Surge in PhD Enrollments at IIIT Bhagalpur Due to Stipend Support पीएचडी का शुरू हुआ स्टाइपेंड तो बढ़ी नियमित शोधार्थियों की संख्या, Bhagalpur Hindi News - Hindustan
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पीएचडी का शुरू हुआ स्टाइपेंड तो बढ़ी नियमित शोधार्थियों की संख्या

हिन्दुस्तान विशेष 2024 में सात नियमित तो पांच पार्ट टाइम शोधार्थी नामांकित हुए पिछले

Newswrap हिन्दुस्तान, भागलपुरSun, 15 June 2025 01:45 AM
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पीएचडी का शुरू हुआ स्टाइपेंड तो बढ़ी नियमित शोधार्थियों की संख्या

भागलपुर, कार्यालय संवाददाता। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इंफार्मेशन टेक्नोलॉजी (ट्रिपल आईटी) भागलपुर में काफी संख्या में विद्यार्थी पीएचडी में अपनी रुचि दिखा रहे हैं। भागलपुर में ट्रिपल आईटी में बीटेक की शुरुआत 2017 से हुई। जबकि पीएचडी में पहला नामांकन 2021 में हुआ। पहले बैच में आठ अभ्यर्थी पार्ट टाइम तो आठ शोधार्थी नियमित पीएचडी के लिए आए। 2022 में आठ पार्ट टाइम जबकि आठ नियमित विद्याथी नामांकित हुए। 2023 में छह शोधार्थी पार्ट टाइम और चार नियमित पीएचडी के लिए आए। जबकि अंतिम वर्ष 2024 में सात नियमित तो पांच पार्ट टाइम अभ्यर्थी शोध के नामांकित हुए। ट्रिपल आईटी के पीआरओ डॉ. धीरज कुमार सिन्हा ने बताया कि पिछले साल से रेगुलर तरीके से पीएचडी करने वाले शोधार्थियों में वृद्धि हुई है।

इसकी बड़ी वजह है कि पीएचडी के लिए ग्रेजुएट एप्टीट्यूड टेस्ट इन इंजीनियरिंग (गेट) क्वालीफाई करने वालों को मिलने वाला फेलोशिप। पीएचडी में नामांकित शोधार्थियों को प्रतिमाह 35 हजार का स्टाइपेंड मिलता है। इस कारण विद्यार्थी नियमित शोध में ज्यादा रुचि दिखाते हैं। यह सुविधा पार्ट टाइम तरीके से पीएचडी करने वालों को उपलब्ध नहीं है। उन्होंने कहा कि ट्रिपल आईटी भागलपुर में पीएचडी के लिए बिहार सहित झारखंड, बंगाल, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश आदि राज्यों के शोधार्थी पहुंचते हैं। स्टाइपेंड मिलने से शोधार्थियों को शोध में सहायता ट्रिपल आईटी में एक विभाग के हेड ने बताया कि स्टाइपेंड मिलने से शोधार्थियों को अपने शोध में काफी सहायता मिलती है। उच्च गुणवत्तापूर्ण शोध के लिए जरूरी होता है कि कुछ सहायता राशि मिले। इससे वे लोग शोध के लिए लगने वाली जरूरी चीजों की व्यवस्था स्वयं कर सकते हैं। शोध के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण कंटेट की भी उपलब्धता के लिए उन्हें कई संस्थानों से मदद लेनी होती है, ऐसे में स्टाइपेंड शोधार्थियों को शोध के समय काफी राहत देती है, इससे ही उनकी गुणवत्ता बरकरार रहती है। --------- कोट : गेट क्वालीफाई करने के बाद पीएचडी में चयनित शोधार्थियों को स्टाइपेंड दिया जाता है। इसकी शुरुआत होने के बाद पिछले साल से नियमित शोधार्थियों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। -डॉ. धीरज कुमार सिन्हा, पीआरओ ट्रिपल आईटी

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