आषाढ़ मास की शीतलाष्टमी कल, मां शीतला मंदिर में होगी विशेष पूजा-अर्चना
आषाढ़ मास की शीतलाष्टमी कल, मां शीतला मंदिर में होगी विशेष पूजा-अर्चनाआषाढ़ मास की शीतलाष्टमी कल, मां शीतला मंदिर में होगी विशेष पूजा-अर्चनाआषाढ़ मास की शीतलाष्टमी कल, मां शीतला मंदिर में होगी विशेष...

आषाढ़ मास की शीतलाष्टमी कल, मां शीतला मंदिर में होगी विशेष पूजा-अर्चना श्रद्धालु ठंडे पकवानों का भोग लगाकर शीतला माता से रोग-व्याधि से रक्षा की करेंगे प्रार्थना पावापुरी, निज संवाददाता। आषाढ़ मास की शीतलाष्टमी तिथि इस वर्ष 19 जून को मनाई जाएगी। गुरुवार को पड़ने वाली इस पावन तिथि पर मां शीतला की विशेष पूजा-अर्चना होगी। नालंदा जिले के मघड़ा के पास विभिन्न गांवों और कस्बों में श्रद्धालु पारंपरिक रीति-रिवाज से माता की पूजा करेंगे। मां शीतला मंदिर में विशेष साफ-सफाई, साज-सज्जा और भजन-कीर्तन का आयोजन होगा। पंडित अंजनी पांडेय कहते हैं कि हिंदू धर्म में मां शीतला को रोगों की देवी माना जाता है।
विशेषकर चेचक, खसरा और संक्रामक बीमारियों से रक्षा के लिए मां शीतला की पूजा की जाती है। शीतलाष्टमी के दिन व्रत रखने और ठंडे पकवानों का भोग लगाकर प्रसाद स्वरूप वितरण करने से घर में शांति, स्वास्थ्य और समृद्धि बनी रहती है। पूजन विधि : शीतलाष्टमी की पूजा में मुख्य रूप से एक दिन पहले यानी अष्टमी से पूर्व रात्रि में भोजन पकाया जाता है। पूजा के दिन ताजे भोजन के बजाय ठंडे व्यंजन जैसे चूड़ा-दही, पूड़ी-सब्जी, मीठा हलवा, सत्तू आदि से मां शीतला को भोग अर्पित किया जाता है। प्रात:काल महिलाएं स्नान कर मां शीतला के मंदिर या घर में ही मां की मूर्ति या तस्वीर की पूजा करती हैं। नीम की पत्तियों, हल्दी, चावल और जल से माता का पूजन कर दीपक और अगरबत्ती जलाई जाती है। मंदिरों में होगा विशेष आयोजन : पंडित संतोष पांडेय ने बताया कि मां शीतला की मंदिर में इस दिन विशेष भीड़ उमड़ती है। श्रद्धालु परिवार सहित मंदिर पहुंचकर माता को ठंडे पकवानों का भोग लगाते हैं और परिवारजनों के स्वास्थ्य की कामना करते हैं। इस अवसर में मां शीतल की मंदिरों में विशेष आयोजन होगा। महिलाओं में विशेष उत्साह : इस पर्व को लेकर महिलाओं में विशेष उत्साह है। वे रात में भोजन बनाकर अगले दिन नियमपूर्वक शीतल माता को भोग लगाएंगी और व्रत रखेंगी। ऐसी मान्यता है कि शीतलाष्टमी के दिन व्रत करने से माता शीतला प्रसन्न होती हैं और घर-परिवार में संक्रामक बीमारियों का प्रकोप नहीं होता। बच्चों को विशेषकर इस दिन माता का आशीर्वाद दिलाने की परंपरा वर्षों से चली आ रही है। इस दिन गर्म चीजों का सेवन वर्जित होता है। लोग ठंडा भोजन कर दिनभर मां शीतला का ध्यान करते हैं।
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