बिहार में बनीं 3 भोजपुरी फिल्में रिलीज को तैयार, 8 की शूटिंग पूरी; निर्माताओं को भा रहे लोकेशन
बिहार की पहली फिल्म प्रोत्साहन नीति को 2024 में मंजूरी दी गई थी। इसका उद्देश्य बिहार में फिल्म की शूटिंग को बढ़ावा देना है। बिहार में पर्यटन के साथ फिल्म उद्योग को बढ़ावा देने के लिए यह नीति लाई गई है। इससे फिल्म निर्माताओं को प्रोत्साहन और प्रतिभा को दिखाने का मंच मिल सकेगा।

सिनेमा जगत में बिहार एक नया आयाम गढ़ने की राह पर है। बिहार में जहां कुछ साल पहले इक्का-दुक्का फिल्में रिलीज होती थी। वहीं अब यहां टी-सीरीज जैसी कंपनी फिल्म की शूटिंग के लिए आ रही है। बिहार में फिल्म प्रोत्साहन नीति लागू होने के बाद से अब तक तीन फिल्में तैयार हो चुकी हैं। तीनों फिल्में रिलीज किए जाने की तैयारी में हैं। इनका पोस्ट प्रोडक्शन का काम पूरा कर लिया गया है।
खास बात यह है कि यह तीनों फिल्में भोजपुरी में हैं। इनमें संघतिया, घर का बंटवारा और नारी शामिल है। ये फिल्में बिहार के विभिन्न जगहों पर शूट की गई है। फिल्म प्रोत्साहन नीति आने के बाद न केवल बिहार को बड़े पर्दे पर लाने की कवायद शुरू हो गई है। बल्कि बिहार के क्षेत्र को भी पहचान दिलाने का पूरा प्रयास हो रहा है। फिल्में रिलीज होने के बाद अनुदान के लिए निर्माताओं की ओर से आवेदन किया जाएगा। गौर हो कि अब तक तैयार तीन फिल्में भोजुपरी में है। वहीं आठ फिल्मों की शूटिंग पूरी हो गई है।
तीन चरणों के बाद फिल्म प्रोत्साहन नीति के लिए पात्र होते हैं निर्माता
पहला चरण : फिल्म के शूटिंग की अनुमति
दूसरा चरण : फिल्म की शूटिंग के बाद पोस्ट प्रोडक्शन (एडिटिंग का काम )
तीसरा चरण : फिल्म की रिलीजिंग, रिलीज सर्टिफिकेट के साथ अनुदान के लिए आवेदन
बिहार की पहली फिल्म प्रोत्साहन नीति को 2024 में मंजूरी दी गई थी। इसका उद्देश्य बिहार में फिल्म की शूटिंग को बढ़ावा देना है। बिहार में पर्यटन के साथ फिल्म उद्योग को बढ़ावा देने के लिए यह नीति लाई गई है। इससे फिल्म निर्माताओं को प्रोत्साहन और प्रतिभा को दिखाने का मंच मिल सकेगा।
इसके तहत राज्य में 75% शूटिंग वाली फिल्मों के लिए 4 करोड़ रुपये तक का अनुदान दिया जाएगा। अन्य राज्यों में अधिकतम अनुदान राशि 2.5 करोड़ रुपये है। अनुदान में राज्य की क्षेत्रीय भाषाओं में बनी फिल्मों की लागत का 50% तक शामिल होगा।
बिहार को क्या होगा इससे फायदा
● आर्थिक विकास, बढ़ेंगे रोजगार के अवसर
● पर्यटन स्थलों को बढ़ावा, दर्शनीय स्थलों को मिलेगी और पहचान
● स्थानीय कलाकारों को अवसर
● बिहार की संस्कृति का प्रचार
● बुनियादी ढांचे का प्रचार