गर्मी के खतरों पर ऐक्शन में मानवाधिकार आयोग, बिहार समेत 11 राज्यों की सरकारों को दिया यह निर्देश
आयोग ने नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो(एनसीआरबी) के आंकड़ों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि गर्मी और लू के कारण 2018 से 2022 के बीच 3,798 लोगों की मौत हुई थी। इसको देखते हुए एकीकृत और समावेशी उपायों की तत्काल आवश्यकता है।

बिहार समेत देश के अन्य राज्यों में भीषण गर्मी के खतरों पर राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (एनएचआरसी) ऐक्शन में है। आयोग की ओर से बिहार सहित 11 राज्यों के मुख्य सचिव को पत्र लिख कर निर्देश दिया गया है। गर्मियों के दौरान पड़ने वाली लू के मद्देनजर खासकर आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों, बाहरी कामगारों, बुजुर्गों, बच्चों और बेघर लोगों की सुरक्षा के लिए तत्काल एहतियाती कदम उठाने की बात कही गयी है।
आयोग ने नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो(एनसीआरबी) के आंकड़ों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि गर्मी और लू के कारण 2018 से 2022 के बीच 3,798 लोगों की मौत हुई थी। इसको देखते हुए एकीकृत और समावेशी उपायों की तत्काल आवश्यकता है। पत्र में कमजोर वर्गों के लिए आश्रयों की व्यवस्था, राहत सामग्री की आपूर्ति, काम के घंटों में संशोधन के लिए जरूरी कदम उठाने का निर्देश दिया गया है।
पत्र के माध्यम से राष्ट्रीय मानवाधिका आयोग ने संबंधित राज्यों से पूछा है कि गर्मी से संबंधित बीमारियों के इलाज के लिए मानक प्रक्रियाओं की उपलब्धता को लेकर क्या स्थिति है। अवलिंब इसकी जानकारी दी जाए। बिहार में विगत दो सालों में कम बारिश होने के कारण गर्मी की मार पड़ी है। इस साल अभी तक मौसम मिला जुलाकर ठीक है लेकिन मई और जून में तेज गर्मी की संभावना है।
बिहार में गर्मी हर साल कहर बरपाती है। राज्य के विभिन्न जिलों में इसी मौसम में बच्चों की जानलेवा बीमारी एईएस का कहर देखने को मिलता है। मुजफ्फरपुर समेत आस पास के जिलों में अबतक हजारों बच्चों की मौत इस बीमारी से अब तक हो चुकी है लेकिन सतत रिसर्च के बाद भी इस बीमारी के कारण और निदान पर कुछ ठोस हासिल नहीं किया जा सका है। सावधानी और जागरूकता ही इस बीमारी से बचाव है। ऐसे में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की पहल बिहार के लिए वरदान साबित हो सकता है।