राक्षसी ताकतों के खिलाफ सातवीं सदी से जारी है ऑपरेशन सिंदूर : रामाशीष
फोटो है : राक्षसी ताकतों के खिलाफ सातवीं सदी से जारी है ऑपरेशन सिंदूर

फोटो है : राक्षसी ताकतों के खिलाफ सातवीं सदी से जारी है ऑपरेशन सिंदूर : रामाशीष एसएम कॉलेज में आयोजित किया गया परिचर्चा बनारस के विचारक थे मुख्य वक्ता -------------- भागलपुर, कार्यालय संवाददाता राक्षसी ताकतों की खिलाफ ऑपरेशन सिंदूर सातवीं सदी से जारी है। जब तक ये ताकतें रहेगी, यह आगे भी जारी रहेगा। एक विशेष पहचान से नहीं जुड़े होने पर वध की हठधर्मिता और जिहादी अतिवाद के खिलाफ जंग है ऑपरेशन सिंदूर। सिंदूर नाम भारतीय ज्ञान परंपरा के रामायण के प्रमुख चरित्र हनुमान के समर्पण और शौर्य से प्रेरित है। सिंदूर सिर्फ भारतीय सनातन परंपरा में सुहाग का प्रतीक नहीं बल्कि शक्ति, त्याग, और ज्ञान का भी प्रतीक है।
यह बातें शनिवार को एसएम कॉलेज में मुख्य वक्ता सह मुख्य अतिथि बनारस के प्रसिद्ध विचारक विश्लेषक रामाशीष सिंह ने कही। कॉलेज के एनएसए इकाई द्वारा ‘ऑपरेशन सिंदूर : नवभारत का सामर्थ्य विषय पर एक परिचर्चा आयोजित की गई थी। इसमें ही श्री सिंह अपनी बातें रख रहे थे। कार्यक्रम का उद्घाटन मुख्य अतिथि के अलावा प्राचार्य डॉ. मुकेश कुमार सिंह, कार्यक्रम पदाधिकारी डॉ. हिमांशु, डॉ. राहुल कुमार, डॉ. दीपक कुमार दिनकर ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्जवलन कर किया। विषय प्रवेश कर आते हुए कार्यक्रम समन्वयक डॉ. राहुल कुमार ने कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा में कौटिल्य का संप्रभुता का जो दर्शन है, वह हमे साम, दाम, दंड और भेद की नीति की शिक्षा देता है। ऐसे में संप्रभुता में हस्तक्षेप के लिए दंड और भेद सभी प्रकार की नीतियां भारत की ज्ञान परंपरा की हिस्सा रही है। इस मौके पर टीएनबी कॉलेज के डॉ. राजीव कुमार सिंह, डॉ. आशा तिवारी ओझा सहित अन्य मौजूद थे।
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