कटहलबाड़ी के लोग होल्डिंग टैक्स घटाने और पेयजल की कर रहे मांग
दरभंगा नगर निगम के वार्ड-13 के कटहलबाड़ी मोहल्ले में जलजमाव, पेयजल किल्लत और जर्जर सड़कों की समस्या है। स्थानीय लोग नगर निगम को टैक्स देने के बावजूद पानी की कमी और निर्माण एजेंसी की लापरवाही से परेशान...
दरभंगा नगर निगम के वार्ड-13 स्थित कटहलबाड़ी मोहल्ले में बदहाली का आलम है। लोग जर्जर सड़क, जलजमाव, पेयजल किल्लत व कटहलबाड़ी फ्लाईओवर निर्माण का बकाया मुआवजा नहीं मिलने से परेशान हैं। यह सब तब है जब स्थानीय लोग नगर निगम को वीआईपी होल्डिंग टैक्स देते हैं। लोगों का कहना है कि वर्तमान में पेयजल के लिए मोहल्लेवासियों में हाहाकार मचा है। दिनभर में निगम का वाटर टैंकर चार-चार हजार लीटर पानी लेकर 10-12 बार आता है, इसके बावजूद सभी को पानी पूरा नहीं मिल रहा है। लोग बताते हैं कि मोहल्ले के करीब 60 फीसदी घरों में जल-नल का पानी मिल रहा था।
इसी बीच कगवा गुमटी आरओबी निर्माण की चपेट में आकर भूमिगत वाटर सप्लाई पाइपलाइन टूट गई। इसके बाद से कटहलबाड़ी में वाटर सप्लाई ठप है। स्थानीय महेंद्र महतो, राजकुमार महतो, लव कुमार, महेंद्र साह, मो. मेहताब अली, रहीमा खातून, तकदीर बिहारी, कन्हैया कुमार आदि आक्रोशित होकर इसके लिए नगर निगम प्रशासन को जिम्मेदार करार देते हैं। बताते हैं कि निर्माण एजेंसी की लापरवाही से सप्लाई वाटर पाइप टूटी है। निगम अधिकारियों को एजेंसी या संवेदक पर जुर्माना सहित अन्य कार्रवाई करनी चाहिए। वार्ड 13 के पार्षद राजीव सिंह बताते हैं कि निर्माण कार्य की मॉनिटरिंग नहीं होने के कारण बेला मोड़ के पास 50 फीट से अधिक भूमिगत वाटर पाइपलाइन ध्वस्त हो गयी है। इसके कारण वार्ड-12, 13 एवं 18 के करीब 70 हजार लोग प्रभावित हैं। इतनी बड़ी आबादी को टैंकर से पानी मुहैया कराने में कठिनाई हो रही है। उन्होंने बताया कि कटहलबाड़ी में रोज 50 हजार लीटर से अधिक पानी उपलब्ध कराया जाता है, फिर भी पानी कम पड़ रहा है। उन्होंने बताया कि वार्ड 13 में पहले से नल-जल कार्य अधूरा है। कार्यरत एजेंसी बुडको ने फर्स्ट फेज के निर्धारित 18.50 फीट एरिया में पाइप नहीं बिछायी है। इससे करीब 40 फीसदी लोग हर घर नल योजना से वंचित हैं। 10 इंडियन मार्का-2 चापाकलों में से अधिकतर खराब है। ऊपर से वाटर सप्लाई ठप हो गई है। उन्होंने बताया कि नगर प्रशासन व्यवस्था को दुरुस्त करे। 20 प्रतिशत मुआवजा बाकी : कटहलबाड़ी मोहल्ले में शहर का पहला फ्लाईओवर मौजूद है। सूर्य नारायण रावत, धर्मेंद्र झा, शीला देवी, मंजू देवी, जीनत खातून, चंदा देवी आदि बताते हैं कि फ्लाईओवर की सड़क चकाचक है और नीचे मौजूद मुख्य सड़क जर्जर है। उन्होंने बताया कि सड़क ऊबड़-खाबड़ है। सावधानी से नहीं चलने पर लोग ठोकर खाकर नीचे गिर पड़ते हैं। कुछ जगहों पर बड़े व गहरे गड्ढे हैं। बरसात के मौसम में स्थति भयावह हो जाती है। सड़कों पर पानी भर जाता है और यह समझना मुश्किल हो जाता है कि गड्ढा कहां और कहां नाला है! इस वजह से बुजुर्ग व बच्चे चोटिल हो जाते हैं। जर्जर सड़क के कारण लोगों को मॉर्निंग वाक में भी दिक्कत होती है। उन्होंने बताया कि 2007-08 में बने फ्लाईओवर की भूमि का पूरा मुआवजा भी नहीं मिला है। भू-स्वामियों की 20 प्रतिशत मुआवजा राशि बकाया है। इसके लिए भू-अर्जन कार्यालय दौड़कर थक चुके हैं। सांसद-विधायक भी पहल नहीं कर रहे हैं। -बोले जिम्मेदार- रेलवे ओवरिब्रज के भुगतान के बारे में विस्तृत जानकारी नहीं है। जो लोग कह रहे हैं कि भुगतान नहीं मिला है उन्हें रेलवे या फिर राज्य सरकार की ओर से भुगतान नहीं मिला है, इसके बारे में विस्तृत जानकारी लेने के बाद ही इस संबंध में स्पष्ट रूप से कुछ कहा जा सकता है। - विनय कुमार श्रीवास्तव, डीआरएम
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