Awareness Program on HIV AIDS in Darbhanga Emphasizing Normal Life for HIV Patients समुचित देखरेख व इलाज से सामान्य जीवन जी सकते एड्स रोगी, Darbhanga Hindi News - Hindustan
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समुचित देखरेख व इलाज से सामान्य जीवन जी सकते एड्स रोगी

दरभंगा में आयोजित एक कार्यक्रम में डॉ. सुधीर कुमार झा ने कहा कि एचआईवी ग्रसित व्यक्ति अछूत नहीं हैं और उचित देखरेख से सामान्य जीवन जी सकते हैं। कार्यक्रम में एड्स के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए चर्चा...

Newswrap हिन्दुस्तान, दरभंगाFri, 13 June 2025 09:01 PM
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समुचित देखरेख व इलाज से सामान्य जीवन जी सकते एड्स रोगी

दरभंगा। कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विवि के एनएसएस समन्वयक डॉ. सुधीर कुमार झा ने कहा कि एचआईवी ग्रसित व्यक्ति अछूत नहीं, बल्कि समुचित देखरेख एवं इलाज से सामान्य जीवन जी सकते हैं। वे शुक्रवार को बिहार राज्य एड्स नियंत्रण समिति, पटना के तत्वावधान में दरभंगा जिला स्तरीय पीयर एजुकेटर प्रशिक्षण- 2025 कार्यक्रम को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। कार्यक्रम लनामिवि के पीजी संस्कृत विभाग में विभागाध्यक्ष डॉ. घनश्याम महतो की अध्यक्षता में हुआ। इस कार्यक्रम में बिहार राज्य एड्स नियंत्रण समिति, पटना के राहुल सिंह मुख्य प्रशिक्षक के रूप में उपस्थित थे। डॉ. सोनू रामशंकर ने कहा कि एड्स रोग नहीं, बल्कि रोगों का लक्षण समूह है जो शरीर की आंतरिक क्षमता को नष्ट करता है।

डॉ. लोकनाथ झा ने कहा कि स्वस्थ शरीर ही पुरुषार्थ चतुष्ट्य का मूल आधार है। डॉ. आरएन चौरसिया ने कहा कि सही एवं पूर्ण जानकारी के साथ जागरूकता से ही जानलेवा, लाइलाज एवं खतरनाक रोग एड्स से बचाव संभव है। इसकी सर्वाधिक मार हमारे युवाओं पर पड़ती है। एड्स की जानकारी ही इससे बचाव का सबसे बड़ा मंत्र है। उन्होंने बताया कि एड्स में शरीर की रोग प्रतिरोध क्षमता नष्ट हो जाती है, जिससे व्यक्ति अनेक तरह के संक्रमणों और रोगों की चपेट में आ जाता है और अंतत: उसकी मौत हो जाती है। उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त किया कि समाज में एड्स जागरूकता के कारण गत एक दशक में एड्स रोगियों की संख्या में 50 प्रतिशत की कमी आई है। आमंत्रित प्रशिक्षक राहुल सिंह ने कहा कि लंबे समय तक बिना इलाज के रहने पर एचआईवी संक्रमित व्यक्ति एड्स से ग्रसित हो जाता है। उन्होंने बताया कि दरभंगा एचआईवी संक्रमण के रेड जोन में शामिल है, जिससे यहां एड्स का खतरा सर्वाधिक है। एड्स रोगी को जीवनभर दवा खाने तथा परहेज से रहने की जरूरत है। कोई भी व्यक्ति आईसीटीसी विभाग में एचआईवी की जांच नि:शुल्क कर सकते हैं। एड्स पीड़ितों को बिहार सरकार प्रति माह पंद्रह सौ देती है। उन्होंने युवाओं से आह्वान किया कि वे रक्तदान के लिए आगे आएं ताकि उन्हें एड्स, हेपेटाइटिस बी एवं सी, मलेरिया, सिफलिस नामक पांच रोगों की नि:शुल्क जांच हो सके। इस अवसर पर छात्र-छात्राओं को आठ मिनट की एचआईवी/एड्स एवं रक्तदान जागरूकता संबंधी ‘गलती किसकी नामक फिल्म दिखाई गई। प्रशिक्षण में शामिल सभी 68 छात्र-छात्राओं को प्रमाणपत्र तथा क्विज में सर्वाधिक अंक लाने वाले डब्लूआईटी की रचना झा, स्नातकोत्तर के समरेश कुमार, विश्वविद्यालय राजनीति विज्ञान के अक्षय कुमार झा तथा मिल्लत कॉलेज, दरभंगा की सुमैया फिरोज तथा साफिया अहजद को पुस्तकें प्रदान कर सम्मानित किया गया। अध्यक्षीय संबोधन में डॉ. महतो ने कहा कि आज से 20 साल पहले समाज में एड्स जानलेवा बीमारी थी, लेकिन जागरूकता के कारण इसमें तेजी से कमी आ रही है। संतुलित एवं पोषक आहार, डॉक्टर की निगरानी, व्यायाम, खेलकूद तथा योग- प्राणायाम आदि को अपनाकर एड्स को रोका जा सकता है। उन्होंने बताया कि साथ रहने या उठने- बैठने, आपसी मेलजोल, छूने, मच्छर काटने, साथ खाने, एक- दूसरे के कपड़े पहने, एक शौचालय या स्विमिंग पूल के प्रयोग से एड्स नहीं फैलता है। कार्यक्रम का संचालन आरबी जालान कॉलेज के एनएसएस पदाधिकारी प्रो. शिव नारायण राय व धन्यवाद ज्ञापन वरीय स्वयंसेवक अक्षय कुमार झा ने किया।

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