मैथिली भाषा के अस्तित्व बचाने को प्राथमिक शिक्षा मैथिली भाषा में दिया जाना जरूरी
मधुबनी में मैथिली साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समिति का वार्षिक समारोह साहित्य उत्सव के रूप में मनाया गया। उद्घाटन करते हुए अशोक ने कहा कि मैथिली भाषा के बिना मिथिला का विकास असंभव है। इस अवसर पर युवा कवि...
मधुबनी, नगर संवाददाता। मैथिली साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समिति का वार्षिक समारोह इस बार साहित्य उत्सव के रूप में मनाया गया। समारोह का उद्घाटन करते हुए मैथिली के प्रसिद्ध कथाकार और आलोचक अशोक ने कहा कि मैथिली भाषा के बिना मिथिला के विकास की परिकल्पना असंभव है।मिथिला- मैथिली और मिथिलावासी तीनों आ अन्योन्याश्रय सम्बन्ध है। तीनों साथ -साथ चलेंगे।अगला पचास बर्ष तकनीकी विकास के पराकाष्ठा का युग होगा।मैथिली ही नहीं सभी स्थापित भाषाओं के समक्ष चुनौती है।मैथिली भाषा को तकनीकी विकास के साथ जोड़कर चलना चाहिए।भारत के प्रसिद्ध वैज्ञानिक व मैथिली भाषा के प्रमुख विज्ञान लेखक डा.योगेन्द्र पाठक वियोगी ने कहा कि मैथिली भाषा के वर्तमान स्वरूप को बचाये रखने के लिए मिथिला क्षेत्र के प्राथमिक विद्यालयों मे पढ़ाया जाना जरूरी है।
विज्ञान और गणित की पढ़ाई भी मातृभाषा में सर्वाधिक उपयुक्त है। विशिष्ट अतिथि विधान परिषद सदस्य घनश्याम ठाकुर ने कहा कि मैथिली भाषाके विकास के लिए जो भी बन पड़ेगा करता रहूंगा।मिथिला क्षेत्र मे प्राथमिक विद्यालयों मे मैथिली मे पढ़ाई होनी चाहिए।विशिष्ट अतिथि मधुबनी के मेयर अरुण राय ने कहा कि मैथिली भाषा समस्त मिथिलावासियों की भाषा है।नगर निगम मे मैथिली भाषा को उचित सम्मान दिया जा रहा है।आगे भी मैथिली भाषा और मैथिली साहित्य के विकास के लिए जो भी बन पड़ेगा जरूर करेंगे। काठमांडू से आयी मैथिली की विशिष्ट कवयित्री और प्रखर युवा पत्रकार बिजेता चौधरी ने कहा कि मातृभाषा को बचाने में मातृशक्ति को प्रमुखता से आगे आना चाहिए। कार्यक्रम का आरंभ मैथिली की प्रमुख गायिका डा. ममता ठाकुर के गोसाओनिक गीत से हुआ। आगत अतिथियों ने दीप प्रज्ज्वलित किया।स्वागत भाषण समिति के वरिष्ठ सदस्य आशीष कुमार मिश्र ने किया तथा समिति का वार्षिक प्रतिवेदन संयुक्त सचिव प्रभाष कुमार दमन ने प्रस्तुत किया। इस अवसरपर समिति द्वारा प्रकाशित मुखपत्र अरुणिमा के ग्यारहवें अंक का लोकार्पण आगत अतिथियों द्वारा किया गया। कवि दिलीप कुमार झा रचित कविता संग्रह 'दूधिया इजोतमे भोतिआइत मोन तथा कथाकार चन्दना दत्त लिखित कथा संग्रह 'देवियानी'का लोकार्पण भी मंच से किया गया। सहरसा के युवा कवि मुख्तार आलम को उनके पुस्तक 'परिचय बनैत शब्द'के लिए नव हस्ताक्षर पुरस्कार-2025 से पुरस्कृत किया गया। पोथीघर,दरभंगा के द्वारा पुस्तक प्रदर्शनी और सखी बहिनपा मिथिला हाट द्वारा मिथिला शिल्पकला प्रदर्शनी दर्शकों का आकर्षण केन्द्र बना रहा। सांस्कृतिक कार्यक्रममे अम्बे मिश्र और के गायन को काफी सराहा गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता समिति के अध्यक्ष प्रो.प्रीतम निषाद ने किया तथा संचालन वरिष्ठ साहित्यकार दिलीप कुमिर झा ने किया। समारोह को प्रमुख मैथिली साहित्यकार तथा मिथिला विश्वविद्यलय के पदाधिकारी अशोक मेहता,सखी बहिनपा समूह की संयोजिका छाया मिश्रा,पूर्ब प्रमुख जटाधर पासवान,सुभेश चन्द्र झा, डा.कुलधारी सिंह,चण्डेश्वर खाँ, डा.रवीन्द्र झा, रेवतीरमण झा, पं.प्रजापति ठाकुर, ज्योतिरमण झा बाबा, डा.रानी झा, रागिनी मिश्र, आदि ने सम्बोधित किया।
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