कई सफेदपोश के अलावा पदाधिकारी व कर्मी आएंगे कार्रवाई की जद में
सारण जिले में भूमि माफियाओं के खिलाफ प्रशासन ने कार्रवाई शुरू कर दी है। रामनगर राज की 2 एकड़ 53 डिसमिल भूमि को विवादित बना दिया गया है। जांच में शामिल लोगों की संख्या बढ़ रही है, और 48 घंटे में...

डीएम के आदेश के बाद मची है खलबली भूमिया की तरह-तरह के निकाल रहे हैं तरकीब रामनगर राज की दो एकड़ 53 डिसमिल जमीन को विवादित बना दिया है भू- माफियाओं ने जमीन की खरीद बिक्री के समय टाइटिल की जांच नहीं की जा सकती न्यूमेरिक 48 घण्टे के भीतर मांगी गई है रिपोर्ट छपरा, नगर प्रतिनिधि। सारण में जमीन माफियाओं पर प्रशासन के शिकंजे कसने की कार्रवाई शुरू होते ही हड़कंप मचा हुआ है।कई सफेदपोश के अलावा अंचल कार्यालय से लेकर अभिलेखागार के पूर्व के पदाधिकारी व कर्मी भी जांच के जद में आएंगे। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक जांच का दायरा दिन प्रतिदिन बढ़ते जा रहा है और इसमें शामिल लोगों की संख्या भी बढ़ने की बात कही जा रही है। जिला पदाधिकारी ने एडीएम से इस बारे में 48 घंटे के अंदर ही रिपोर्ट देने को कहा था। बताया जाता है कि व्यापक पैमाने पर गड़बड़ी की बात सामने आने पर राजस्व विभाग के एडीएम इंजीनियर मुकेश कुमार को इस मामले की जांच की जिम्मेदारी जिलाधिकारी के स्तर पर दी गई है। जानकारी के मुताबिक भू-माफियाओं ने फर्जी दस्तावेज बना कर सारण जिले में स्थित रामनगर राज की दो एकड़ 53 डिसमिल जमीन को विवादित बना दिया है।इसमें एक ही डीड संख्या से अलग-अलग जमीन का बाहर में स्कैन कर असली जैसा दस्तावेज बनाया गया। राजस्व विभाग से जुड़े लोगों का कहना है कि जमीन की रजिस्ट्री के समय टाइटिल की जांच नहीं की जा सकती है। इस बारे में पटना हाईकोर्ट ने पूर्व में एक आदेश जारी किया था। ट्रांसफर ऑफ प्रॉपर्टी एक्ट के अनुसार क्रेता व विक्रेता की जिम्मेवारी टाइटिल के मामले में होती है। हालांकि जिला प्रशासन ने भी जमीन के खरीद व बिक्री करने वाले लोगों से अनुरोध किया है कि वे जमीन के कागजातों की सही से जांच करने के बाद ही जमीन की खरीद बिक्री करें। भू-माफियाओं ने सबसे पहले दस्तावेज संख्या 9652 रजिस्ट्री कार्यालय से बहुत साल पहले गायब करा दिया। रामनगर राज की सभी जमीन छपरा शहर में होने से इसकी कीमत अरबों रुपये बतायी जा रही है। इस मामले का खुलासा होने के बाद मामले की जांच शुरू हो गयी है।बताया जाता है कि रामनगर राज छावनी और भगवान बाजार में मोहन विक्रम साह उर्फ रामराजा के नाम से दो एकड़ 53 डिसमिल जमीन है। इस जमीन की रजिस्ट्री 1901 से लेकर 1902 के बीच हुई थी। 1943 में इस राज परिवार में आपसी बंटवारा के तहत भगवान बाजार स्थित इस जमीन का एक हिस्सा सीता महारानी को मिला था, जिसका रजिस्ट्रेशन नगरपालिका में रजिस्टर टू में दर्ज है। जब 20 जुलाई 2024 को राज परिवार के प्रबंधक वशिष्ठ तिवारी ने आरटीआई के तहत छपरा रजिस्ट्री ऑफिस से जमीन की जानकारी मांगी, तो पता चला कि डीड संख्या 9652 रजिस्ट्री ऑफिस में उपलब्ध ही नहीं है. जबकि, आगे-पीछे की डीड संख्या मौजूद है। इसके अलावे 15 जुलाई 1982, 13 जुलाई 1982 और 15 जुलाई 1982 की तिथि को भी फर्जी दस्तावेज भू माफिया के स्तर पर बनाया गया है।
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