मेडिकल छात्रों ने देह दान के प्रति लोगों को किया जागरूक
दरभंगा के डीएमसीएच के 2024 बैच के एमबीबीएस छात्रों ने अंग दान और देह दान के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए नुक्कड़ नाटक किया। छात्रों ने जुलूस निकालकर आम जनता को दान के महत्व के बारे में बताया। इस...

दरभंगा। डीएमसीएच 2024 बैच के एमबीबीएस छात्रों ने शनिवार को लोगों को अंग दान और देह दान के प्रति जागरूक किया। तूलिका राज व सक्षम श्रीत गुप्ता के नेतृत्व में जागरूकता फैलाने के लिए नुक्कड़ नाटक किया गया। मेडिकल छात्र-छात्राओं ने डीएमसीएच एनाटॉमी भवन से भव्य जुलूस निकाला। इसमें 2024 बैच के सभी छात्र-छात्राएं व कई वरष्ठि शक्षिक शामिल हुए। इसमें प्रो. डॉ. एसके. कर्ण (एचओडी, एनाटॉमी), डॉ. विजय सिंह (एचओडी, फिजियोलॉजी), डॉ. भारत कुमार, डॉ. सुबोध कुमार, डॉ. राधिका रमन, डॉ. केके मश्रिा, डॉ. प्रणय वर्मा, डॉ. वैभव कर्ण, डॉ. अर्चना स्नेही, डॉ. अर्चना प्रकाश, डॉ. युगल किशोर, डॉ. रामप्रीत राम, डॉ. मनोज कुमार, डॉ. एहसान, डॉ. सैफी अहमद, डॉ. आमोद कुमार झा, डॉ. कुंदन कुमार तथा अन्य पीजी छात्रों ने सहभागिता की। जुलूस कर्पूरी चौक पर समाप्त हुआ। वहां छात्रों ने नुक्कड़ नाटक के माध्यम से आम जनता के बीच अंग व शरीर दान के महत्व का संदेश पहुंचाया। इसमें तूलिका राज, साक्षम श्रीत गुप्ता, खुशबू कुमारी, भाव्या सिंह, सान्या श्रेष्ठा, अनामिका प्रियदर्शी, संस्कृति, दीक्षा, शिवानी कुमारी, रितेश आनंद, स्मृति शर्मा, अनीश कुमार देव, नक्किी कुमारी, अयान कृष्णा व अभिषेक कुमार ने प्रस्तुति दी। इस नाटक का उद्देश्य लोगों को प्रेरित करना था कि वे अपने परिवार के मृत सदस्यों के अंग अथवा सम्पूर्ण शरीर का दान करें, जिससे मेडिकल शक्षिा को सुदृढ़ किया जा सके और अधिक से अधिक जीवन बचाए जा सके। इस नुक्कड़ नाटक को सफल बनाने में डॉ. प्रणय वर्मा का योगदान सराहनीय रहा। इसके अलावा पोस्टर बनाने में सोनाली रानी, श्रुति कुमारी, अर्चना कुमारी, आरुषि, भाव्या शर्मा व तूलिका राज शामिल थीं। डीएमसीएच प्राचार्य प्रो. डॉ. अलका मश्रिा ने पूरे कार्यक्रम को देखा। उन्होंने छात्र-छात्राओं के प्रदर्शन की सराहना करते हुए सभी से इस पुण्य कार्य में भागीदारी का आह्वान किया। डॉ. जीएस झा कहा कि जब पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री स्व. ज्योति बसु तथा पूर्व केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन की माता जी अपने शरीर का दान कर सकती हैं तो आम जनता को भी इस दिशा में आगे आना चाहिए। उन्होंने बताया कि शवों की कमी के कारण एमबीबीएस छात्रों के व्यावहारिक प्रशक्षिण में गिरावट आ रही है और देहदान इस समस्या का समाधान हो सकता है।
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