वीटीआर में बाघों की लड़ाई रोकेंगे स्पेशल जवान, एक महीने में 2 टाइगर की हो चुकी है मौत
वाल्मीकि टाइगर रिजर्व (वीटीआर) में बाघों के आपसी वर्चस्व की लड़ाई को रोकने के लिए स्पेशल जवान नियुक्त किए जाएंगे। इन्हें महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में प्रशिक्षण दिया जाएगा। बीते एक महीने के भीतर इस जंगल में दो टाइगर की मौत हो चुकी है।

बिहार के पश्चिम चंपारण जिले में स्थित वाल्मीकि टाइगर प्रोजेक्ट (वीटीआर) के बाघों की सुरक्षा के लिए स्पेशल टाइगर प्रोटेक्शन फोर्स (एसटीपीएफ) का गठन किया जाएगा। इसके लिए वीटीआर प्रशासन के प्रस्ताव को मंजूरी मिल गई है। जंगल में टाइगर के बीच वर्चस्व को लेकर होने वाली आपसी जंग को रोकने के लिए स्पेशल जवानों की तैनाती की जाएगी। वीटीआर के निदेशक सह संरक्षक नेशामनी ने बताया कि एसटीपीएफ से जुड़े जवानों की नियुक्ति शीघ्र की जाएगी। बीते एक महीने के भीतर वीटीआर में एक बाघ और एक बाघिन की आपसी लड़ाई में जान चुकी है, जो वन्यजीव प्रेमियों के लिए चिंता का विषय बना हुआ है।
वन विभाग के प्रधान मुख्य संरक्षक पीके गुप्ता ने बीते दिनों वाल्मीकि नगर दौरे के दौरान मामले में अधिकारियों से जानकारी ली थी और कई निर्देश दिए थे। उस समय पीके गुप्ता ने एसटीपीएफ का गठन जरूरी बताया था। एसटीपीएफ के गठन से वीटीआर के बाघों की सुरक्षा के साथ शिकारियों का नेटवर्क भी ध्वस्त होगा।
बता दें कि इन दिनों वीटीआर में बाघों की बढ़ती संख्या से आपसी संघर्ष बढ़ गए हैं और बाघों की मौत भी हो रही है। एक माह में हरनाटाड़ और भिखनाठोरी में आपसी वर्चस्व में एक बाघ एवं एक बाघिन की मौत हो गई। पीके गुप्ता ने बताया कि वीटीआर के सभी वन क्षेत्र में रहने वाले बाघ एवं शावकों की सुरक्षा के लिए एसपीटीएफ के तहत 3 प्लाटून शामिल किए जाएंगे। प्रत्येक प्लाटून में बाघों की सुरक्षा के लिए 30 जवानों को शामिल किया जाएगा।
बाघों एवं शावकों की बेहतर सुरक्षा तथा पोचर्स गतिविधि को रोकने के लिए वन विभाग की ओर से प्रशिक्षण दिया जाएगा। इस दौरान जवानों को बाघों के हैबिटेट की सुरक्षा की भी जानकारी दी जाएगी। जवानों की प्रतिनियुक्ति में जिला पुलिस से सहयोग लिया जाएगा। वीटीआर के निदेशक सह संरक्षक ने कहा कि एसपीटीएफ के गठन की मंजूरी मिल गई है। इससे बाघों की सुरक्षा एवं अन्य पशु-पक्षियों की रक्षा होगी तथा पोचर्स गतिविधि पर भी रोक लगेगी।
महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश से मिलेगा प्रशिक्षण
एसटीपीएफ के जवानों की सुविधाओं की मॉनिटरिंग एनटीसीए (नेशनल टाइगर कंजरवेशन ऑथिरिटी) करेगी। तीनों प्लाटून के गठन के बाद उसके संचालन की जिम्मेदारी प्रति प्लाटून 6 फॉरेस्टर को सौंपी जाएगी। इस प्रकार कुल 18 फॉरेस्टर तीन प्लाटून के लिए जिम्मेदार रहेंगे। जवानों को वाइल्ड लाइफ से जुड़े प्रशिक्षण के लिए मध्य प्रदेश एवं महाराष्ट्र भेजा जाएगा। वहां बाघों की सुरक्षा के लिए ‘एसपीटीएफ’ का गठन पहले ही हो चुका है।