1 लाख करोड़ और विशेष राज्य का दर्जा, बिहार ने 16वें वित्त आयोग के सामने रखी मांगों की लिस्ट
बिहार सरकार ने 16वें वित्त आयोग से विशेष राज्य का दर्जे के साथ 1 लाख करोड़ रुपये का तुरंत अनुदान देने की मांग की है। पटना में हुई वित्त आयोग की बैठक में सीएम नीतीश भी मौजूद रहे।

बिहार की नीतीश सरकार ने 16वें वित्त आयोग के सामने कई मांगों की एक पूरी लिस्ट रख दी है। इसमें बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने के साथ ही 1 लाख करोड़ रुपये के तात्कालिक अनुदान की मांग की गई है। बिहार ने केंद्रीय करों की हिस्सेदारी में राज्यों का हिस्सा भी बढ़ाने की मांग की है। 16वें वित्त आयोग के सदस्य तीन दिवसीय बिहार दौरे पर हैं। पटना में आयोजित आयोग की बैठक में गुरुवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी शामिल हुए।
बिहार ने टैक्स के बंटवारे में बहुआयामी गरीबी सूचकांक के आधार को भी एक मानक बनाने का आग्रह 16 वें वित्त आयोग से किया है। पटना आयोजित बैठक में आयोग के अध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया ने गुरुवार को इसकी जानकारी दी। उन्होंने कहा बिहार ने विशेष राज्य का दर्जा भी मांगा है, लेकिन यह विचार करने योग्य प्रश्न नहीं है।
सीएम नीतीश कुमार भी गुरुवार को मुख्यमंत्री सचिवालय स्थित 'संवाद' में आयोजित 16वें वित्त आयोग की बैठक में शाामिल हुए। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि बहुत खुशी की बात है कि बिहार में 3 दिवसीय भ्रमण पर 16वें वित्त आयोग का आगमन हुआ है। इस अवसर पर वित्त आयोग के अध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया सहित सभी सदस्यगणों का उन्होंने स्वागत किया।
सीएम ने आयोग के सदस्यों से कहा कि आप सभी काफी अनुभवी एवं योग्य हैं और बिहार को आपसे काफी उम्मीदें हैं। उन्होंने कहा कि यह गौरव की बात है कि आयोग के अध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया नालंदा विश्वविद्यालय, राजगीर के कुलाधिपति भी हैं। इसलिए वे बिहार की सामाजिक एवं आर्थिक पृष्ठभूमि से परिचित हैं।
16वें वित्त आयोग के सामने बिहार सरकार ने कई महत्वपूर्ण मांगें रखी हैं। इसमें प्रमुख मांगें इस प्रकार हैं:
- बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिले
- केंद्रीय करों में राज्यों के शेयर को 41 फीसदी से बढ़ाकर 50 फीसदी किया जाए
- सेस और सरचार्ज को विभाज्य पूल में शामिल किया जाए
- राज्यों के बीच केंद्रीय करों के शेयर बंटवारे में बहुआयामी गरीबी को भी आधार बनाया जाए
- जनसंख्या घनत्व को संसाधन हस्तांतरण के फॉर्मूले में प्राथमिकता दी जाए
- विभिन्न क्षेत्रों के लिए तत्काल वित्तीय सहायता के लिए 1,00,079 करोड़ रुपये का अनुदान दिया जाए