शहरी क्षेत्र के घरों की सुरक्षा का जिम्मा 15 किमी दूर स्थित राजनगर थाने को
मधुबनी नगर निगम क्षेत्र के कई कॉलोनियों की सुरक्षा खतरे में है। 15 किलोमीटर दूर एक थाना की जिम्मेदारी होने से घटनाओं की सूचना मिलने के बाद भी पुलिस की प्रतिक्रिया में देरी होती है। स्थानीय लोग नजदीकी...
मधुबनी । मधुबनी नगर निगम क्षेत्र के लोगों के लिए राजनगर थाना से सुरक्षा की उम्मीद करनी महंगी पर रही है। आए दिन घटनाएं हो रही हैं। लेकिन सीमा विवाद और क्षेत्राधिकार के कारण नगर थाना नजदीक रहकर भी शहरी क्षेत्र की सुरक्षा या देखभाल नहीं कर पाती है। नगर निगम में शामिल कुछ क्षेत्र ऐसे हैं, जहां की कानून-व्यवस्था की जिम्मेदारी 15 किलोमीटर दूर स्थित पुलिस थाने पर है। प्रशासनिक व्यवस्था की यह विसंगति न केवल आम नागरिकों की असुविधा का कारण बन रही है, बल्कि उनकी सुरक्षा को भी खतरे में डाल रही है। लोगों की मांग है शहरी क्षेत्र को नगर थाने में मर्ज कर दिया जाए।
शहर की जनसंख्या में निरंतर वृद्धि और शहरीकरण की तेज रफ्तार के बावजूद पुलिस व्यवस्था में अपेक्षित विस्तार नहीं हो पाया है। ऐसे में यदि किसी क्षेत्र में चोरी, मारपीट या अन्य आपराधिक घटनाएं घटती हैं तो पीड़ितों को पहले थाना पहुंचने के लिए लंबी दूरी तय करनी पड़ती है। यह स्थिति न केवल न्याय प्राप्ति को होती है, बल्कि अपराधियों के हौसले भी बुलंद करती है। सवाल उठता है कि जब प्रशासनिक तौर पर क्षेत्र को नगर निगम में शामिल कर लिया गया है, उन्हें एक ऐसा थाना मिले, जो भौगोलिक रूप से सुलभ और त्वरित सहायता देने में सक्षम हो। स्थानीय लोगों का कहना है कि आदर्श नगर कॉलोनी,राम जानकी कॉलोनी, लहेरियागंज, नवटोली जैसे कई कॉलोनी जो शहर मुख्यालय से सटे हुए हैं और मुख्यालय थाना से करीब दो किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इसके बावजूद भी इन कॉलोनियों की प्रशासनिक कार्य 15 किलोमीटर दूर थाने के हाथों में है। कई लोग तो अपनी समस्या को इतनी दूर थाना तक पहुंचाते भी नहीं हैं। वहीं थाना की बात करें तो कार्य क्षेत्र की सीमा अधिक होने की वजह से लोगों की समस्याओं को सुलझाने में भी कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
थाना की दूरी बनी असुरक्षा का कारण: मधुबनी नगर निगम क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली कई कॉलोनियों-जैसे आदर्श नगर कॉलोनी, राम जानकी कॉलोनी, लहेरियागंज और नव टोली-की सुरक्षा व्यवस्था एक गंभीर संकट से जूझ रही है। इन कॉलोनियों की प्रशासनिक निगरानी एक ऐसे थाना के अधीन है, जो लगभग 15 किलोमीटर दूर स्थित है। यह स्थिति न केवल व्यवस्था की विफलता को उजागर करती है, बल्कि नागरिकों की सुरक्षा को भी गहरे संकट में डालती है। स्थानीय लोगों का कहना है कि यदि कॉलोनी में कोई अप्रिय घटना घटती है तो सूचना देने के बावजूद थाना पुलिस कई बार घंटों बाद घटनास्थल पर पहुंचती है। इस देरी से न केवल अपराधियों को फरार होने का अवसर मिल जाता है, बल्कि पीड़ितों को भी समय पर न्याय नहीं मिल पाती। इस कारण आम नागरिकों में असुरक्षा की भावना गहराती जा रही है। वर्तमान शहरी परिवेश में जहां अपराध की प्रकृति तेजी से बदल रही है, वहां पुलिस की त्वरित प्रतिक्रिया समय की मांग है। बावजूद प्रशासन की उदासीनता और थाना क्षेत्र निर्धारण की खामी के कारण नगर निगम क्षेत्र के ये हिस्से अब भी उपेक्षित हैं। नगर थाना नजदीक होने के बाद भी कार्य क्षेत्र से बाहर मधुबनी नगर निगम क्षेत्र की कई कॉलोनियों जैसे आदर्श नगर कॉलोनी, राम जानकी कॉलोनी, लहेरियागंज नव टोली और चकदह मोहल्ला मुख्यालय थाना से मात्र दो किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। बावजूद इन क्षेत्रों की प्रशासनिक और विधि-व्यवस्था की जिम्मेदारी 15 किलोमीटर दूर स्थित एक अन्य थाना को सौंपी गई है। यह स्थिति न केवल प्रशासनिक दृष्टि से असंगत है, बल्कि स्थानीय निवासियों के लिए असुरक्षा की भावना को भी जन्म देती है। नगर थाना इतने पास होने के बावजूद कार्यक्षेत्र की सीमा से बाहर होने के कारण पुलिस की त्वरित उपस्थिति संभव नहीं हो पाती। किसी आपराधिक घटना की स्थिति में संबंधित थाना को सूचना देने और वहां से पुलिस बल के पहुंचने में घंटों समय लग जाते हैं। वहीं, मुख्यालय थाना जो भौगोलिक रूप से निकट है, वह अधिकार क्षेत्र के बाहर होने के कारण हस्तक्षेप नहीं कर सकता। इस प्रशासनिक विसंगति के चलते कई बार पीड़ित थाना जाने से भी कतराते हैं। रात्रि गश्ती नहीं होने से लगातार बढ़ रहीं घटनाएं मधुबनी नगर निगम क्षेत्र की कई कॉलोनी भौगोलिक दूरी इतनी अधिक है कि वे थाना की निगरानी से लगभग कट चुकी है। इन इलाकों में तब तक पुलिस की उपस्थिति नहीं देखी जाती जब तक कोई आपराधिक घटना घटित न हो। नतीजतन, इन कॉलोनियों में आम दिनों में थाना की गश्ती गाड़ी तक नहीं पहुंचती, जिससे असामाजिक तत्वों के हौसले बुलंद होते जा रहे हैं। कानून व्यवस्था की ऐसी उदासीनता सुरक्षा की बुनियादी सिद्धांतों पर सवाल खड़ा करती है। जब तक घटना की सूचना नहीं मिलती, पुलिस की सक्रियता शून्य रहती है। यह व्यवस्था न केवल अपर्याप्त है बल्कि प्रशासनिक लापरवाही का परिचायक भी है। दूरवर्ती थाना क्षेत्रों में शामिल इन कॉलोनियों में न तो नियमित गश्त होती है और न ही कोई स्थायी निगरानी तंत्र कार्यरत है।
-बोले जिम्मेदार-
थाना के कार्य क्षेत्र परिवर्तन जिला मुख्यालय स्तर से नहीं हो सकता है लेकिन अगर शहर वासी को दूर थाना होने से समस्या हो रही है तो इसका प्रस्ताव बनाकर मुख्यालय भेजा जाएगा, ताकि शहरी क्षेत्र को नजदीक के थाने से जोड़ा जा सके। हिन्दुस्तान की ओर से यह समस्या ध्यान में आयी है, जो महत्वपूर्ण है।
-योगेद्र कुमार, एसपी, मधुबनी
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