बिहार मानवाधिकार आयोग में सदस्य के दोनों पद खाली, अध्यक्ष भी प्रभार में; कैसे हो रही सुनवाई
आयोग में हर दिन 50 से 60 शिकायत पहुंच रही है, पर इन शिकायतकर्ताओं को सिर्फ अगली तारीख मिल रही है। स्थायी अध्यक्ष व दोनों सदस्यों के पद लंबे समय से रिक्त होने से करीब 9000 से अधिक मामले लंबित हैं।

बिहार में में मानवाधिकारों की रक्षा को लेकर स्थापित स्वायत्त संस्था बिहार मानवाधिकार आयोग में शिकायतों की सुनवाई लगभग ठप पड़ी है। आयोग में सदस्य के दोनों पद पिछले एक साल से अधिक समय से खाली पड़े हैं। यही नहीं, अध्यक्ष का पद भी पिछले दो माह से अधिक समय से प्रभार में चल रहा है। ऐसे में मानव अधिकार के उल्लंघन से जुड़ी शिकायतों की सुनवाई और जांच का काम नहीं हो पा रहा।
आयोग में हर दिन 50 से 60 शिकायत पहुंच रही है, पर इन शिकायतकर्ताओं को सिर्फ अगली तारीख मिल रही है। स्थायी अध्यक्ष व दोनों सदस्यों के पद लंबे समय से रिक्त होने से करीब 9000 से अधिक मामले लंबित हैं। आयोग के दस्तावेजों के मुताबिक 2024 में ही मानवाधिकार उल्लंघन के 9410 आवेदन मिले, जिनमें मात्र 3090 का ही निबटारा हो सका।
मार्च 2024 से ही सदस्य नहीं
सदस्य के दोनों पद मार्च 2024 से ही खाली पड़े हैं। तत्कालीन न्यायिक सदस्य उज्जवल कुमार दूबे (पटना हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश) और तत्कालीन प्रशासनिक सदस्य शशि शेखर शर्मा (सेवानिवृत्त आईएएस) का कार्यकाल 11-12 मार्च 2024 को ही समाप्त हो गया है। उनके बाद इन पदों पर किसी की तैनाती नहीं की गयी है। नये मामलों की नहीं हो पा रही जांच
आयोग में दर्ज पुलिस से संबंधित मामलों की सुनवाई को लेकर बिहार पुलिस के एडीजी से लेकर सिपाही स्तर के करीब डेढ़ दर्जन पदाधिकारियों की तैनाती होती है। पुलिस पदाधिकारियों की यह टीम फिलहाल कुछ पुराने मामलों की ही जांच कर रिपोर्ट तैयार कर रही है।
अध्यक्ष ऑनलाइन कर रहे कुछ मामलों की सुनवाई
सदस्यों का पद रिक्त होने से पिछले एक साल से तमाम शिकायतों की सुनवाई आयोग के अध्यक्ष सह पटना हाईकोर्ट से सेवानिवृत्त न्यायाधीश अनंता मनोहर बदर ही कर रहे थे। इस बीच अनंता मनोहर बदर महाराष्ट्र मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष बना दिए गए। 3 मार्च 2025 को उन्होंने महाराष्ट्र मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष का पदभार भी ग्रहण कर लिया। उसके बाद से बिहार मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष का पद अतिरिक्त प्रभार में चल रहा है। आयोग के सूत्रों के मुताबिक प्रभार में होने की वजह से श्री बदर ऑनलाइन ही बिहार के कुछ मामलों की सुनवाई कर पा रहे हैं। अधिकतर शिकायतों के आवेदन पर सिर्फ तारीख ही पड़ रही है।