बिहार की इस नदी में 10 सालों में बढ़ गए 588% घड़ियाल, एक से 1000 तक का सफर
वन संरक्षक सह क्षेत्र निदेशक डॉ नेशामणी के ने बताया कि वीटीआर होकर गुजरी गंडक नदी जलीय जीवों के लिए बेहतर हैबिटेट है। हर साल गंडक में 20 से 22%के हिसाब से घड़ियालों की संख्या बढ़ रही है। 2014 से 2025 तक की आंकड़ों के अनुसार नदी में 588 फीसदी घड़ियालों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है।

बीते 10 सालों में गंडक नदी में घड़ियालों की संख्या 588 फीसदी बढ़ी है। वाल्मीकिनगर से सोनपुर तक 326 किमी में वर्ष 2018 से 2025 तक 876 घड़ियाल गंडक में छोड़े गये थे। इनमें सिर्फ 2025 में 174 घड़ियाल छोड़े गये हैं। गंडक में बड़े घड़ियालों की संख्या चार सौ से अधिक पहुंच गई है। छोटे-बड़े को मिला दें तो यह संख्या एक हजार को पार कर गई है। वन विभाग और वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया ने घड़ियालों की सुरक्षा और संरक्षण के लिए बीते 15 साल से अभियान चला रहा है।
वन संरक्षक सह क्षेत्र निदेशक डॉ नेशामणी के ने बताया कि वीटीआर होकर गुजरी गंडक नदी जलीय जीवों के लिए बेहतर हैबिटेट है। प्रत्येक वर्ष गंडक में 20 से 22 फीसदी के हिसाब से घड़ियालों की संख्या बढ़ रही है। 2014 से 2025 तक की आंकड़ों के अनुसार नदी में 588 फीसदी घड़ियालों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। चीफ इक्लॉजिस्ट व वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया के अधिकारी डॉ. समीर सिन्हा ने बताया कि वर्ष 2003 में डॉल्फिन सर्वे के दौरान मैंने पूंछ कटा घड़ियाल का बच्चा देखा था। उसके बाद वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया ने गंडक नदी में घड़ियालों को लेकर दिलचस्पी दिखाई।
2010-11 में 10 घड़ियालों को देखा गया। 2014 में गंडक में सर्वे के दौरान 54 घड़ियाल मिले थे। आज बड़े घड़ियालों की संख्या चार सौ से अधिक पहुंच गई है। वीटीआर के जंगल से गुजरी गंडक नदी घड़ियालों व मगरमच्छों के लिए अनुकूल साबित हो रहा है। प्रतिवर्ष सर्वे में घड़ियालों व उनके बच्चों की संख्या मे बढ़ोत्तरी हो रही है। बेहतर रखरखाव, सुरक्षा व संरक्षण के कारण 10 से बढ़कर घड़ियालों की संख्या एक हजार तक पहुंच गई है।