तटबंध पर झोपड़ी बना रहे बाढ़ की आशंका से घिरे लोग
नेपाल की तराई में हुई बारिश से कोसी नदी में मटमैले पानी का प्रवाह तेज हो गया है। इससे दियारा क्षेत्र के लोगों में बाढ़ की चिंता बढ़ गई है। उन्होंने अपने मवेशियों की सुरक्षा के लिए तटबंध पर झोपड़ियां...

गौड़ाबौराम। नेपाल की तराई में हुई बारिश से कोसी नदी में पहाड़ी मटमैले पानी का प्रवाह तेज हो गया है। इससे कोसी के दियारा इलाके के लोगों को बाढ़ की आहट सुनाई देने लगी है। बाढ़ की आशंका से घिरे कोसी दियारे के वासिंदों ने अपने माल-मवेशियों की बचाव के लिए पश्चिमी कोसी तटबंध पर झोपड़ियां खड़ी करनी शुरू कर दी है। इधर, जल संसाधन विभाग ने पिछले वर्ष 20024 में आयी प्रलयंकारी बाढ़ और अत्यधिक जल प्रवाह को देखते हुए पश्चिमी कोसी तटबंध के सुरक्षा के लिए सारी ताकत झोंक दी है। जानकारी के अनुसार पश्चिमी कोसी तटबंध के नीमा बलथी स्थित तटबंध के 30 किमी बिंदु से 52 किलोमीटर बिंदु को बीच विभाग की ओर से कराये जा रहे कटाव निरोधक कार्य अंतिम चरण में है।
तटबंध के 30 किमी बिंदु स्थित स्पर की मजबूती के लिए तैनात एजेंसी के एक प्रतिनिधि ने नाम नहीं प्रकाशित करने की शर्त पर बताया कि तटबंध के डाउन स्ट्रीम भुवौल से गंडौल तक तटबंध के ऊंचीकरण, चौड़ीकरण व पक्कीकरण की योजना पर अमल नहीं किया गया। ऐसे में कोसी नदी की धारा पिछले वर्षों की तरह अपना रौद्र रूप एक बार फिर प्रकट कर दे, इस आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है। राहत देने वाली बात यह है कि सरकार ने पश्चिमी कोसी तटबंध के भुवौल स्थित ब्रीच को समय रहते पाटकर उक्त स्थल पर तटबंध को मजबूती प्रदान कर दी है। पश्चिमी कोसी तटबंध के 38.210 किमी बिंदु से 38.630 किमी बिंदु के बीच टूटान स्थल पर तटबंध का नये सिरे से निर्माण कार्य करने में जुटी निर्माण ऐजेंसी के प्रवक्ता ई. सुशील कुमार ने बताया कि विपरीत परिस्थितियों के बीच जल संसाधन विभाग के वरीय अभियंताओं के मार्गनिर्देशन में तटबंध के ब्रीच क्लोजिंग कार्य को ससमय पूरा किया जाना अपने आप में बड़ी उपलब्धि है। भुवौल के नीचे तटबंध के 39.90 से 44 किमी बिंदु के बीच तटबंध के फ्लैंक पर बांस-बल्ले से झोपड़ियां खड़ी कर रहे देवन मुखिया, नागेश्वर पासवान, देबू राम, राजकुमार साहू, विपिन साहू, मो. माजिद, सादिक व कामेश्वर यादव ने बताया कि पता चला है कि कोसी फाटक से पानी छोड़ने की कार्रवाई शुरू कर दी गयी है। ऐसे में तटबंध पर समय रहते अपना ठिकाना नहीं बना लेंगे तो बाढ़ आने पर कहां भटकेंगे।
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