बड़े काम का चुकंदर; सलाद के साथ इस उद्योग में काम आएगा, इनकम और रोजगार का नया जरिया बनेगा
गन्ना उद्योग विभाग, राष्ट्रीय शर्करा संस्थान (एनएसआई) कानपुर और चीनी मिलों के बीच बैठक हो चुकी है। चुकंदर से इथेनॉल बनाने की तैयारी चल रही है।

बिहार में चुकंदर से इथेनॉल बनाने की तैयारी चल रही है। इससे किसानों की आय बढ़ेगी। चीनी मिलों को भी ज्यादा कच्चा माल मिलेगा। सबकुछ ठीक रहा तो राज्य में इथेनॉल का उत्पादन भी बढ़ेगा। इससे किसानों की आमदनी बढ़ने के साथ साथ रोजगार के नए अवसर भी खुलेंगे।
इस संबंध में गन्ना उद्योग विभाग, राष्ट्रीय शर्करा संस्थान (एनएसआई) कानपुर और चीनी मिलों के बीच बैठक हो चुकी है। बैठक में ईंखायुक्त अनिल कुमार झा भी मौजूद रहे। एनएसआई निदेशक डॉ. सीमा परोहा और वहां के वैज्ञानिकों ने मिल संचालकों को चुकंदर से इथेनॉल बनाने की संभावनाएं बताई। अब इस पर काम शुरू हो गया है।
चीनी मिलों को इसके लिए थोड़ा बदलाव करना पड़ेगा। मिलों में अलग से डिफ्यूजर लगाना होगा। एनएसआई के मार्गदर्शन में उत्तर प्रदेश के किसानों के कुछ समूह ने चुकंदर की खेती शुरू कर दी है। एनएसआई का प्रयास बिहार के किसानों को भी इसके लिए प्रेरित करना है। वैज्ञानिकों के अनुसार मक्का, चावल और गन्ना की तुलना में चुकंदर से ज्यादा मात्रा में इथेनॉल का उत्पादन होता है। एक टन चुकंदर से करीब 120 लीटर या इससे ज्यादा इथेनॉल प्राप्त होने की उम्मीद है।
इथेनॉल से चीनी उत्पादन भी शुरू करने का प्रयास किया जा रहा है। अभी जर्मनी और कई यूरोपीय देश चुकंदर से चीनी का उत्पादन कर रहे हैं। चीनी मिलों को इसके लिए अलग से डिफ्यूजर लगाना होगा। यह महंगा होता है। इसलिए बिहार के चीनी मिल अभी यूपी के परिणाम के आंकड़ों का इंतजार कर रहे हैं। उम्मीद की जा रही है कि बिहार में इसे अपनाया जाएगा।
किसानों को होगा लाभ
खेत से निकलने वाले एक चुकंदर का वजन भी करीब पचास ग्राम या अधिक होता है। इससे प्रति हेक्टेयर अधिकतम उत्पादन लिया जा सकता है जो किसानों को पारंपरिक खेती के मुकाबले ज्यादा लाभ देगा। इससे मिलों को ज्यादा कच्चा माल मिलेगा।