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तीन नदियां सूख गईं और 11 में मापने लायक पानी भी नहीं, बिहार की नदियों का क्यों हुआ ऐसा हाल; होगी जांच

ऐसा पहली बार है कि बाढ़ अवधि (बिहार में 31 अक्टूबर) में ही नदियों का स्वास्थ्य बिगड़ने लगा है। इन नदियों के आसपास के क्षेत्रों में भू-जल नीचे चला गया है। जबकि, इस साल सारी नदियों में भरपूर पानी आया।

Nishant Nandan हिन्दुस्तान, पटनाWed, 30 Oct 2024 05:33 AM
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तीन नदियां सूख गईं और 11 में मापने लायक पानी भी नहीं, बिहार की नदियों का क्यों हुआ ऐसा हाल; होगी जांच

देश में मॉनसून की विदाई के साथ बिहार की नदियों के सूखने का सिलसिला शुरू हो गया है। हाल यह है कि कुछ दिन पहले तक जिन नदियों में 80 से 100 मीटर तक जलस्तर था, वह भी सूख गई हैं। इस संबंध में राज्य सरकार को मिली रिपोर्ट चौंकाने वाली है। तीन नदियां पूरी तरह सूख चुकी हैं जबकि 11 नदियों में पानी मापने योग्य भी नहीं रह गया है। कई जगहों पर सिर्फ गीली सतह ही शेष रह गई है। पानी गेज स्थल के नीचे जा चुका है। इनमें से कई नदियां तो मॉनसून के दौरान खतरे के निशान तक पहुंची थीं। नदियों के सूखने का सिलसिला तेजी से बढ़ रहा है।

विशेषज्ञों के अनुसार यदि ऐसा ही रहा तो कुछ ही दिनों में बड़ी संख्या में नदियां सूख जाएंगी। ऐसा पहली बार है कि बाढ़ अवधि (बिहार में 31 अक्टूबर) में ही नदियों का स्वास्थ्य बिगड़ने लगा है। इन नदियों के आसपास के क्षेत्रों में भू-जल नीचे चला गया है। जबकि, इस साल सारी नदियों में भरपूर पानी आया। कोसी ने 5 तो गंडक ने 3 दशकों का रिकॉर्ड तोड़ा। 11 नदियों ने उच्च जलस्तर का रिकॉर्ड बनाया। सरकार ने इस स्थिति की जांच का फैसला लिया है।

जल संसाधन विभाग की रिपोर्ट के अनुसार महज एक माह में ही 100 मीटर से अधिक का जलस्तर न्यूनतम स्तर पर आ गया। रोहतास जिले की अवसाने नदी में 1 अक्टूबर को 102 मीटर पानी था। इस नदी में आज मापने योग्य पानी नहीं है। जुलाई में काव नदी में 103.38 मीटर पानी था। आज नदी सूख चुकी है। नवादा में सकरी नदी में 80 मीटर पानी था, आज वहां से भी पानी गायब है।

इन नदियों से 40 से 50 हजार हेक्टेयर में सिंचाई होती थी। खासकर सकरी और काव नदी से जुड़ी सिंचाई परियोजनाएं भी हैं। बीते कुछ दिनों से सिंचाई पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। हाल के दिनों में जो नदियां सू्खी हैं और जिन नदियों में मापने योग्य पानी भी शेष नहीं रह गया है, वे 10 लाख से अधिक आबादी को प्रभावित कर रही हैं। इनमें रोहतास, नवादा, नालंदा, सीतामढ़ी, कटिहार, गया और बांका जिले का बड़ा इलाका शामिल है। नदियों के सूखने से आस-पास के कई और जिलों पर भी प्रभाव पड़ा है।

2 से 10 किमी के कई स्ट्रेच में गायब हुआ पानी

नदियां 2 से 10 किलोमीटर के कई स्ट्रेच में सूखी हैं। कहीं-कहीं तो इससे अधिक लंबाई में नदियों में पानी नहीं दिखता। यही नहीं इन नदियों में अधिसंख्य 20 से 40 मीटर तक की चौड़ाई में हैं। खासकर शहरी व कस्बाई इलाकों में नदियों में पानी अधिक मात्रा में गायब है। यहां नदियां अतिक्रमण की भी शिकार हुई हैं।

पिछले साल दिसंबर से शुरू हुआ था नदियों के सूखने का सिलसिला

जल विशेषज्ञ दिनेश मिश्रा ने बताया कि प्रकृति के साथ छेड़छाड़ करके नदियों की अविरलता को प्रभावित कर रहे हैं। नदियों के सूखने का सबसे बड़ा कारण तो भूजल स्तर का नीचे जाना है। भूजल का जितना दोहन हम कर रहे हैं, वह हमें लगातार बड़े खतरे की ओर ले जा रहा है। जमीन से इतना पानी निकाल रहे हैं कि उसकी भरपाई संभव नहीं हो सकेगा।

सकरयूं कहें को हम भूजल को सोख रहे हैं। यही नहीं नदियों के जलस्रोत से भी पानी की आपूर्ति बाधित हो रही है। नदियों का प्रवाह प्रभावित हो रहा है और वे सूख रही हैं। नदियां अतिक्रमण की शिकार हो रही हैं। इन सबसे हम भविष्य को अंधकारमय बना रहे हैं। इन नदियों के माध्यम से प्रकृति हमें स्पष्ट चेतावनी दे रही है। यही हाल रहा तो आने वाले समय में बड़ी नदियां भी पूरी तरह सूख जाएंगी।