Economic Struggles of Rajak Community Loss of Traditional Jobs and Lack of Government Support पोखर घाट और परंपरागत रोजगार छिनने से मुश्किल में रजक समाज, Darbhanga Hindi News - Hindustan
Hindi NewsBihar NewsDarbhanga NewsEconomic Struggles of Rajak Community Loss of Traditional Jobs and Lack of Government Support

पोखर घाट और परंपरागत रोजगार छिनने से मुश्किल में रजक समाज

आधुनिक समय में रजक समाज की आर्थिक स्थिति बिगड़ गई है। धोबी घाटों के खत्म होने और ड्राई क्लीनिंग के बढ़ते प्रचलन से रोजगार की कमी हो रही है। रजक परिवार आर्थिक तंगी का सामना कर रहे हैं और सरकारी सहायता...

Newswrap हिन्दुस्तान, दरभंगाMon, 9 June 2025 02:08 AM
share Share
Follow Us on
पोखर घाट और परंपरागत रोजगार छिनने से मुश्किल में रजक समाज

आधुनिक दौर में रजक समाज की आर्थिक बदहाली बढ़ गई है। रजक समाज के लोगों का कहना है कि एक ओर जहां पोखरों का वजूद खत्म होने से धोबी घाट गायब हो गए हैं, वहीं दूसरी तरफ नामी-गिरामी, ड्राई क्लीनर प्रतिष्ठान खुलने, घरों में वाशिंग मशीन के उपयोग आदि से ग्राहकों की तादाद घट गई है। इसके चलते कपड़े साफ व प्रेस (इस्त्री) करने वाले पारंपरिक रोजगार का मुनाफा खत्म हो गया है। इस कार्य से जुड़े रजक परिवार आर्थिक तंगी में जीवन यापन कर रहे हैं। लोग बताते हैं कि पूंजी नहीं रहने के कारण दूसरा रोजगार करना भी मुश्किल है।

समाज के बेरोजगार युवक मजबूरी में काम की तलाश के लिए पलायन कर रहे हैं। रजक समाज के लोग परंपरागत पेशे को सरकारी प्रोत्साहन नहीं मिलने से निराश हैं। बताते हैं कि पीएम मुद्रा लोन या अन्य बैंक लोन भी नहीं मिलता है। बैंक अधिकारी ऋण देने के एवज में जमीन के कागजात मांगते हैं। इसे रैयती भूमि पर निवास करने वाले लोग उपलब्ध कराने में अक्षम हैं। जिला रजक संगठन प्रभारी विजय गौतम, सत्यनारायण चौधरी, सुरेश चौधरी, पीतांबर धोबी, गुलाब चौधरी, महेश रजक, बबलू रजक, गजेंद्र चौधरी, अजीत चौधरी आदि बताते हैं कि सरकार ने रैयती भूमि पर निवास करने वालों लोगों को बासगीत का पर्चा देने का आदेश दे रखा है, इसके बावजूद रजक समाज के लोगों को पर्चा नहीं मिला है। इस वजह से पीएम आवास योजना के लाभ से हजारों रजक परिवार वंचित हैं। उन्होंने बताया कि परंपरागत काम से महीने में मुश्किल से 8-10 हजार की कमाई होती है। इससे घर खर्च व बच्चों की पढ़ाई का खर्च वहन करना मुश्किल है। इसके कारण रजक समाज के अधिकतर युवा उच्च शिक्षा प्राप्त नहीं कर पाते हैं। उन्होंने बताया कि सरकार को रजक समाज के विकास के लिए पहल करनी चाहिए। धोबी घाट गायब होने से कपड़े की सफाई मुश्किल: जिले में रजक समुदाय की आबादी करीब 60-70 हजार है। सुधीर कुमार चौधरी, शिवजी बैठा, महेश रजक, नंदकिशोर चौधरी, मुन्ना चौधरी आदि बताते हैं कि पोखर-तालाब किनारे मौजूद दशकों पुराने धोबी घाटों का वजूद खतरे में है। शहर के सैकड़ों पोखर पहले ही गायब हो चुके हैं। भू-माफियाओं की नजर बाकी बचे पोखरों पर भी गड़ी है। उन्होंने बताया कि वार्ड नंबर 32 स्थित मिर्जा खां तालाब किनारे रजक समाज की जमीन है। वहां पूर्व सांसद कीर्ति झा आजाद की ओर से निर्मित वाशिंग नाद शेड के साथ मौजूद है। उन्होंने बताया कि मिर्जा खां तालाब घाट का परिसर खुला हुआ है। साथ ही स्ट्रीट लाइट नहीं है। इसके चलते शाम ढलते ही नशेड़ी-उचक्के जमा हो जाते हैं। उन्होंने बताया कि जनप्रतिनिधियों को मिर्जा खां तालाब पर मौजूद धोबी घाट को आधुनिक ढंग से विकसित करना चाहिए। इससे रजक समुदाय के लोगों को रोजगार में सुविधा मिलेगी। उन्होंने बताया कि शहर के गंगासागर, महाराजी पुल घाट, राजा रामधनी मंदिर, भैया जी पोखर, एमआरएम कॉलेज धोबी घाट आदि के विकास की पहल होनी चाहिए। उन्होंने बताया कि पोखर घाटों के बदहाल रहने से कपड़े धोने में परेशानी होती है। सरकार घाटों को आधुनिक बना देती तो रोजगार में सहूलियत होती। -बोले जिम्मेदार- रजक समाज के लोगों को बासगीत परचा उपलब्ध कराने की दिशा में आवश्यक पहल की जाएगी। इसके लिए संबंधित विभाग से बात करेंगे। रजक समाज के लोगों को उचित प्रशिक्षण और कम ब्याज दर पर लोन उपलब्ध कराने की दिशा में भी आवश्यक पहल करेंगे। - डॉ. गोपाल जी ठाकुर, सांसद रजक समाज के लिए अभी तक अलग से किसी योजना का प्रावधान नहीं किया गया है। अगर इस संबंध में राज्य सरकार की ओर से कोई गाइडलाइन जारी होता है तो इस दिशा में उद्योग विभाग की ओर से आवश्यक कार्यवाही की जाएगी। -सुरुचि कुमारी, जिला परियोजना प्रबंधक, जिला उद्योग केंद्र, दरभंगा

लेटेस्ट   Hindi News ,    बॉलीवुड न्यूज,   बिजनेस न्यूज,   टेक ,   ऑटो,   करियर , और   राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।