी इसकी अहमियत कम नहीं हुई। वर्त्तमान में यह (झाझा) पूर्व रेलवे एवं पूर्व मध्य रेलवे जोनों का ‘संगम’ बिंदु होने है। बफर स्टेशन के बतौर अपनी हैसियत रखता है। इन सबके बावजूद झाझा कहीं न कहीं रेलवे की उपेक्षा व उदासीनता का शिकार है। झाझा के आम जनमानस, सामाजिक व व्यावसायिक संगठनों तक का कहना-मानना है कि झाझा स्टेशन का अपेक्षित विकास नहीं हुआ। यहां अभी भी कई समस्याएं हैं। संवाद के दौरान जिले के रेल यात्रियों ने अपनी बात रखी।

70 फीसदी भू-भाग जिले का आज भी है रेल सुविधा से वंचित

01 सौ 60 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार से रेल चलाने की कवायद

03 नई रेल परियोजनाओं को दी गई है स्वीकृति, जल्द पूरा करने की जरूरत

झाझा स्टेशन पर आज भी आधुनिक संसाधन, कोच इंडिकेटर बोर्ड से ले शेड-बेंच तक जैसी कई सामान्य यात्री सुविधाओं के टोटे हैं। इसे ले आम लोगों से ले संगठनों तक में खासी नाराजगी है। झाझा को अमृत भारत स्टेशन का दर्जा व वंदे भारत का यहां ठहराव नहीं होने का भी खासा मलाल व दर्द है। बता दें कि झाझा समेत जमुई जिले की नई रेलवे लाइनें बिछाने संबंधी तीन बड़ी रेल परियोजनाओं तथा सीतारामपुर से झाझा तक 3री व 4थी तथा किऊल तक 3री रेललाइन बिछाने संबंधी बड़ी परियोजना से ले झाझा में नए फुट ओवरब्रिज (एफओबी) का निर्माण सरीखी यात्री सुविधा की कई छोटी योजनाएं तक सालों से या तो ठंडे बस्ते में पड़ी सुस्ता रही हैं या फिर रुक-रुककर चल रही हैं।

स्वीकृत परियोजनाएं धरातल पर न उतरीं, 70 फीसदी भू-भाग रेल सुविधा से वंचित:

सांसद अरुण भारती के सवाल पर रेलमंत्री बीते दिनों संसद में स्वीकारा भी था कि जमुई रीजन में रेल कनेक्टिविटी को बढ़ाने के उद्देश्य से तीन और नई रेल लाइन परियोजनाओं, मसलन बरियारपुर-मननपुर (68 किमी, लागत 250 करोड़ रुपये), नवादा-लक्ष्मीपुर (137 किमी, लागत 3120 करोड़ रुपए) तथा झाझा-बटिया (20 किमी, लागत 496 करोड़ रुपये) को स्वीकृति दी जा चुकी है। पर उक्त परियोजनाओं की बाबत जरूरी फंड के आवंटन के सवाल पर रेल मंत्रालय की खामोशी के नतीजे में ये परियोजनाएं अब तक भी हकीकत का सूरज नहीं देख पाई हैं। इसके अलावा रेलमंत्री ने सांसद को सीतारामपुर से झाझा 3री व 4थी तथा किऊल तक 3री रेललाइन बिछाने की परियोजना संबंधी प्रक्रिया भी पूरी गति से जारी होने की बात बताई थी। मेनलाइन रूट की क्षमता का सौ फीसी से अधिक उपयोग हो रहे होने के मद्देनजर अइस रूट पर नई ट्रेनें देना संभव नहीं की बात बीते दिनों पूर्व रेलवे के जीएम ने सांसद को बताई थी। ऐसे में नई रेललाइन बिछाने की जरूरत स्वत:स्पष्ट हो रही है।

रेलवे तालाब व चांदवारी मैदान की उपेक्षा:

लोगों ने कहा कि झाझा न सिर्फ अमृत भारत योजना से परे रख दिया गया है। अपितु, रिस्ट स्पॉट में तब्दील हो सकने का माद्दा रखने वाले यहां के रेलवे तालाबों से ले चांदवारी ग्राउंड तथा रेलवे सड़कें समेत झाझा में मौजूद रेल के अन्य संसाधन तक सालों से बहाली व उपेक्षा का दंश झेल रहे हैं। लों बाद भी झाझा स्टेशन पर 12253/54 एसएमवीटी बंगलुरू-भागलपुर अंग एक्सप्रेस का ठहराव नहीं हो पाया है। झाझा के लोगों व विभिन्न संगठनों ने सांसद एवं रेल मंत्रालय से अंग एवं राजधानी अथवा दूरंतो एक्स. के झाझा में ठहराव के साथ-साथ जसीडीह,बैद्यनाथधाम से खुलकर पूरब दिशा की ओर जाने वाली चंद टे्रनों के झाझा तक विस्तारीकरण की मांग को दोहराया है। बता दें कि झाझा से सैकड़ों की तादाद में मजदूर तबके के लोग रोजगार को तो उच्च शिक्षा के लिए बड़ी संख्या में ही छात्र-छात्राएं भी बंगलुरू का रूख करते आए हैं। किंतु झाझा में अंग एक्स. का कॉमर्शियल स्टॉपेज नहीं होने से उक्त दोनों ही तबकों को खासी परेशानियों का सामना करना पड़ता रहा है।

नल से निकलता है गर्म पानी :

इसी तरह प्लटफॉर्मों के तमाम वाटर बूथों के उपर भी कोई शेड या छतरी न होने से गर्मी के मौसम के दौरान कड़ी धूप से नलों का पानी भी काफी गर्म निकलता है। कई लोग तो रेलवे की उपेक्षा, उदासीनता के पीछे कथित तौर पर राजनीतिक प्रभाव के अभाव को भी एक बड़ी वजह मानते हैं। प्लेटफॉर्मों पर शेड, बेंच आदि की खासी कमी के मद्देनजर अनेकों मुसाफिरों को हर मौसम के सितम को प्लेटफॉर्मों पर लगे पेड़ों तले ही झेलते देखा जा सकता है। आग बरसाती चिलचिलाती धूप के साथ लू का प्रहार हो, बारिश या सर्दियों का मौसम हो। इन सबसे बचाव को अक्सर बेचारे कई मुसाफिरों के लिए या तो वहां लगे पेड़ों या फिर ओवरब्रिज की सीढ़ियों अथवा सीढ़ियों के आगे के बरामदे ही बड़े सहारे बने नजर आते हैं। विगत में झाझा दौरे पर आते रहे डीआरएम समेत रेल के अन्य वरीय अधिकारियों का मुसाफिरों की उक्त परेशानी के प्रति ‘हिन्दुस्तान’ द्वारा भी कई बार ध्यान दिलाया गया। पूर्व डीआरएम प्रभात कुमार समेत अन्य ने उक्त समस्या से सहमति जताते हुए शीघ्र ही समाधान का भरोसा भी दिया था पर नतीजा अब तक भी सिफर ही है। हद यह कि कमी की सूरत भी कोई हाल फिलहाल से नहीं अपितु लंबे अर्से से कायम है। शेड,बेंच जैसी छोटी समस्याओं के निदान के सवाल पर भी अधिकारी सालों से यही भरोसा देते आए दिखे हैं कि यह ‘प्लान’ में लिया हुआ है। हैरानी इस बात की कि रेलवे ट्रैकों को पहले 110 किमी/प्र.घं से 130 करने व अब 160 किमी/प्रति घंटे की गति के योग्य बनाने की तैयारियों में नजर आती रेलवे का झाझा, जमुई की विकास योजनाओं के मामले में कछुए की चाल चल रहा है।

शिकायतें:

झाझा स्टेशन पर सामान्य यात्री सुविधाओं की भी कमी से होती है परेशानी

स्टेशन के मौजूदा आोवरब्रिज एवं प्लेटफॉर्मों पर कई जगह टूट-फूट से गिरने-पड़ने का बना रहता है खतरा

झाझा के रिहायशी इलाके में स्थित रेलवे तालाबों की साफ-सफाई व रखरखाव नहीं होने से तालाब प्रदूषित

प्लेटफॉर्मों पर कोच इंडिकेटर बोर्ड नहीं होने से ट्रेन आने पर मुसाफिरों को अपनी बोगी ढूंढ़ने में होती है परेशानी

स्टेशन टिकट काउंटर परिसर समेत आसपास पेयजल का संसाधन नहीं होने से मुसाफिरों को होती है मुसीबत

सुझाव:

झाझा स्टेशन पर जरूरी यात्री सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं

नए ओवरब्रिज का निर्माण कार्य शीघ्र पूरा हो, मौजूदा ओवरब्रिज एवं प्लेटफॉर्मों का उन्नयन हो

रेलवे तालाबों की नियमित साफ-सफाई के अलावा तालाबों का सौंदर्यीकरण हो

सभी प्लेटफॉर्मों पर कोच इंडिकेटर डिस्प्ले बोर्ड लगे। प्लेटफॉर्म सं. 3 के खराब डिस्प्ले दुरुस्त कराए जाएं

टिकट बुकिंग काउंटर एवं स्टेशन के सर्कुलेटिंग एरिया में पेयजल के समुचित संसाधन हों, टोटो व रिक्शा चालकों हेतु रैन बसेरा हो

सुनें हमारी बात

स्टेशन पर सुविधाओं के अभाव से मुसाफिरों को मुसीबत का सामना करना पड़ता है। मौजूदा ओवरब्रिज एवं प्लेटफॉर्मों का रिनोवेशन हो तथा प्लेटफॉर्मों पर कोच इंडिकेटर डिस्प्ले लगे।

-इश्तियाक अहमद, यात्री

स्टेशन के सर्कुलेटिंग एरिया में टोटो चालकों हेतु रैन बसेरा व पानी के इंतजाम हों। स्टेशन के आगे लगने वाले जाम की समस्या दूर हो।

-फंटूस माथुरी, टोटो चालक

झाझा स्टेशन को अमृत भारत स्टेशन का दर्जा मिले। यहां वंदे भारत तथा दूरंतो व अंग एक्सप्रेस का ठहराव हो। स्टेशन पर जरूरी यात्री सुविधाएं मुहैया कराई जाएं।

-राजेश कुमार, व्यवसायी सह संगठन पदाधिकारी

रेलवे चांदवारी मैदान एवं रेलवे तालाबों का जल्द जीर्णोद्धार व सौंदर्यीकरण हो ताकि रेलवे की उक्त ब्रिटिश कालीन धरोहरें संरक्षित व सुरक्षत रहें।

-गौरव सिंह राठौड़, मुख्यमंत्री से सम्मानित सह संयोजक नवयुवक संघ

रेलवे क्वार्टरों समेत रेलवे कॉलोनी एवं रेलवे सड़कें सालों से खस्ताहाली की शिकार हैं। इनका शीघ्र कायाकल्प हो और झाझा स्टेशन पर यात्री सुविधाओं का विस्तार हो।

-विनोद यादव, संयोजक, जन संघर्ष मोर्चा

रेलवे क्वार्टरों का पेयजल संकट दूर हो एवं स्टेशन के सर्कुलेटिंग एरिया में पेयजल के समुचित संसाधन सुलभ हों।

-अरविंद कुमार, सचिव, अंबेदकर विचार मंच

स्टेशन के बाहर के सर्कुलेटिंग एरिया में ट्रेन आने के वक्त लगने वाले जाम की समस्या दूर हो। टोटो चालकों हेतु रैन बसेरा एवं पेयजल की सुविधा हो।

- अफजल अंसारी, स्टैंड किरानी, झाझा स्टेशन

ट्रेन आने पर स्टेशन के समीप होने वाली जाम की समस्या का स्थायी निदान हो। निर्माण कार्यों की गुणवत्ता सुनिश्चित कराई जाए।

-सुबोध बर्णवाल, व्यवसायी सह रेल यात्री

झाझा रेलवे स्टेशन पर जारी ओवरब्रिज समेत अन्य निर्माण कार्यों में बरती जा रही अनियमितता की जांच हो। सभी निर्माण कार्य गुणवत्तापूर्ण हों। जनता के पैसे का दुरुपयोग बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

-कंचन रजक, सचिव भाकपा माले, झाझा प्रखंड

स्टेशन पर महिलाओं हेतु अलग टिकट काउंटर के अभाव समेत अन्य कई तरह की कमियों के कारण हम महिला मुसाफिरों को काफी कष्ट का सामना करना पड़ता है। रेलवे को इस महत्वपूर्ण स्टेशन र जरूरी सुविधाएं सुलभ करानी चाहिए।

-रेणु देवी, महिला मुसाफिर

हम यात्रा के लिए रेलवे को किराया देते हैं। किंतु स्टेशन पर स्वच्छ पेयजल समेत बैठने को शेड,बेंच तक की परेशनी होती है जिसे तत्काल दूर किया जाए।

-लोकी देवी, महिला रेल यात्री

झाझा स्टेशन पर जरूरी यात्री सुविधाएं, विशेषकर महिला मुसाफिरों के लिए समुचित सुविधा व सुरक्षा हो। प्लेटफॉर्मों एवं ओवर ब्रिज की स्थिति सुगमता पूर्ण हो।

-अनिता बंका, गृहिणी सह महिला मुसाफिर

ब्रिटिश काल से ही झाझा स्टेशन रेलवे का एक काफी महत्वपूर्ण मुकाम रहा है। इसे अमृत भारत स्टेशन का दर्जा मिले तथा रेलवे तालाब व चांदवारी ग्राउंड जेसी पौराणिक धरोहरों का कायाकल्प हो।

- सुरेश कुमार, अध्यक्ष केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसो., झाझा

झाझा रेलवे स्टेशन पर व्याप्त यात्री सुविधाओं की घोर कमी को शीघ्र दूर किया जाए। ओवरब्रिज एवं प्लेटफॉर्मों के कायाकल्प के अलावा साफ-सफाई की सुदृढ़ व्यवस्था हो।

-इंद्रदेव प्रसाद, अध्यक्ष बिहार खुदरा विक्रेता महासंघ, झाझा

झााझा स्टेशन पर बैठने एवं गर्मी,सर्दी व बरसात के मौसम से बचाव को समुचित संख्या में शेड एवं यात्रियों के लिए स्वच्छ व शुद्ध पेयजल के समुचित इंतजाम हों।

-बिन्दु कुमारी, गृहिणी सह महिला मुसाफिर

झाझा स्टेशन पर महिला मुसाफिरों के लिए अलग टिकट काउंटर के अलावा सभी प्लेटफ ॉर्मों पर महिला मुसाफिरों हेतु जरूरी सुविधायुक्त वेटिंग रूम हो।

- प्रीति रानी, कामकाजी महिला

बोले जिम्मेदार

जमुई जिले में रेल के विकास, जिले के विभिन्न स्टेशनों की स्थानीय समस्याओं के निदान व यात्री सुविधाओं के विस्तार की दिशा में मैं लगातार प्रयासरत हूं। माननीय रेलमंत्री एवं पूर्व रेलवे व पूर्व मध्य रेलवे के जीएम के संज्ञान में भी मैंने दिया है। रेलमंत्री ने मुझे जिले की तीन बड़ी रेल परियोजनाओं की स्वीकृति की जानकारी देते हुए अन्य बिंदुओं पर भी सकारात्मक कार्रवाई का भरोसा भी दिया है।

-अरुण भारती, सांसद, जमुई

बोले जमुई असर

ग्रामीण चिकित्सकों को दिया गया प्रमाण पत्र

जमुई। जमुई जिले के ग्रामीण चिकित्सकों की समस्या को लेकर 27 फरवरी को हिन्दुस्तान द्वारा चलाए जा रहे बोले जमुई मुहिम के तहत उनकी आवाज को प्रमुखता से उठाया गया था। जिसे लेकर 18 मई को ग्रामीण चिकित्सकों के बीच प्रमाण पत्र बांटा गया। बता दें कि जमुई जिला चिकित्सा प्रकोष्ठ के बैनर तले खैरा स्थित श्री कृष्ण विवाह भवन में एक दिवसीय स्वास्थ्य समागम का कार्यक्रम आयोजित किया गया । इस कार्यक्रम की अध्यक्षता जिलाध्यक्ष दरोगी यादव ने की। इस अवसर पर सिकंदरा विधायक प्रफुल्ल मांझी ने चिकित्सकों के बीच प्रमाण पत्र वितरण किया। उन्होंने चिकित्सकों को संबोधित करते हुए कहा कि यह संघ गांव के गरीबों के बीच सेवा का बड़ा पुण्य का काम कर रहे हैं। कोरोना काल में भी ये चिकित्सक अपने जान को जोखिम में डालकर लोगों की सेवा की है। विधायक ने कहा कि कोरोना काल में यह चिकित्सा घर-घर जाकर लोगों की सेवा की जो प्रशंसा के पात्र हैं। इन्हें झोलाछाप कहकर उनके मनोबल को गिराना उचित नहीं है। चिकित्सा संघ के लोगों ने हिन्दुस्तान की इस मुहिम का धन्यवाद देते हुए कहा कि उनकी समस्या को प्रमुखता से उठाने की वजह से आज हमारी आवाज सभी तक पहुंच रही है। विधायक द्वारा प्रमाण पत्र मिलने से हम सभी चिकित्सक काफी गौरवान्वित हैं।

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