माता-पिता और बच्चे के रिश्ते में तेजी से हो रहा बदलाव: योगेन्द्र त्रिपाठी
आज के भारतीय समाज में माता-पिता और बच्चों के रिश्ते में तेजी से बदलाव हो रहा है। बच्चे अब शादी को प्राथमिकता नहीं देते, बल्कि अपनी स्वतंत्रता और जीवन के विकल्पों को अधिक महत्व देते हैं। प्रो योगेन्द्र...
आज के आधुनिक भारतीय समाज में माता-पिता और बच्चे के रिश्ते बहुत तेजी से बदलाव देखने को मिल रहे हैं। हालांकि वर्तमान की चुनौतियों का सामना करते हुए बच्चे अपनी पढ़ाई, रोजगार (नौकरी), वेतन पैकेज, संपत्ति के मामले में बहुत मेहनत कर रहे हैं, लेकिन जब शादी कर घर बसाने की बात आती है तो वे आम तौर पर अपने माता-पिता के फैसले से असहमत होते हैं। ऐसे में माता-पिता को लगता है कि वे उनके नियंत्रण से बाहर हैं। उक्त वक्तव्य प्रो योगेन्द्र प्रसाद त्रिपाठी, अध्यक्ष, समाजशास्त्र विभाग, के. एस. साकेत पी.जी. कॉलेज, अयोध्या ने दक्षिण बिहार केन्द्रीय विश्वविद्यालय (सीयूएसबी) के समाजशास्त्रीय अध्ययन विभाग द्वारा ''वैश्विक युग में बदलते परिवार और विवाह'' विषय पर आयोजित व्याख्यान में दिया।
उन्होंने कहा कि समाज के वर्तमान परिदृश्य के अध्ययन करने पर यह निष्कर्ष निकलता है कि बच्चों के लिए शादी पहली प्राथमिकता नहीं है, उनकी स्वतंत्रता, उनके जीवन के विकल्प, गोपनीयता किसी भी अन्य चीज से ज्यादा प्राथमिकता पर हैं। ऐसी स्थिति में माता-पिता परिवार में बहुत सी नई चुनौतियों का सामना करने से प्रसन्न नहीं दीखते हैं, उन्हें यह भी सही तरीके से आभास नहीं हो पाता है कि परिवार और समाज में ऐसी नई उभरती हुई जटिल स्थितियों को कैसे संबोधित किया जाए। नई पीढ़ी के रिश्ते बदल रहे हैं और जीवन और परिवार के एक अलग चरण में प्रवेश कर रहे हैं जो बहुत जटिल और संभालना मुश्किल है। प्रो त्रिपाठी ने विशेष तौर पर शोध छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि समकालीन विषयों पर शोध करना बहुत चुनौतीपूर्ण है। समाजशास्त्रीय अध्ययन विभाग के प्रमुख प्रो एम विजय कुमार शर्मा, प्रो अनिल कुमार सिंह झा, डॉ समापिका महापात्रा, डॉ सनत कुमार शर्मा, डॉ जितेंद्र राम, डॉ हरेश नारायण पांडेय आदि मौजूद रहें।
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