Nalanda Farmers Boosting China Crop Cultivation From 100 to 250 Acres चीना की खेती को नयी उड़ान दे रहे नालन्दा के किसान, Biharsharif Hindi News - Hindustan
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चीना की खेती को नयी उड़ान दे रहे नालन्दा के किसान

चीना की खेती को नयी उड़ान दे रहे नालन्दा के किसानचीना की खेती को नयी उड़ान दे रहे नालन्दा के किसानचीना की खेती को नयी उड़ान दे रहे नालन्दा के किसानचीना की खेती को नयी उड़ान दे रहे नालन्दा के किसान

Newswrap हिन्दुस्तान, बिहारशरीफSun, 27 April 2025 10:09 PM
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चीना की खेती को नयी उड़ान दे रहे नालन्दा के किसान

चीना की खेती को नयी उड़ान दे रहे नालन्दा के किसान एक साल पहले 100 एकड़ में थी सिमटी, अब 250 सौ एकड़ में खेती कम लागत में अधिक मुनाफा मिलने से बढ़ा किसानों का रुझान मघड़ा, महकार व दामोदरपुर बलधा के किसान खेती में सबसे आगे फोटो चीना : मघड़ा में तैयार चीना फसल का मुआयना करते कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक राकेश रंजन व अन्य। (फाइल फोटो) बिहारशरीफ, कार्यालय प्रतिनिधि। मोटे अनाज में शुमार चीना की खेती को नालंदा के किसान नयी उड़ान दे रहे हैं। पिछले साल 100 एकड़ से भी कम में इसकी खेती की गयी थी। लेकिन, इसबार करीब ढाई सौ एकड़ में खेती हुई है। बिहारशरीफ के मघड़ा, नगरनौसा के दामोदरपुर बलधा और चंडी के महकार के किसानों ने महज दो सालों में चीना की खेती को नयी पहचान दिलायी है। अच्छी बात यह कि अन्नदाताओं की मेहनत रंग लायी है तो अब भागलपुर, गोपालगंज, नौबगछिया जैसे कई जिले हैं, जहां के किसान चीना के बीज के लिए नालंदा का रुख कर लिया है। जिला कृषि कार्यालय से संपर्क कर यहां के खेतों में तैयार चीना बीज मुहैया कराने का अनुरोध कर रहे हैं। अच्छी बात यह कि इसकी खेती में पानी की जरूरत कम पड़ती है। लागत भी कम आती है। 60 से 70 यानी दो माह में फसल तैयार हो जाती है। हालांकि, अभी पारंपरिक विधि से किसान इसकी खेती कर रहे हैं। इस वजह से प्रति हेक्टेयर औसतन आठ से नौ क्विंटल उपज मिलती है। अगर वैज्ञानिक विधि से खेती करेंगे तो प्रति हेक्टेयर 10 से 12 क्विंटल तक उपज ली जा सकती है। किसानों के लिए राहत यह भी कि मिल्ट अभियान के तहत चीना की खेती के लिए कृषि विभाग प्रति हेक्टेयर दो हजार की प्रोत्साहन राशि दे रही है। प्रत्यक्षण के लिए सौ फीसद अनुदान पर बीज भी उपलब्ध करा रहा है। सिर्फ 3 पंचायतों में 4 सौ से अधिक किसान : अमूमन जिले के सभी प्रखंडों में कट्ठा व बीघा में कुछ न कुछ किसान इसकी खेती से जुड़े हैं। लेकिन, तीन प्रखंडों की सिर्फ तीन पंचायतों में चार सौ से अधिक किसान इसकी खेती से जुड़ गये हैं। मघड़ा में करीब 60 एकड़ में डेढ़ सौ किसान, महकार में 140 किसान 40 एकड़ तो दामोदरपुर बलधा में 150 किसान 45 एकड़ में चीना की खेती कर अच्छी उपज ले रहे हैं। खाली खेत का बेहतर इस्तेमाल: किसान मनोज कुमार, रविरंजन प्रसाद, मोहन प्रसाद व अन्य कहते हैं कि रबी सीजन में गेहूं की फसल मार्च के अंतिम सप्ताह या अप्रैल की शुरुआत तक कट जाती है। उसके बाद खेत खाली रहता है। 15 जून के बाद धान की खेती शुरू होती है। इस बीच खेत खाली पड़ा रहता है। प्रगतिशील किसान इस अवसर का बेहतर इस्तेमाल कर रहे हैं। गरमा सीजन में अप्रैल में बीज की बुआई करते हैं। जून के पहले सप्ताह तक उपज मिल जाती है। उसके बाद धान की खेती में जुट जाते हैं। पोषक तत्वों की भरमार: चीना से भात, रोटी और खीर के अलावा मिठाई बनायी जाती है। यह पोषक तत्वों से भरपूर होता है। इसमें प्रति 100 ग्राम में 13.11 ग्राम प्रोटीन एवं 11.18 ग्राम फाइबर के अलावा काफी मात्रा में लोहा और कार्बोहाइड्रेट पाया जाता है। इसके सेवन से ब्लड प्रेशर एवं मधुमेह रोग में आराम मिलता है। इसके सेवन से शरीर में खून की कमी दूर होती है। पानी की आवश्यकता कम : चीना की खेती असिंचित क्षेत्र में भी आसानी से किया जा सकता है। मात्र एक से दो सिंचाई में फसल तैयार हो जाती है। धान और गेहूं के मुकाबले इसमें उर्वरकों की आवश्यकता कम पड़ती है। बदलते समय के साथ मोटे अनाज की मांग भी काफी बढ़ी है। जिले में बारिश पर निर्भर खेती के लिए यह वरदान साबित हो रही है। बाजार में मांग अधिक, दाम भी बेहतर: आत्मा के उप परियोजना निदेशक अविनाश कुमार कहते हैं कि चीना का दाम बाजार में ठीकठाक है। खुदरा बाजार में एक किलो चीना की कीमत 60 से 70 रुपए किलो है। जबकि, प्रोसेसिंग के बाद मॉल और मंडियों में 150 से 160 रुपए किलो बेचा जाता है। पारंपरिक खेती के मुकाबले कम समय में इसकी खेती कर अधिक मुनाफा मिलता है।

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