Preparation for World Famous Shravan Mela Begins Amid Concerns Over Incomplete Infrastructure बोले भागलपुर: श्रावणी मेला के दौरान स्कूली गाड़ियों को प्रवेश मिले, Bhagalpur Hindi News - Hindustan
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बोले भागलपुर: श्रावणी मेला के दौरान स्कूली गाड़ियों को प्रवेश मिले

श्रावणी मेला की तैयारी प्रशासनिक स्तर पर शुरू हो गई है। सुल्तानगंज में कांवरियों की बड़ी संख्या आने की उम्मीद है, लेकिन सड़कें और अन्य सुविधाएं अधूरी हैं। व्यापारियों ने प्रशासन से जल्दी तैयारी करने...

Newswrap हिन्दुस्तान, भागलपुरSat, 7 June 2025 06:25 PM
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बोले भागलपुर: श्रावणी मेला के दौरान स्कूली गाड़ियों को प्रवेश मिले

विश्व प्रसिद्ध श्रावणी मेला की तैयारी प्रशासनिक स्तर पर शुरू हो गयी है। जिला स्तर पर बैठक कर विभागों को जिम्मेदारी सौंपी गयी है। विभागों को समय सीमा के अंदर काम पूरा करने का निर्देश दिया गया है। श्रावणी मेला में इस बार गंगा का जल भरने के लिए बड़ी संख्या में कांवरियों के आने का अनुमान लगाया जा रहा है। लेकिन सुल्तानगंज में मेला की तैयारी जमीन पर नहीं दिख रही है। सड़कों का निर्माण आधा-अधूरा हुआ है। शौचालय,पेयजल,घाट मरम्मति आदि का काम नहीं हुआ है। सुल्तानगंज के व्यापारियों का कहना है कि अगर मेला की तैयारी में तेजी नहीं लाई गयी तो यहां आने वाले शिवभक्तों को परेशानी हो सकती है। मेला की व्यवस्था में स्थानीय लोगों के सुझाव पर प्रशासन को गंभीरता से विचार करना चाहिए। श्रावणी मेला के दौरान बाजार में प्रवेश पर नो इंट्री रहता है। नो इंट्री से स्कूली वाहनों को छुट मिलनी चाहिए। वाहनों के प्रवेश नहीं करने से छोटे बच्चों को काफी परेशानी होती है।

श्रावणी मेला नजदीक आने के चलते सुल्तानगंज में व्यापारियों ने तैयारी शुरू कर दी है। दूसरे शहरों से पूजन सामग्री मंगाई जा रही है। कांवर बनाने का काम भी चल रहा है। व्यापारी सामान इकट्ठा करने लगे हैं। ताकि मेला के दौरान किसी तरह की कमी नहीं रह जाए। पिछले साल की तुलना में इस बार अधिक संख्या में कांवरियों के आने के जिला प्रशासन के अनुमान से व्यापारी खुश हैं। कांवरिया पथ में भी जगह चिन्हित कर दुकान बनाने में लोग लगे हुए हैं। सुल्तानगंज के व्यापारियों का कहना है कि मेला की व्यवस्था से संबंधित अधिकांश निर्णय जिला और राज्य स्तर पर लिये जा रहे हैं। इसमें स्थानीय लोगों और जनप्रतिनिधियों के सुझाव को शामिल करना चाहिए। ताकि मेला के दौरान स्थानीय लोगों और कारोबारियों को किसी तरह की परेशानी का सामना नहीं करना पड़े।

सुल्तानगंज के होटल व्यवसायी शिवम चौधरी ने बताया कि श्रावणी मेला के दौरान सुल्तानगंज में रोज एक से डेढ़ लाख कांवरिया आते हैं। देश के विभिन्न राज्यों के अलावा विदेशों से भी कांवरिया गंगा जल लेने के लिए सुल्तानगंज आते हैं। इस बार उससे भी अधिक कांवरियों के आने का अनुमान जिला प्रशासन को है। लेकिन वर्तमान में मेला की तैयारी दिख नहीं रही है। बायपास सड़क जर्जर हो चुका है। सुल्तानगंज बाजार होकर गुजरने वाली सड़क अभी निर्माणाधीन है। छह माह में भी निर्माण कार्य पूरा नहीं हुआ है। सड़क की एक तरफ गड्ढा बना हुआ है। मेला से पहले सड़क का निर्माण कार्य पूरा नहीं हुआ तो कभी भी दुर्घटना हो सकती है। प्रशासन को मेला से पहले सड़क को तैयार करवाना होगा। उन्होंने बताया कि गंगा घाट पर महिलाओं के लिए पर्याप्त संख्या में चेंजिग रूम,शौचालय और लॉकर की व्यवस्था होनी चाहिए। इस व्यवस्था की जानकारी नियमित रूप से माइकिंग कर कांवरियों तक पहुंचाने की जरूरत है। मेला के दौरान नो इंट्री की व्यवस्था से शहरवासियों की परेशानी बढ़ जाती है। इस पर प्रशासन और स्थानीय लोगों के बीच बैठक कर सर्वसम्मति से निर्णय लेने की जरूरत है। कांवरियों के लिए टेंट सिटी के लिए बेहतर जगह का चयन होना चाहिए। पिछले साल पानी जमा होने के चलते कांवरियों को काफी परेशानी हुई। व्यवसायी राजीव कुमार ने बताया कि श्रावणी मेला के दौरान स्कूली बसों को थाना से आने की अनुमति नहीं दी जाती है। नाथनगर, दिलगौरी सहित अन्य जगहों से बच्चे बस या अन्य वाहनों से आते हैं। बच्चों को भीषण गर्मी और बारिश में पैदल घर जाना पड़ता है। स्कूली वाहनों को नो इंट्री के दौरान बाजार में प्रवेश करने की अनुमति मिलनी चाहिए। अगर किसी दिन कांवरियों की भीड़ अधिक होती है तो उस दिन वाहनों को रोक दिया जाए। मेला के दौरान सुल्तानगंज बाजार की गलियों में भी नो इंट्री लगा दिया जाता है। इससे आने-जाने में लोगों को काफी परेशानी होती है।

सुल्तानगंज के कारोबारी पवन केसान ने बताया कि पहले की तुलना में श्रावणी मेला की व्यवस्था में बदलाव हुआ है। मेला की तैयारी केन्द्रीयकृत होने लगी है। इसमें स्थानीय जनप्रतिनिधि, सामाजिक संगठनों का हस्तक्षेप नगण्य हो गया है। पूर्व में तीन माह पहले जिला स्तर पर और दो महीना पहले स्थानीय स्तर पर तैयारी को लेकर बैठकें शुरू हो जाती थी। मेला शुरू होने में अब 40 दिन से भी कम बचा है। उस तरह की तैयारी नहीं दिख रही है। पहले ध्वाजा गली से नई सीढ़ी घाट तक श्रावणी मेला के दौरान कांवरियों की भीड़ होती थी। यहां उत्तरवाहिनी गंगा है। लेकिन इस क्षेत्र का विकास नहीं हो रहा है। गंगा रिवर फ्रंट बनाने का काम चल रहा है। लेकिन तब तक के लिए यहां भी मेला के दौरान बेहतर व्यवस्था होनी चाहिए। मेला प्राधिकरण में स्थानीय लोगों की भूमिका होती है। लेकिन यह भी वर्तमान में सक्रिय नहीं दिख रहा है। श्रावणी मेला के दौरान रेलवे स्टेशन को छोड़ केवल सीढ़ी घाट पर कांवरियों के रहने की व्यवस्था होती है। इसका और विस्तार होना चाहिए। इस बार अधिक कांवरियों के रहने की व्यवस्था प्रशासन को करनी चाहिए। सुल्तानगंज में अगर अधिक कांवरियां रुकेंगे तो यहां का कारोबार बढ़ेगा और इसका लाभ स्थानीय लोगों को मिलेगा। इसलिए कांवरियों के रहने के लिए सुल्तानगंज में अधिक व्यवस्था होनी चाहिए। श्रावणी मेला एक महीना चलता है। शहर को पुलिस छावनी में तब्दील कर दिया जाता है। हर गली और मोहल्ले में बैरियर लगाकर सुरक्षाकर्मियों की तैनाती कर दी जाती है। इसके चलते मरीज और स्कूली बच्चों को परेशानी होती है। घर में अगर कोई बीमार पड़ जाता है तो उसे डाक्टर के यहां ले जाने के लिए किसी वाहन को प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी जाती है। स्थानीय लोगों को इसमें राहत मिलनी चाहिए। मारवाड़ी युवा मंच से सुनील रामुका ने बताया कि ट्रेन से उतरने के बाद सामान के साथ घर आने में परेशानी होती है। कोई सामान लेकर स्टेशन नहीं जा पाते हैं। इसमें राहत मिलनी चाहिए। सुल्तानगंज के कारोबारी अपनी दुकान का एक साल का टैक्स देते हैं। मेला के दौरान दो महीना अन्य सामग्री बेचने पर एक ही जगह का दो बार टैक्स देना पड़ता है। दुकानदार से एक जमीन पर बने दुकान का एक टैक्स लेना चाहिए। समाजसेवी विनय शर्मा ने बताया कि श्रावणी मेला की कोई तैयारी नहीं दिख रही है। मेला में पीएचईडी की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। उसके द्वारा शौचालय, जलापूर्ति आदि की व्यवस्था की जाती है। अभी तक पुराने शौचालय की मरम्मति का कार्य नहीं हुआ है। पीएचईडी विभाग अधिक से अधिक आरओ लगाकर कांवरियों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने की व्यवस्था करे। अजगैबीनाथ घाट की स्थिति खतरनाक है। मेला के दौरान काफी संख्या में कांवरियां स्नान करने पहुंचते हैं। सभी घाटों को प्रशासन मेला से पहले ठीक कराये। जानकारी मिल रही है कि नगर परिषद में अभी बजट भी पारित नहीं हो सका है। जबकि मेला की तैयारी अब शुरू हो जानी चाहिए।

नो इंट्री के कारण सामान लेकर स्टेशन आने-जाने में परेशानी

सुल्तानगंज के व्यवसायी निरंजन कुमार चौधरी ने बताया कि सुल्तानगंज गंगा घाट से जल भर कर बाबा धाम जाने वाले कांवरियों को चौराहा से कृष्णगढ़ की तरफ और विषहरी स्थान से इन्द्रपुरी के सामने वाली गली से जाने की व्यवस्था होनी चाहिए। फिलहाल पुलिसबल द्वारा यात्रियों को चौराहे पर से स्टेशन रोड भेज दिया जाता है, जहां हमेशा खतरे की संभावना बनी रहती है। उसी एक रास्ते से बड़ी-छोटी सभी गाड़ि‌यों का आवागमन होता है। जबतक गंगा में पानी नहीं बढ़ता है, तब तक कांवरियों को घाट से सीधे कृष्णगढ़ रोड़ से भेजा जा सकता है। नोइंट्री के कारण सामान लेकर रेलवे स्टेशन आने-जाने में स्थानीय लोगों को परेशानी होती है। मेला के दौरान घाट पर कांवरियों के सामान की चोरी होने की घटना होते रहती है। पुलिस प्रशासन को मेला के दौरान असामाजिक तत्वों पर विशेष निगरानी रखनी होगी। मेला के दौरान पर्याप्त संख्या में सुरक्षाकर्मियों की तैनाती होनी चाहिए।

मेला शुरू होने से पहले जर्जर सड़क को ठीक किया जाए

सामाजिक कार्यकर्ता विनय शर्मा ने बताया कि राष्ट्रीय उच्च पथ और बाइपास पथ की हालत जर्जर है। नाला निर्माण कार्य अभी भी अधूरा पड़ा हुआ है। इसके कारण वाहनों के आवागमन करने में परेशानी होती है। मेला से पूर्व सुल्तानगंज गंगा घाट, कांवरियां पथ और स्टेशन रोड में शौचालय की व्यवस्था सुनिश्चित होनी चाहिए। ताकि शिवभक्तों खासकर महिला कांवरियों को परेशानी का सामना नहीं करना पड़े। उत्तरवाहिणी गंगाघाट की स्थिति खतरनाक है। घाट को तत्काल समतल बनाना चाहिए। सुल्तानगंज के व्यवसायी भयमुक्त होकर अपना रोजगार जारी रख सके, इसके लिए जिला और नगर परिषद को मिलकर काम करना चाहिए । श्रावणी मेला में प्रशासन द्वारा ऊंचे और सुरक्षित स्थान पर कांवरियों के जरूरत के अनुसार टेंट सिटी का निर्माण किया जाना चाहिए। नगर परिषद दुकानदारों से साल भर का टैक्स वसूलता है। इसके बावजूद मेला के नाम पर अलग से टैक्स वसूला जाना सही नहीं है।

शहर में बैरिकेडिंग के कारण स्थानीय लोगों को होती है परेशानी

सुल्तानगंज के स्थानीय व्यवसायी पवन केसान ने बताया कि श्रावनी मेला की शुरूआत पहले ध्वजा गली के पास से होती थी। जहां पवित्र उततरवाहिनी गंगा बहती है। जिसके कारण ही अजगैबीनाथ गंगा घाट की अधिक महत्ता है। यहां लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं, जिसके लिए बड़े यात्री शेड का निर्माण होना चाहिए। लगातार मांग करने के बाद 160 करोड़ की लागत से गंगा में रिवर फ्रंट की योजना पर काम चल रहा है। श्रावणी मेला के दौरान उत्तर वाहिनी गंगा तट पर डुबकी लगाने के लिए भारी तादाद में श्रद्धालु गंगाघाट पर स्नान करने जाते है। लेकिन वहां अभी भी कई तरह की समस्या है। सरकार को मेला प्राधिकरण को सक्रिय करना चाहिए। ताकि सरकार तक स्थानीय लोगों और व्यापारियों की बात पहुंच सके। श्रावणी मेला के दौरान पूरा शहर पुलिस छावनी में बदल जाता है। बैरिकेडिंग के चलते स्थानीय लोगों को परेशानी होती है। प्रशासन को ऐसी व्यवस्था करनी चाहिए जिससे स्थानीय लोगों को राहत मिल सके।

सुल्तानगंज मेला परिसर में सुरक्षा की पुख्ता व्यवस्था हो

व्यवसायी शिवम कुमार चौधरी ने बताया कि सरकार और जिला प्रशासन को सुल्तानगंज के स्थानीय व्यवसायियों और नागरिकों के साथ बैठक करनी चाहिए। ताकि मेला से पूर्व आपसी समन्वय बनाकर काम किया जा सके। श्रावणी मेला में व्यवसायिक दृष्टिकोण से सुल्तानगंज बेहतर और बड़ा बाजार है लेकिन व्यवसायियों को कई तरह की परेशानी का सामना करना पड़ता है। मेला परिसर में सुरक्षा की बेहतर व्यवस्था होनी चाहिए। ताकि व्यवसायी निभिर्क होकर अपना कारोबार कर सकें। श्रावणी मेला या आम दिनों में गंगा स्नान करने वाली महिलाओं की सुविधा को ध्यान में रखकर चेंजिंग रूम, शौचालय, बाथरूम, पीने के पानी के साथ सुरक्षा व्यवस्था बेहतर करना चाहिए। इससे व्यापारियों का व्यवसाय भी बढ़ेगा और लोगों को भी जरूरी सुविधाओं का लाभ मिल सकेगा। बीमार पड़ने पर परेशानी बढ़ जाती है और मरीज को डॉक्टर या जांचघर तक जाने-आने में परेशानी होती है।

इनकी भी सुनिए

श्रावणी मेला के दौरान सुल्तानगंज में काफी संख्या में कांवरिया आते हैं। प्रशासन द्वारा कृष्णगढ़ से बाजार तक बैरिकेंडिंग कर दी जाती है। जिसके कारण स्कूली छात्र -छात्राओं के अलावा अन्य लोग समय से गंतव्य स्थान तक नहीं पहुंच पाते हैं। प्रशासन को इमरजेंसी सेवा और दो पहिया वाहन के प्रवेश की अनुमति देनी चाहिए।

-रंजीत कुमार मिश्रा

श्रावणी मेला के पूर्व ही सुल्तानगंज में हर साल अतिक्रमण हटाया जाता है। लेकिन मेला शुरू होने के बाद ठीक उसी स्थान पर प्रशासन की अनुमति से दुकान लगा दी जाती है। स्थानीय लोगों को ट्रेन से घर जाने और श्रद्धालुओं को गंगा घाट आने-जाने में परेशानी होती है। प्रशासन को इस पर ध्यान देने की जरूरत है।

-महेश प्रसाद चौधरी

श्रावणी मेला के दौरान अजगैबीनाथ के सभी दुकानदारों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। मेला के समय जगह- जगह बैरियर लगा दिया जाता है। जिससे आवागमन बाधित हो जाता है। व्यवसाय पर भी बुरा असर पड़ रहा है। स्थायी बिजली कनेक्शन के बाद भी हर वर्ष व्यवसायियों को मेला स्पेशल बिजली कनेक्शन लेना पड़ता है।

-सुरेश गुप्ता

सुल्तानगंज में मेडिकल सुविधाओं के अभाव के कारण ग्रामीणों एवं व्यवसायियों को काफी परेशानी होती है। रेफरल अस्पताल होने के बाद भी बेहतर स्वास्थ्य सुविधा की कमी है। बीमार कांवरियों के इलाज के लिए अस्पताल में बेहतर व्यवस्था होनी चाहिए।

-सुबोध यादव

वर्षों से किराना व्यवसाय से जुड़े हैं। यही परिवार के भरन-पोषण का मुख्य स्रोत है। नो इंट्री से कारोबार करने में परेशानी होती है। यह समस्या दूर होना चाहिए। सुल्तानगंज के व्यवसायियों के साथ प्रशासन को बैठक कर समस्याओं का समाधान करना चाहिए।

-पवन कुमार गुप्ता

श्रावणी मेला के दौरान गंगा घाट पर काफी भीड़ होती है। इस दौरान चोरी की भी घटनाएं बढ़ जाती है। चोरी की घटना के बाद स्थानीय दुकानदारों पर आरोप लगने लगता है। पुलिस को पूरे मामले की जांच करने के बाद ही दोषी व्यक्ति के विरुद्ध कार्रवाई करनी चाहिए।

-सुबोध चौधरी

सुल्तानगंज में नो इंट्री के कारण व्यापारियों के साथ स्थानीय लोगों को काफी परेशानी होती है। बाहर से सामान लाना मुश्किल हो जाता है। इसका असर मेला के दौरान कारोबार पर पड़ता है। जिला प्रशासन को इस पर विशेष व्यवस्था करनी चाहिए। ताकि लोगों का कारोबार प्रभावित नहीं हो।

-विजय कुमार गुप्ता

श्रावणी मेला के दौरान बांस से कांवर सहित अन्य सामान तैयार किया जाता है। लेकिन बांस लाने में काफी परेशानी होती है। नो इंट्री के कारण ठेला, रिक्शा और छोटी गाड़ियों का प्रवेश रोक दिया जाता है। भीड़ कम होने पर कुछ समय के लिए दुकानदारों को वाहन ले जाने की अनुमति देनी चाहिए।

-अनुज कुमार अकेला

मेला के दौरान घाट पर कांवरियों की काफी भीड़ होती है। लेकिन उस प्रकार की सुविधा उपलब्ध नहीं रहने से परेशानी होती है। महिलाओं के कपड़ा बदलने के लिए कमरा, शौचालय आदि की पर्याप्त व्यवस्था होनी चाहिए। घाट पर सुरक्षा की अतिरिक्त व्यवस्था होनी चाहिए।

-उमेश चौधरी

सुल्तानगंज नगर परिषद दुकानदारों से साल भर का टैक्स लेता है। इसके बावजूद उसी दुकानदार से मेला के नाम पर अलग से टैक्स वसूल किया जाता है। यह गलत है। सरकार और जिला प्रशासन को इस पर रोक लगानी चाहिए।

-राजीव कुमार

सुल्तानगंज में मुख्य चौराहे और बाजार के साथ गलियों में भी प्रशासन द्वारा नो इंट्री लगा दिया जाता है। इससे रिक्शा- ठेला भी घर तक नहीं जा पाता है। सामान लेकर स्टेशन आने-जाने वालों को काफी परेशानी होती है। मरीजों को इलाज के लिए ले जाना भी मुश्किल हो जाता है।

-ध्रुव कुमार

श्रावणी मेला से पूर्व सुल्तानगंज गंगा घाट, कांवरियां पथ और स्टेशन रोड में शौचालय की व्यवस्था सुनिश्चित होनी चाहिए। ताकि शिवभक्तों खासकर महिला कांवरियों को परेशानी का सामना नहीं करना पड़े। इससे व्यवसायियों के कारोबार पर भी अच्छा असर पड़ेगा।

-सुनील कुमार रामुका

शिकायतें

1. चोरी की घटना होने पर पुलिस प्रशासन भी बिना सत्यता की जांच किए दुकानदार को दोषी मान लेते हैं। विवाद नहीं बढ़े इसके लिए आर्थिक क्षति उठानी पड़ती है।

2. सुल्तानगंज में मुख्य चौराहे और बाजार के साथ गलियों में भी प्रशासन द्वारा नो इन्ट्री लगा दिया जाता है। इससे रिक्शा- ठेला भी घर तक नहीं जा पाता है। मरीजो की परेशानी और बढ़ जाती है।

3. सुल्तानगंज नगर परिषद दुकानदारों से साल भर का टैक्स वसूलता है। इसके बावजूद उसी दुकानदार से मेला के नाम पर टैक्स की वसूली की जाती है, जो पूरी तरह से गलत है।

4. श्रावणी मेला के दौरान गंगा घाट पर कांवरियों की काफी भीड़ होती है। इसमें महिला कांवरियों की संख्या भी अधिक रहती है। लेकिन भीड़ के अनुसार शौचालय, कपड़ा बदलने का कमरा आदि की व्यवस्था नहीं रहती है। इसके चलते काफी परेशानी होती है।

5. मेला शुरू होने में 40 दिन से कम समय बचा है। लेकिन अभी तक सड़क, शौचालय, पेयजल, धर्मशाला मरम्मति आदि का काम नहीं हुआ है। यही हाल रहा तो मेला में कांवरियों को परेशानी होगी।

सुझाव

1. श्रावणी मेला से पूर्व सुल्तानगंज गंगा घाट, कांवरियां पथ और स्टेशन रोड में शौचालय की व्यवस्था सुनिश्चित हो। इससे महिला कांवरियां और शिवभक्तों को राहत मिलेगी।

2. व्यवसायी अपना सामान दुकान तक आसानी से ला सके, इसके लिए प्रशासन से निश्चित समय में वाहन प्रवेश करने की अनुमति मिलनी चाहिए।

3. सरकार को मेला प्राधिकरण को सक्रिय करने की जरूरत है। ताकि सरकार तक स्थानीय लोगों और व्यापारियों की बात पहुंच सके। इससे व्यवसायियों को भी लाभ मिलेगा।

4. जर्जर सड़क और नाला का निर्माण कार्य श्रावणी मेला शुरू होने से पहले पूरा कर लेना चाहिए। इससे कांवरियों के साथ व्यवसायियों को भी सहूलियत होगी।

5. जिला प्रशासन को सुल्तानगंज के स्थानीय व्यवसायियों और नागरिकों के साथ बैठक करनी चाहिए, जिससे मेला से पूर्व आपसी समन्वय बनाकर काम किया जा सके।

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