बोले जमुई: मिले सरकारी सहायता तो बढ़े रोजगार, आएगी खुशहाली
नाई समाज का अस्तित्व संकट में है। पारंपरिक कार्यों से सीमित होकर, ये लोग सरकारी सुरक्षा और सुविधाओं से वंचित हैं। नाई समाज के सदस्य चाहते हैं कि उन्हें शिक्षा, नौकरी और वित्तीय सहायता मिले ताकि वे...

प्रस्तुति: सुधांशु लाल/राकेश सिन्हा
मनुष्य के जन्म से लेकर अंतिम समय तक विभिन्न अवसरों पर महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाला नाई समाज अपने अस्तित्व को बचाए रखने के लिए संघर्ष कर रहा है। कठिन श्रम कर परिवार का भरण पोषण कर रहे समाज को श्रमिक सुविधाओं का लाभ न मिलने का मलाल है। इनकी जिंदगी में झांकें तो इन्हें न सरकारी सुरक्षा दिखती है, न सामाजिक। अब इस वर्ग को भी तरक्की की उड़ान के लिए समाज और सरकार से मदद की दरकार है।
नाई समाज जन्म मरणोपरांत तक पारंपरिक रीति रिवाजों के लिए आवश्यक है। बगैर इनके किसी भी समाज का अनुष्ठान पूरा होना संभव नहीं है। लेकिन, आज नाई समाज अपने पारंपरिक कार्यों में से बाल-दाढ़ी बनाने तक सीमित रह गया है। जबकि एक दौर था जब नश चढ़ने पर उसे बैठाना, टूटी हुई हड्डी को सेट करने, चंपी करना सहित कई ऐसे कार्यों के लिए जाना जाता था, जिससे किसी व्यक्ति को शारीरिक व मानसिक रूप से राहत दिया जा सकता था।
दूसरे कास्ट से मिल रही चुनौती
नाई समाज के लोगों ने बताया कि इनके परंपरागत कार्य का आधुनिकीकरण हो गया है। अस्तुरा वाला दौर नहीं रहा। नये दौर की सोच के हिसाब का स्टैंडर्ड मेंटेन करने पर ही दुकान पर लोग पहुंचते हैं। इसके लिए पूंजी की आवश्यकता होती है। इसका लाभ दूसरे समाज के लोग उठाते हैं। पूंजी के अभाव में नाई समाज के युवा दूसरे समाज द्वारा खोले गए सैलून, पार्लर आदि में मजदूरी करते हैं और गुजर बसर करने को विवश हैं। दूसरे समाज के लोगों के आने से चुनौतियां बढ़ गईं हैं।
सेना, पुलिस, डाकिया आदि बहाली में मिले प्राथमिकता
नौकरी के लिए लोग किसी की भी हकमारी करने से पीछे नहीं हैं। सेना, पुलिस, डाकिया आदि की बहाली में पहले नाई समाज के लोगों को तवज्जो दिया जाता था। अब आलम यह है कि दूसरे समाज के लोग भी जैसे-तैसे सर्टिफिकेट बनाकर नाई में बहाल हो जाते हैं। दूसरे समाज के लोग हकमारी कर रहे हैं। आज भी गांव में किसी के घर पारंपरिक कार्य विवाह, जन्म, पूजा-पाठ, श्राद्ध आदि में नाई समाज डाकिया की भूमिका में होता है।
सरकारी सुविधाओं से वंचित है समाज
नाई समाज स्वच्छता को प्रतीक होते हैं। समाज के लोग चाहते है कि सरकारी नौकरी में इनकी बच्चों की भागीदारी हो। साथ ही इस समाज के लोग चाहते हैं कि सरकार द्वारा नाई समाज के बच्चों को शिक्षा में रियायत दी जाए एवं पढ़ने के लिए छात्रवृति की सुविधा प्राप्त हो। बहुत से ऐसे नाई है जो कि पैसे के आभाव में अपनी दुकान नहीं खोल सकते। कारणवश उन्हें दूसरों के दुकानों पर मजदूरी करनी पड़ती है, उनके लिए निम्न दर पर लोन के लिए जागरूकता अभियान चलाया जाए। दुकानों से निकलने वाले कचरों के लिए डस्टबीन की व्यवस्था की जाए।
सैलून के लिए नाई समाज को मिले प्राथमिकता
नगर परिषद की बात हो या रेलवे स्टेशन पर सैलून की। नाई समाज के लोगों को ही सैलून आवंटित किया जाए। इसके साथ ही सैलून के लिए सरकार सब्सिडी के साथ पूंजी की व्यवस्था कराये। वहीं, युवाओं के लिए पौराणिक सभी कलाओं का प्रशिक्षण केंद्र हो। जहां से प्रशिक्षित होकर युवा वर्तमान दौर के हिसाब से दुकान संचालक कर सके। घर और बाहर दोनों जगह से युवाओं को जब प्रशिक्षण मिलेगा तो उनके काम में निखार आएगा और आत्मविश्वास भी बढ़ेगा।
कार्यस्थल पर दर भी तय हो
इस समाज के लिए सरकार को चाहिए की नाई समाज के लिए रिर्जव में सरकारी नौकरी को अधिक-से-अधिक वैकेंसी दी जाए ताकि नाई समाज के लोगो के बच्चें भी दुकानों पर आश्रित नही रह सके। एवं दूसरों के दूकानों पर कार्य करने पर विवश न हो। कार्य स्थल पर कार्य करते समय कुछ लोग तय दर को लेकर आपसी विवाद कर लेते है। जिन्हें निपटाने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। जिनपर जिला प्रशासन को ध्यान देना चाहिए।
जिले में लगभग एक हजार से अधिक हेयर कटिंग सैलून
जिले में लगभग एक हजार से अधिक हेयर कटिंग सैलून हैं, जहां दो हजार से अधिक नाई हेयर कटिंग का काम करते हैं। इनमें अधिकतर परिवारों की रोजी-रोटी उनके इस पुश्तैनी धंधे पर ही टिकी है। दाढ़ी-बाल बनाकर परिवार की जीविका चलाने वाला समाज खुद को उपेक्षित महसूस कर रहा है। नाई समाज का कहना है कि उन्हें भी सम्मान की दृष्टि से देखा जाना चाहिए। सामाजिक और आर्थिक बदलाव के दौड़ में समाज आज भी खुद को पिछड़ा महसूस कर रहा है। अधिकतर लोगों की जिंदगी किराए के मकान और दुकान में ही कट रही है। साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में जमीन पर भी बैठकर बाल और दाढ़ी बनाने का कार्य नाई समाज आज भी करता है। सैलून चलाने वाले संदीप कुमार ने कहा कि सरकार सभी समाज के पिछड़े वर्ग के लोगों को कुछ न कुछ देती है, लेकिन हमारी दो जून की रोटी विरासत में मिले पेशे पर ही टिकी है। लोगों के घरों में होने वाले मांगलिक और अन्य कार्यक्रमों में परिवार के साथ हमारी मौजूदगी रहती है, बावजूद हमें सम्मान के साथ बुलाया तक नहीं जाता है। मदन ठाकुर ने कहा कि नगर परिषद से लेकर नगर पंचायत तक बनने वाली दुकानों में नाई समाज को भी दुकानें आवंटित की जाएं, जिससे हम अपनी जिंदगी सम्मानजनक तरीके से गुजार सकें। छोटी सी दुकान की कमाई से परिवार का भरण पोषण करना मुश्किल हो जाता है। यदि घर में कोई बीमार पड़ जाता है तो इलाज के लिए भी हम लोगों को कर्ज तक लेना पड़ता है।
शेविंग के सामान पर महंगाई की मार
नाई समाज शेविंग से लेकर कटिंग में उपयोग होने वाले सामान की महंगाई से परेशान हैं, जो शेविंग फोम तीन महीने पहले 170 रुपये में मिलता था। उसकी कीमत 250 रुपये पहुंच गई है। इसके साथ ही आफ्टर शेव लोशन की कीमतों में भी काफी इजाफा हो गया है। वहीं, अब ग्राहक ब्रांड को लेकर संजीदा हो गए हैं। अच्छे ब्रांड के सारे सेविंग लोशन दो सौ रुपये से अधिक कीमत के हैं। महंगाई के चलते शेविंग की लागत बढ़ती जा रही है।
मेहनत के हिसाब से नहीं मिल रहा मेहनताना
नाई समाज का दर्द है कि उन्हें मेहनत के हिसाब से मेहनताना नहीं मिल रहा है। सामान्य तौर पर बाल कटिंग 40 से 60 रुपये है तो वहीं दाढ़ी शेव का 30 से 50 रुपये तक है। जिले के चुनिंदा बड़े सैलून को छोड़ दें तो आम सैलून में शेविंग और हेयर कटिंग की दरें पांच साल से नहीं बढ़ी हैं। गुरुवार और शनिवार को हेयर कटिंग कराने वाले नहीं के बराबर है। रविवार और बुधवार को अधिक भीड़ रहती है। ऐसे में पूरे महीने की आय से परिवार चलाना मुश्किल होता है।
नाई समाज को योजनाओं का नहीं मिल रहा पूरा लाभ
जागरूकता की कमी के कारण नाई समाज सरकारी योजनाओं का पूरा लाभ नहीं ले पा रहा है। समाज कल्याण विभाग की योजनाओं का लाभ योजना, वृद्धावस्था पेंशन योजना, छात्रवृत्ति योजना आदि योजनाएं संचालित करता है।
बोले लोग
ग्राहक गर्मियों में एसी और ठंड में ब्लोअर की अपेक्षा करते हैं, लेकिन सेविंग और कटिंग बढ़ने पर नाखुश हो जाते हैं, जबकि सैलून में सुविधा को लेकर काफी बढ़ोतरी हो गई है।
-दीपक ठाकुमर
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जबतक हाथ में हुनर है काम मिलता है। एक उम्र के बाद हाथ कांपने पर नाई बेकार हो जाते हैं।
-दिलीप ठाकुर
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हम लोगों के पास किसी प्रकार की सुविधा नहीं है। इससे उपेक्षा का अहसास होता है।
-फंटूश
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नाई समाज का सरकार को अलग से रजिस्ट्रेशन कर जरूरी सुविधाएं देनी चाहिए। हम लोगों के लिए अलग से नाईबाड़ा होना चाहिए, जिससे भविष्य सुरक्षित हो सके।
-इतबारी ठाकुर
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पूरे जिले में दो हजार से अधिक हेयर कटिंग के काम में लोग लगे हुए है, लेकिन इनकी समाजिक सुरक्षा और प्रतिष्ठा का ख्याल किसी को नहीं है।
-नीलम
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हमें भी आयुष्मान कार्ड सुरक्षा सहित अन्य सरकारी सुविधाओं का लाभ मिले।
-सावित्री देवी
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चुनाव आने पर नाई समाज की पूछ होती है, इसके बाद जनप्रतिनिधि नाई समाज की समस्याओं को भूल जाते हैं।
-पुतूल देवी
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नाई समाज के लिए भी सरकार को बेहतर पहल करनी चाहिए।
-रमेश
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देहात में आज भी जौरा पर नाई समाज के लोग घर जाकर बाल और दाढ़ी बना रहें हैं।
-संदीप
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ऐसे में देहात में भी न्यूनतम मजदूरी निर्धारित हो, जिससे लोगों का जीवन सुगमता से बीत सकें।
-सकुना
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नाई समाज कि भी मांग है कि इनके काम को देखते हुए पंजीकरण हो और कार्ड जारी कर योजनाओं का लाभ तो मिले ही, साथ ही विशेष दर्जा भी मिले।
-सुजीत ठाकुर
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सरकारी सहायता की जरूरत है। मुहल्ले की सड़क काफी सकरी है इसे चौड़ी कर सड़क का निर्माण कराया जाना चाहिए।
-सुनीता देवी
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नये दौर की सोच के हिसाब का स्टैंडर्ड मेंटेन करने पर ही दुकान पर लोग पहुंचते हैं। इसके लिए पूंजी की आवश्यकता होती है। इसका लाभ दूसरे समाज के लोग उठाते हैं।
-उमेश ठाकुर
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लोगों के घरों-घरों तक जामकर काम करना पड़ता है। इसमें काफी कम पैसे मिलते हैं, कुछ मदद मिलती तो आसान होता।
-विमला
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शादी विवाह में भी अब सैलून के बुकिंग का प्रचलन कम होता जा रहा है। दुकान का आवंटन सरकार करे तो आसान होगा।
-नीरज कुमार
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बोले जिम्मेदार
सरकार की योजनाओं का लाभ सभी वर्ग के लोगों को मिल रहा है। सरकारी योजना का लाभ लेने के लिए ऑनलाइन आवेदन करनी पड़ती है। जिसमें मुख्यमंत्री उद्यमी योजना महिला उद्यमी योजना समेत कई प्रकार के योजनाएं केंद्र व राज्य सरकार के द्वारा संचालित है। इस योजना का लाभ जिले के काफी लोग ले रहे हैं। नाई समाजके युवा इनका लाभ उठा सकते हैं। उद्योग विभाग हर समय लोगों की मदद के लिए वह सलाह देने के लिए तत्पर है।
-मितेश कुमार शान्डिल्य, उद्योग विभाग पदाधिकारी, जमुई
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