DCLR in bihar are keeping Decisions reserve for several months people facing difficulties मुकदमों की सुनवाई कर फैसला रखते हैं रिजर्व, बिहार में DCLR कैसे करा रहे सरकार की फजीहत, Bihar Hindi News - Hindustan
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मुकदमों की सुनवाई कर फैसला रखते हैं रिजर्व, बिहार में DCLR कैसे करा रहे सरकार की फजीहत

डीसीएलआर मामलों की शिकायत मिलने पर दोनों पक्षों की पूरी बात सुनते हैं। एक तो डीसीएलआर एक मामले को वर्षों तक चलाए रखते हैं। इसके बाद अगर फैसला देते भी हैं तो उसे सुरक्षित रख ले रहे हैं। फैसला करने के बाद उसे लिखने में दो-चार दिनों का समय लगना स्वभाविक है।

Nishant Nandan हिन्दुस्तान ब्यूरो, पटनाMon, 5 May 2025 11:28 AM
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मुकदमों की सुनवाई कर फैसला रखते हैं रिजर्व, बिहार में DCLR कैसे करा रहे सरकार की फजीहत

बिहार के अनुमंडलों में तैनात भूमि सुधार उप समाहर्ता (डीसीएलआर) सरकार की फजीहत करा रहे हैं। वे मुकदमों की सुनवाई के बाद फैसला महीनों तक सुरक्षित (रिजर्व) रख रहे हैं। ऐसे में लोगों को यह पता ही नहीं चल रहा है कि उनके मामलों पर क्या निर्णय हुआ। जब तक जानकारी न मिल जाए, तब तक पक्षकार मामलों में अपील भी नहीं कर पा रहे हैं। ऐसी स्थिति एक-दो दिन नहीं, महीनों तक जारी रह रही है। दरअसल, डीसीएलआर के समक्ष आम लोग जमीन से संबंधित मामलों की शिकायत किया करते हैं।

डीसीएलआर मामलों की शिकायत मिलने पर दोनों पक्षों की पूरी बात सुनते हैं। एक तो डीसीएलआर एक मामले को वर्षों तक चलाए रखते हैं। इसके बाद अगर फैसला देते भी हैं तो उसे सुरक्षित रख ले रहे हैं। फैसला करने के बाद उसे लिखने में दो-चार दिनों का समय लगना स्वभाविक है। अधिकतम 15 दिनों के भीतर उस मुकदमे का फैसला सार्वजनिक हो जाना चाहिए। लेकिन पटना, छपरा, सारण, रोहतास, गया, दरभंगा सहित राज्य के कमोबेश सभी जिलों में इस नियम का पालन नहीं हो पा रहा है।

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डीसीएलआर फैसला करने के बाद उसे महीनों तक सुरक्षित रख ले रहे हैं। डीसीएलआर की इस कार्यशैली के कारण दोनों पक्षकारों को यह पता ही नहीं चल पा रहा है कि उनके मामलों पर क्या फैसला आया। इस कारण दोनों पक्षकार न तो अपील करने की स्थिति में रहते हैं और न ही न्यायालय का सहारा ले पाते हैं। मजबूरी में दोनों को महीनों तक डीसीएलआर के निर्णय का इंतजार करना पड़ रहा है।

अन्य मामलों में भी डीसीएलआर का रवैया सुस्त

राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग की सभी सेवाएं ऑनलाइन हैं, लेकिन फिर भी सरकार के कार्यालयों में लोगों की भीड़ देखने को मिल रही है। ऑनलाइन सेवाओं में जान-बूझकर अंचल व अनुमंडल कार्यालयों की ओर से गड़बड़ी की जा रही है ताकि लोगों को मजबूरी में कार्यालय आना पड़े। बीते दिनों डीसीएलआर के कामकाज की समीक्षा बैठक में राजस्व मंत्री संजय सरावगी ने इस पर नाराजगी भी जाहिर की थी।

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राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के अपर सचिव, दीपक कुमार सिंह ने कहा कि मामलों की सुनवाई के बाद उसका फैसला अधिकतम दो-चार दिनों में सार्वजनिक करना है। विभाग ने निर्देश दिया है कि किसी भी परिस्थिति में बैक डेट में मामलों को अपलोड न किया जाए। डिजिटल हस्ताक्षर और अपलोड करने की तिथि एक समान रखने को कहा गया है। ऐसा नहीं होने पर ऐसे अधिकारियों को चिह्नित कर कार्रवाई की जाएगी।

अनुमंडलों में एक साल से अधिक के मामले पेंडिंग

राजस्व मंत्री संजय सरावगी का कहना था कि डीसीएलआर प्राथमिकता देकर कोर्ट की कार्यवाही करें। अभी अधिकतर अनुमंडल में एक साल से अधिक के मामले पेंडिंग हैं। इसको हर हाल में समाप्त करने की जरूरत है। म्यूटेशन अपील के मामलों का ससमय निष्पादन तेजी से करें। ऐसे मामलों को वर्षों तक लटकाना उचित नहीं है।

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