हरे चारे की कमी होने से दूध का उत्पादन 30 प्रतिशत तक गिरा
दरभंगा जिले में पिछले एक पखवाड़े से भीषण गर्मी के कारण पशुपालकों को हरे चारे की कमी का सामना करना पड़ रहा है, जिससे दूध उत्पादन 30 प्रतिशत घट गया है। खेतों में नमी की कमी के कारण धान का बिचड़ा भी मुरझा...

दरभंगा/सिंहवाड़ा, हिटी। पिछले एक पखवाड़े से भी अधिक समय से जिले में पड़ रही भीषण गर्मी से सभी तबके के लोग परेशान हैं। तेज धूप के कारण खेतों में नमी कम हो गयी है। इसके कारण पशुपालकों के सामने हरे चारे की समस्या बढ़ गई है। हरे चारे की कमी के कारण दूध का उत्पादन 30 प्रतिशत तक घट गया है। इधर, खेतों में नमी के कारण धान का बिचड़ा लगाना भी कठिन बना हुआ है। जिन किसानों ने खेत में सिंचाई कर धान का बिचड़ा गिराया है उनका बिचड़ा भी मुरझाने लगा है। सबसे खराब स्थिति पशुपालकों की बनी हुई है।
तेज गर्मी ने पशुपालकों की समस्या बढ़ा दी है। आसपास के तालाबों में पानी समाप्त होने के कारण पशुओं को स्नान कराने की भी समस्या सामने आ गई है। किसानों ने बताया कि तेज गर्मी के कारण मवेशी बीमार पड़ रहे हैं। हरे चारे के लिए खेतों में लगाए गए जनेर व सरगम सूजन की फसल धूप में नमी की कमी के कारण खराब होने लगी है। निजी नलकूप से बार-बार सिंचाई कर हरे चारे की व्यवस्था करना कठिन हो रहा है। सढ़वाड़ा के पशुपालक लक्ष्मण सहनी, प्रीतम पासवान, राम नरेश भगत, राज किशोर चौधरी, राजेश चौधरी आदि ने बताया कि गेहूं का भूसा एवं दाना खिलाकर पशुओं का पेट तो जैसे-तैसे भरा जा रहा है, पर गर्मी के समय हरे चारे की कमी के कारण दूध का उत्पादन घट रहा है। वहीं दूसरी तरफ पशुओं के बीमार पड़ने की समस्या बढ़ रही है। हरपुर के महेश दुबे, सिंघेश्वर तिवारी, पंकज कुमार आदि ने बताया कि जो गाय या भैंस 10 लीटर दूध दे रही थी, तेज गर्मी एवं हरे चारे की कमी के कारण अब सात लीटर दूध भी नही दे पा रही है। दूध का उत्पादन दिनोंदिन कम होने से पशुपालकों के बीच मायूसी है। जिन किसानों ने पशु चारे के लिए खेतों में सरगम सूजन की फसल लगायी है उन्हें फसल बचाने के लिए सप्ताह में दो दिन सिंचाई करनी पड़ रही है। किसानों ने बताया कि सप्ताह में दो बार सिंचाई करने के बावजूद तेज गर्मी के कारण खेत में नमी की कमी हो रही है। इससे सरगम सूजन घास का उत्पादन कम हो गया है। जो पशुपालक सुबह-शाम मवेशियों को खेतों में चराने का काम करते हैं उन्होंने बताया कि तेज गर्मी के कारण खेत एवं चौर में हरियाली लगभग समाप्त हो गई है। इस कारण मवेशी खेतों में चर नहीं पाते। पशुपालकों की मानें तो जब तक अच्छी बारिश नहीं हो जाती तब तक समस्या विकराल बनी रहेगी।
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