Purnia Faces Growing Pollution Crisis Air Quality Deteriorating Due to Plastic Waste बोले पूर्णिया : पॉलीथिन कचरा खाकर बीमार हो रहे पशु, जागरूकता जरूरी, Bhagalpur Hindi News - Hindustan
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बोले पूर्णिया : पॉलीथिन कचरा खाकर बीमार हो रहे पशु, जागरूकता जरूरी

पूर्णिया शहर में वायु प्रदूषण बढ़ रहा है। पॉलीथिन का उपयोग और कचरा जलाने से स्थिति बिगड़ रही है। रोजाना 60-70 टन कचरा निकलता है, जिसमें पॉलीथिन का कचरा प्रमुख है। इससे स्वास्थ्य समस्याएं और जल जमाव की...

Newswrap हिन्दुस्तान, भागलपुरThu, 29 May 2025 10:42 PM
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बोले पूर्णिया : पॉलीथिन कचरा खाकर बीमार हो रहे पशु, जागरूकता जरूरी

पूर्णिया शहर भी प्रदूषित होता जा रहा है। वायु प्रदूषण आम है। एयर क्वालिटी इंडेक्स खराब हो रहा है। वहीं लगाता बढ़ रहे पॉलीथिन के उपयोग ने और परेशानी बढ़ा दी है। पॉलीथिन कचरा का दुष्प्रभाव आम आदमी से लेकर जीव-जंतुओं पर भी पड़ रहा है। सेहत खराब हो रही है। नई-नई बीमारियां होने लगी हैं। वायु प्रदूषण बढ़ती चिंता का विषय है। प्लास्टिक और अन्य जहरीले पदार्थ सांसों में घुलकर लोगों को बीमार कर रहे हैं। पूर्णिया शहर 46 वार्डों का है, जहां से रोजाना 60 से 70 टन कचरा निकलता है। इसमें पॉलीथिन का कचरा सबसे अधिक होता है। शहर से लेकर गांव तक सिंगल यूज पॉलीथिन का उपयोग धड़ल्ले से हो रहा है। नगर निगम और जिला प्रशासन की कोशिश के बावजूद सिंगल यूज पॉलीथिन से पूर्णिया मुक्त नहीं हो सका है। देर तक खाने के सामान सिंगल यूज पॉलीथिन में रखने से भोजन विषाक्त हो जाता है। थायराइड और अन्य बीमारी घेर रही है। कचरा के साथ पॉलीथिन जलाने से वातावरण प्रदूषित हो रहा है। शहर के लोगों ने बढ़ते प्रदूषण पर चिंता जताते अपनी बात रखी।

60 टन रोज जमा होता है शहरी क्षेत्र का कचरा

02 सौ से अधिक सफाई कर्मी लगे हैं कचरा उठाव में

01 सौ 50 टन कचरा रोज निकलता है पूरे जिले में

पूर्णिया शहर की सड़क, नालियां, गलियां, मैदान और यहां तक कि खेत भी अब पॉलीथिन की कचरा से अछूते नहीं हैं। हर दिन निकलने वाले 100 से 120 टन कचरे में से करीब 50 टन केवल पॉलीथिन का कचरा होता है। पॉलीथिन ना तो मिट्टी में घुलता है ना ही पानी में, और ना ही समय के साथ खत्म होता है। बल्कि यह हवा, पानी, मिट्टी और जीवों के जीवन में धीरे-धीरे जहर घोलता जा रहा है। सबसे पहले असर नालियों पर पड़ता है। नालियां पॉलीथिन बैग और रैपर से जाम हो जाती है। बरसात होने के साथ ही शहर के कई वार्डों में पानी सड़कों पर भर जाता है। इसके साथ ही घरों में पानी घुसने लगता है। बरसात में प्लास्टिक कचरा का भराव रहने से जल जमाव की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। नालियों से पानी बाहर निकलकर पूरे मोहल्ला में नारिकीय स्थिति उत्पन्न कर देता है।

मवेशियों का भोजन बनता है प्लास्टिक कचरा :

खुले में पॉलीथिन का कचरा फेंकने से काफी खतरनाक स्थिति उत्पन्न हो जाती है। सड़क किनारे यत्र-तत्र पॉलीथिन का कचरा मवेशी का भोजन बनता है। बेजुबान गाय एवं अन्य मवेशी को क्या पता की पॉलीथिन का कचरा खाने से क्या क्या हानि हो सकती है। शहर में घूमने वाली गाय के पेट में प्लास्टिक का कचरा मौजूद होता है। गाय पालने वाले लोग भी दूध निकालकर सड़क पर घूमने के लिए छोड़ देते हैं। गायें सड़क पर बचे-खुचे भोजन के साथ पॉलीथिन कचरा भी खा लेती हैं। इन पशुपालकों को चोरी का डर नहीं हो तो गाय को रात में भी सड़क पर छोड़ सकते हैं। ‌पशु चिकित्सक के अनुसार, कई बार गाय एवं बकरी के पेट से भारी मात्रा में पॉलीथिन का कचरा निकलता है। ‌यह इन्हें बीमार कर देता है। जान भी ले लेता है।

मिट्टी को बंजर बना रहा पॉलीथिन :

वहीं पॉलीथिन खेतों में पहुंचकर मिट्टी की उर्वरता काफी कम कर देता है। पॉलीथिन मिट्टी के भीतर जाकर भी खत्म नहीं होता है। यह पौधे के लिए आवश्यक पोषण पहुंचाने में बाधक बनता है। इस तरह जमीन धीरे-धीरे बंजर हो जाती है। पॉलीथिन का कचरा जलाने से भी दुर्गंध एवं धुआं से चहुंओर वातावरण को नुकसान होता है। लोगों को सांस लेने में परेशानी होती है। इसके बाद भी शहर के विभिन्न हिस्सों में, खासकर सार्वजनिक जगहों पर पॉलीथिन कचरा जलाकर पर्यावरण को प्रदूषित किया जा रहा है। पूर्णिया नगर निगम में प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगा हुआ है। इसके बाद भी धड़ल्ले से प्लास्टिक का उपयोग किया जा रहा है। लोगों ने पॉलीथिन की रोकथाम के लिए नगर निगम से सख्ती बरतने की मांग की है।

बढ़ता वायु प्रदूषण चिंता का विषय:

पॉलीथिन और रासायनिक कचरा खुले में जलाए जाने से जहरीले धुएं का उत्सर्जन होता है, जो वायु प्रदूषण को बढ़ावा देता है। वाहनों और उद्योगों से निकलने वाले धुएं में हानिकारक गैसें और कण होते हैं, जो वायु प्रदूषण को बढ़ाते हैं। इससे सांस संबंधी समस्याएं जैसे कि अस्थमा और ब्रोंकाइटिस हो सकती हैं। वायु प्रदूषण से अन्य स्वास्थ्य समस्याएं जैसे कि हृदय रोग और कैंसर तक भी हो सकती हैं। पॉलीथिन कचरे को खुले में न जलाकर उसका सही तरीके से निपटान करना चाहिए। वाहनों और उद्योगों से निकलने वाले धुएं को कम करने के लिए सख्त नियम लागू करने चाहिए। वृक्षारोपण करके वायु प्रदूषण को कम किया जा सकता है, क्योंकि पेड़ वातावरण से हानिकारक गैसों को अवशोषित करते हैं। पूर्णिया के लोगों को वायु प्रदूषण के प्रति जागरूक करने और इसके प्रभावों को कम करने के लिए सामूहिक प्रयास करने होंगे।

शिकायत

1. सिंगल यूज पॉलीथिन पर प्रतिबंध केवल कागजों तक ही सीमित है। बाजार में खुलेआम धड़ल्ले से बिक रही है।

2. नाला की साफ-सफाई नहीं होने से उपयोग किया हुआ पॉलीथिन जमा होकर जल जमाव पैदा कर देता है।

3. कचरा संग्रहण वाहनों में पॉलीथिन और अन्य कचरे का कोई भी पृथक्करण नहीं होने से जमीन बंजर होने की संभावना बनी रहती है।

4. पॉलीथिन जलाने से उठा जहरीला धुआं लोगों के लिए खतरनाक है। इससे लोग बीमार होते हैं।

5. नगर निगम द्वारा नियमों को लेकर सख्ती नहीं दिखाने के कारण भी पॉलीथिन का कचरा भयानक रूप से बढ़ रहा है।

सुझाव

1. पॉलीथिन कचरा का पृथक्करण अनिवार्य किया जाना चाहिए।

2. बाजार में सिंगल यूज पॉलीथिन की बिक्री पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।

3. पॉलीथिन की थैली की जगह कपड़े की थैली को बढ़ावा मिलना चाहिए।

4. पॉलीथिन का उपयोग रोकने के लिए जन जागरुकता अभियान चलाया जाना चाहिए। स्कूल-कालेज एवं मोहल्ले में पॉलीथिन के दुष्प्रभाव को लेकर जागरूकता अभियान चलाया जाना चाहिए।

5. पॉलीथिन रिसाइकलिंग यूनिट स्थापित की जानी चाहिए ताकि पॉलीथिन का निस्तारण हो सके।

हमारी भी सुनिए

पॉलीथिन की वजह से गली मोहल्ले की नाली जाम हो जाती है। सड़न एवं दुर्गंध से बीमारी फैलती है। पॉलीथिन के उपयोग से बीमारी का खतरा बना रहता है।

-केशव कुमार गिरि

पॉलीथिन से खेती की उर्वरता कम हो रही है। बरसात के बाद खेतों में पॉलीथिन की थैली बहने से खेत में जमा हो जाती है।

-अरुण कुमार

सड़क पर कचरा जमा रहने के कारण पॉलीथिन का कचरा गाय खाने लगती है। लोगों को पॉलीथिन सड़क किनारे जहां तहां फेंकने से बचना चाहिए।

-ब्रहमदेव प्रसाद यादव

पॉलीथिन केवल कचरा नहीं है बल्कि बीमारी का बहुत बड़ा कारण है। पॉलीथिन से बचाव एवं उपाय के लिए जागरूकता अभियान की आवश्यकता है।

-रामधरण राय

पॉलीथिन का उपयोग करने से बचना चाहिए। लोगों को अपने साथ झोला लेकर बाजार में खरीदारी करने के लिए निकलना चाहिए।

-राजेन्द्र पंडित

पॉलीथिन से समाज को मुक्ति मिलनी चाहिए। इसकी शुरुआत लोग अपने अपने घरों से कर सकते हैं। खुद पॉलीथिन का उपयोग छोड़कर दूसरे को भी पॉलीथिन का उपयोग नहीं करने के लिए जागरूक किया जाना चाहिए।

-कपिल देव गुप्ता

पॉलीथिन सुविधा नहीं बल्कि संकट है। समान खरीदने में पॉलीथिन देने पर दुकानदार को पॉलीथिन से परहेज करने के लिए जागरूक करना चाहिए।

-प्रमोद यादव

पॉलीथिन का दुष्प्रभाव केवल शहर में नही बल्कि गांव-गांव तक पहुंच गया है। गांवों में पॉलीथिन का उठाव नहीं होने से मवेशी का निवाला बन रहा है। इससे मवेशियों की सेहत पर भी असर पड़ रहा है।

-रघुनंदन कामती

नगर निगम में गीला-सूखा कचरा को अलग-अलग किया जाता है। पॉलीथिन कचरा भी अलग करना चाहिए। पॉलीथिन कचरा काफी भयावह साबित हो सकता है।

-नित्यानंद यादव

सिर्फ कानून बनाकर पॉलीथिन का उपयोग रोका नहीं जा सकता है। बल्कि समाज की भागीदारी सुनिश्चित कर लोगों को जागरूक करने की आवश्यकता है।

-जनार्दन प्रसाद

पॉलीथिन का कचरा यत्र-तत्र बिखरा रहने के कारण गाय खाने लगती है। गाय को पॉलीथिन खाने से बीमारी की आशंका रहती है।

-सुमित कुमार

पॉलीथिन कचरा का उपयोग कम होने के बजाय बढ़ता जा रहा है। जिस कारण लोगों के साथ साथ मवेशी की सेहत पर भी काफी खतरा मंडरा रहा है।

-गणेश प्रसाद यादव

पॉलीथिन कचरा अब हमारे खान-पान के साथ साथ शरीर तक पहुंचने लगा है। रिसर्च कहता है कि पॉलीथिन हमारे भोजन में मिल चुका है। यह डरावनी स्थिति है।

-शंकर झा

हर घर पॉलीथिन का कबाड़खाना बना है। लोगों को भी दुकान में समान की खरीदारी करने के लिए झोला का उपयोग करना चाहिए। समय-समय पर नुक्कड़ नाटक एवं अन्य कार्यक्रम के माध्यम से जागरूक करना चाहिए।

-ध्वजाधर गोस्वामी

बोले जिम्मेदार:

सामान्यतः शहर से सभी प्रकार के कचरा का निस्तारण करवाया जा रहा है और विधिवत उसका कंपोस्ट तैयार करवाने के लिए भी मशीन लगाए गए हैं। पॉलीथिन पर रोक लगाने के लिए लगातार छापेमारी भी करवाई जा रही है और उससे प्राप्त पॉलीथिन के महीन टुकड़े बनवाकर रोड निर्माण में लगाए जाने की बड़ी योजना है।

-कुमार मंगलम, नगर आयुक्त पूर्णिया

पॉलीथिन आजकल की जीवन शैली का कोढ़ बन गया है। इस पर सरकार ने भी प्रतिबंध लगाए हैं और पूर्णिया नगर निगम भी काफी गंभीर है। छापेमारी अभियान भी चल रहा है ताकि किसी भी व्यावसायिक प्रतिष्ठान में पॉलीथिन का प्रयोग ना हो। इसके लिए जन जागरूकता की जरूरत है। नगर निगम और जिला प्रशासन को जागरूकता के लिए नियमित अभियान चलना चाहिए। इसके लिए प्रशासन से बात की जाएगी।

-विजय खेमका, विधायक, पूर्णिया सदर

बोले पूर्णिया असर

डीएम ने सुनी बुजुर्गों की बात, सड़क मरम्मत के दिये निर्देश

पूर्णिया। हिन्दुस्तान के बोले पूर्णिया पेज पर 15 अप्रैल को जिले के बुजुर्गों की समस्या के मुतल्लिक खबर छपी तो जिलाधिकारी कुंदन कुमार ने बुजुर्गों की समस्या का समाधान और उनकी भावनाओं का कद्र करने की कवायद शुरू कर दी। मालूम हो कि इस मसले को लेकर पूर्णिया के जिला पदाधिकारी लगातार बुजुर्ग एवं आमजनों से मिल कर उनकी समस्याओं का निराकरण कर रहे हैं। इसी क्रम में वरीय नागरिक समिति पूर्णिया के अध्यक्ष ने जिला पदाधिकारी से मुलाकात कर जनता चौक से थाना चौक भाया शीतला मंदिर सड़क में गड्ढे की मरम्मती को लेकर आवेदन समर्पित किया तो जिला पदाधिकारी ने पूर्णिया के नगर निगम के नगर आयुक्त कुमार मंगलम को अविलंब जांच कर इसकी मरम्मत कराने का निर्देश दिया। नगर निगम पूर्णिया को निदेश दिया गया कि बरसात के मौसम के आलोक में गड्ढे से दुर्घटना की संभावना बनी रहती है इसलिए जनता चौक से थाना चौक सड़क की अविलंब मरम्मत करना सुनिश्चित करेंगे। जिला पदाधिकारी ने बताया कि जिला प्रशासन लगातार आम लोगों को सुरक्षित यात्रा हेतु गढ्ढा मुक्त सड़क उपलब्ध कराने के लिए संकल्पित है। इसमें कोई कोताही मंजूर नहीं है। इतना ही नहीं जिलापदाधिकारी ने सभी संबंधित कार्यपालक अभियंताओं को अपने क्षेत्र की सड़कों की जांच कर मरम्मत कराने का निर्देश दिया। स्थानीय बुजुर्ग समाज के लोग कह रहे हैं कि हिन्दुस्तान अखबार ने बुजुर्गों की आवाज को बुलंद किया है, जिसके कारण बुजुर्गों की समस्या अब सीधे जिलाधिकारी और नगर निगम में नगर आयुक्त सुन रहे हैं और गंभीरता से ले रहे हैं। बुजुर्ग शिवचरण कहते हैं कि हिन्दुस्तान अखबार ने जब से बुजुर्गों की समस्या को जगह दी है तो प्रशासन को भी ऐसा लगने लगा कि पूर्णिया के बुजुर्ग जागरूक हैं। प्रशासन ने बुजुर्गों का सम्मान और सुनवाई करनी शुरू कर दी है। बुजुर्गों ने इसके लिए हिनदुस्तान अखबार के बोले पूर्णिया अभियान की काफी सराहना की है।

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