योगिनी एकादशी शनिवार को, भक्त करेंगे भगवान विष्णु की आराधना
योगिनी एकादशी शनिवार को, भक्त करेंगे भगवान विष्णु की आराधना योगिनी एकादशी शनिवार को, भक्त करेंगे भगवान विष्णु की आराधनायोगिनी एकादशी शनिवार को, भक्त करेंगे भगवान विष्णु की आराधनायोगिनी एकादशी शनिवार...

योगिनी एकादशी शनिवार को, भक्त करेंगे भगवान विष्णु की आराधना श्रद्धालु व्रत रखकर करेंगे पुण्य और मोक्ष प्रदान करने वाली एकादशी पीपल पूजन और कथा श्रवण का भी है विशेष महत्व पावापुरी, निज संवाददाता। हिंदू पंचांग के अनुसार आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी, जिसे योगिनी एकादशी कहा जाता है, इस वर्ष 21 जून को शनिवार को है। इस पावन अवसर पर श्रद्धालु उपवास रखकर श्रीहरि विष्णु भगवान की पूजा आराधना करेंगे। पंडित सूर्यमणि पांडेय ने बताया कि मान्यता है कि योगिनी एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति को समस्त पापों से मुक्ति मिलती है और रोग, दरिद्रता, दुख व कलंक का नाश होता है।
श्रद्धालु व्रत रखकर पुण्य और मोक्ष प्रदान करने वाली एकादशी को करेंगे। इसमें पीपल पूजन और कथा श्रवण का भी विशेष महत्व है। क्या है योगिनी एकादशी का महत्व : पुराणों में वर्णन मिलता है कि योगिनी एकादशी का व्रत 88 हजार ब्राह्मणों को भोजन कराने के बराबर फल देता है। यह व्रत विशेष रूप से स्वास्थ्य, समृद्धि और मोक्ष की प्राप्ति हेतु किया जाता है। मान्यता के अनुसार, भगवान विष्णु इस दिन योग निद्रा में रहने के बावजूद अपने भक्तों की पुकार सुनते हैं और उनके जीवन से कष्टों का निवारण करते हैं। व्रत विधि और पूजन प्रक्रिया : आचार्य पप्पू पांडेय कहते हैं कि व्रती एक दिन पूर्व दशमी को सात्विक भोजन ग्रहण कर व्रत का संकल्प लेते हैं। एकादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान कर भगवान विष्णु का पीले पुष्प, तुलसी, धूप-दीप और पंचामृत से पूजन किया जाता है। दिनभर निर्जल या फलाहार व्रत रखते हुए ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करना चाहिए। शाम को विष्णु सहस्त्रनाम या योगिनी एकादशी व्रत कथा का पाठ किया जाता है। द्वादशी के दिन गरीबों को अन्न, वस्त्र और दक्षिणा दान कर व्रत का पारण किया जाता है। पीपल पूजन और तुलसी सेवा का भी महत्व: योगिनी एकादशी के दिन पीपल के वृक्ष का पूजन कर उसके नीचे दीप जलाना अत्यंत पुण्यदायी माना जाता है। इसके साथ ही तुलसी माता की सेवा करने से भगवान विष्णु विशेष प्रसन्न होते हैं। व्रत से जुड़ी एक लोककथा : श्री पांडेय ने कहा कि स्कंद पुराण के अनुसार, अलकापुरी के राजा कुबेर के रसोइए हेममाली ने अपने कर्तव्यों की अवहेलना कर रूद्रद्रव्य की चोरी की। उसके इस पाप के कारण उसे कोढ़ हो गया और वह धरती पर कष्ट झेलने लगा। नारद मुनि के कहने पर उसने योगिनी एकादशी का व्रत किया, जिससे उसे कोढ़ से मुक्ति मिली और पुन: दिव्य शरीर प्राप्त हुआ। पावापुरी सहित पूरे क्षेत्र में चल रही तैयारी : मां आशापुरी मंदिर के पुजारी पंडित पुरेंद्र उपाध्याय ने कहा कि पावापुरी, राजगीर, बिहारशरीफ, गिरियक व नालंदा जिले के मंदिरों में योगिनी एकादशी को लेकर विशेष तैयारियां की जा रही हैं। विभिन्न स्थानों पर सुंदरकांड पाठ, विष्णु सहस्त्रनाम पाठ और भजन-कीर्तन का आयोजन होगा। श्रद्धालुओं से व्रत को नियमपूर्वक व संयम से करने का आग्रह किया गया है, जो व्यक्ति योगिनी एकादशी का व्रत श्रद्धा से करता है, वह सांसारिक बंधनों से मुक्त होकर श्रीहरि की कृपा प्राप्त करता है।
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